हवा में आने के 20 मिनट के भीतर ही वायरस हो जाता है बेदम, कोरोना पर स्टडी में चौंकाने वाली जानकारी
हवा में आने के 20 मिनट के भीतर कोरोना वायरस 90 फीसदी कम संक्रामक हो जाता है। नई स्टडी में हवा में वायरस के व्यवहार पर बड़ा खुलासा हुआ है।
वॉशिंगटन, जनवरी 12: कोरोना वायरस हवा के संपर्क में आने के 20 मिनट के भीतर ही बेदम हो जाता है और लोगों को उसकी संक्रमित करने की क्षमता में 90 प्रतिशत तक की कमी आ जाती है। कोरोना वायरस को लेकर की गई नई स्टडी ने मेडिकल क्षेत्र से जुड़े लोगों को बहुत बड़ी खबर दी है। स्टडी में पता चला है कि, वहा में आने के पहले पांच मिनट के भीतर ही कोरोना वायरस के संक्रमण फैलाने की क्षमता में काफी कमी आ जाती है और 20 मिनट के अंदर कोरोना वायरस 90 प्रतिशत तक बेदम हो जाता है।
कोरोना वायरस पर नया खुलासा
एक नए अध्ययन के अनुसार, हवा में आने के 20 मिनट के भीतर कोरोना वायरस 90 प्रतिशत कम संक्रामक हो जाता है और हवा में आने के पहले पांच मिनट के बाद ही संक्रमित करने की अपनी अधिकांश क्षमता खो देता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि, ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के एरोसोल रिसर्च सेंटर द्वारा प्रकाशित अध्ययन के निष्कर्ष कोविड -19 के प्रसार को रोकने के लिए फेस मास्क पहनने और सामाजिक दूरी बनाए रखने के महत्व की पुष्टि करते हैं। द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, इस नये रिपोर्ट की समीक्षा होना अभी बाती है, लेकिन इस रिपोर्ट में बहुत विस्तार से बताया गया है कि, हवा के संपर्क में आने के बाद कोरोना वायरस किस तरह से प्रतिक्रिया करता है।
हवा में कैसे फैलता है वायरस
स्टडी में कहा गया है कि, एक इंसान के शरीर से कोरोना वायरस के उसके मुंह या नाक से निकलने के बाद कम से कम पांच मिनट तक कोरोना वायरस एक्टिव रहता है और उतने देर में ये वायरस कई लोगों को संक्रमित कर सकता है। अध्ययन के प्रमुख लेखक प्रोफेसर जोनाथन रीड ने द गार्जियन को बताया कि, ''अगर लोग ऐसी जगह पर हैं, जहां वेंटिलेटर काफी कमजोर है या ऐसी जगह पर, जहां से हवा के बाहर निकलने का रास्ता काफी कम है, तो फिर वहां पर कोरोना वायरस के काफी तेजी से लोगों को संक्रमित करने का खतरा रहता है।
हवा में वायरस रहता है, तो क्या होता है?
रिसर्चर्स ने हवा में वायरस के फैलने को लेकर रिसर्च किया है, जिसमें वायरस को दो इलेक्ट्रिक रिंगों के बीच हवा में तैरने दिया गया है। शोधकर्ताओं ने वायरस युक्त कण उत्पन्न करने के लिए एक उपकरण विकसित किया और उन्हें कड़े नियंत्रित वातावरण में पांच सेकंड और 20 मिनट के बीच कहीं भी दो इलेक्ट्रिक रिंगों के बीच तैरने की इजाजत दी गई। रिसर्च में वैज्ञानिकों ने देखा कि, एक इंसान के फेफड़े से निकलने के बाद कोरोना के वायरस का पानी काफी तेजी से खत्म हो जाता है और वातावरण में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड के लोअर लेवल के संपर्क में आने के बाद वायरस की क्षमता प्रभावित होती है
संक्रमण फैलाने की क्षमता पर असर
द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, हवा में आने के कुछ देर बाद कार्बन डाइऑक्साइड मानव कोशिकाओं को संक्रमित करने की वायरस की क्षमता को प्रभावित करता है। रिसर्चर्स ने पाया कि, किसी ऑफिस के एक ऐसे वातावरण में, जहां आसपास के क्षेत्र की आर्द्रता आमतौर पर 50 प्रतिशत से कम होती है, वायरस पांच सेकंड के भीतर अपनी संक्रमण फैलाने की 50 प्रतिशत क्षमता खो देता है औ धीरे धीरे वायरस बेअसर होने लगता है। इसके साथ ही, ज्यादा आर्द्र वातावरण में, उदाहरण के लिए, स्टीम रूम या शॉवर रूम में वायरस की रफ्तार काफी धीमी हो जाती है। हालांकि, शोधकर्ताओं ने पाया कि तापमान ने वायरल संक्रामकता पर थोड़ा अंतर डाला है और गर्म वातावरण में इस वायरस की रफ्तार ज्यादा तेज होती है।
Omicron के खिलाफ वैक्सीन
दुनियाभर में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच एक राहत की खबर आई है। कोविड-19 वैक्सीन बनाने वाली कंपनी फाइजर ने कहा है कि फाइजर को उम्मीद है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट का टारगेट करने वाला कोविड-19 वैक्सीन मार्च में तैयार हो जाएगा। फाइजर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अल्बर्ट बौर्ला ने सीएनबीसी को बताया कि फाइजर पहले से ही सरकारों की गहरी दिलचस्पी के कारण वैक्सीन के निमार्ण में लगा है क्योंकि कोरोना के संक्रमण की संख्या में ओमिक्रॉन के केस बहुत अधिक हैं।
आईएचचू वेरिएंट का भी खतरा?
दुनिया के अलग अलग हिस्सों में लगातार कोरोना वायरस के अलग अलग वेरिएंट को लेकर रिसर्च चल रही है और एक नये अध्ययन में पाया गया है कि कोरोना वायरस का नया 'IHU' वेरएंट, जो पिछले महीने के अंत में फ्रांस में खोजा गया था, वो एक कमजोर वेरिएंट है और सबसे बड़ी राहत की बात ये है कि, ये काफी धीमी रफ्तार से फैलता है, लिहाजा इस वेरिएंट से काफी कम संख्या में लोग संक्रमित हो रहे हैं।