
मंकीपॉक्स के प्रकोप को लेकर चौंकाने वाला दावा, षड्यंत्रकारी सिंद्धातों ने बताई ये वजह
नई दिल्ली, 23 मई। मंकीपॉक्स (Monkeypox outbreak) को लेकर कुछ सिद्धांतकारों का दावा है इसका प्रकोप सिर्फ उन देशों में देखे जा रहा है जहां एक विशेष कोरोना वैक्सीन (corona vaccine) लगाई गई है। उनका दावा है कि मंकीपॉक्स के मामलों को कारण कोरोना का एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) टीका हो सकता है। हालांकि इस तथ्य की अब तक किसी प्रकार की पुष्टि नहीं हुई है।

दरअसल, एस्ट्राजेनेका चिंपैंजी एडेनोवायरस (Chimpanzee Adenovirus) का उपयोग कर बनाया गया कोरोना टीका है। हलांकि अब तक इन दावों की पुष्टि नहीं हुई है। वहीं कई देशों में मंकीपॉक्स के बढ़ते प्रकोप ने दुनिया को एक बार फिर से हैरत में डाल दिया है।
ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के फॉर्मेशन में चिम्पांजी के मल का प्रयोग होता है। चिम्पांजी के मल में पाए गए एडेनोवायरस से यह वैक्सीन बनाई जाती है। हलांकि वैक्सीन में इसका सीधे प्रयोग नहीं किया जाता इसे जेनेटिक तौर पर पूरी तरह से बदल दिया जाता है। इस बात की जांच की जाती है कि मनुष्य के शरीर में इसका कोई नुकसान न हो। इस समय इसे कोविड-19 वैक्सीन एस्ट्राजेनेका के रूप में जाना जाता है। पहले इसे एजेडडी 1222 (AZD1222) कहा जाता था।
घातक में कोरोना महामारी के प्रकोप से अब तक विश्व के कई देश उबर नहीं पाए हैं ऐसे में मंकीपॉक्स का प्रकोप बढ़ रहा है। मेडिकल सांइस के कुछ सिद्धांतों की माने तो मंकीपॉक्स कोरोना वैक्सीन का प्रभाव हो सकता है। पिछले दो से तीन हफ्तों के बीच मंकीपॉक्स के कुछ मामले सामने आए हैं। नई थ्योरी में यह कहा गया है कि कोविड -19 टीकों में एक चिंपांजी वायरस होता है जो मंकीपॉक्स का प्रकोप पैदा कर रहा है। यह सिद्धांत इस तथ्य पर आधारित है कि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित एस्ट्राजेनेका वैक्सीन में एक चिंपैंजी एडेनोवायरस वैक्सीन वेक्टर होता है। जबकि यह कहा जा रहा है कि यह सिद्धांतवादी लोगों में टीका विरोधी भावना पैदा करने के लिए दिया जा रहा है। वास्तव में ये सच नहीं है।
एलेक्स जोंस अमेरिका में फर्जी खबरें फैलाने के लिए जाने जाते हैं। इस बार उन्होंने कोरोना वैक्सीन को लेकर एक अलग तरीके का दावा कर डाला। उन्होंने कहा कि मंकीपॉक्स उन देशों में फैल गया है जहां लोग एस्ट्राजेनेका और जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन ले रहे हैं। जोन्स ने दावा किया कि एस्ट्राजेनेका वो वायरस वेक्टर हैं जो चिंपैंजी के जीनोम को आपकी कोशिकाओं में इंजेक्ट किए जाते हैं।
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वहीं ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने वैक्सीन के विकास के दौरान कहा कि चिंपैंजी एडेनोवायरल वैक्टर एक बहुत अच्छी तरह से अध्ययन किया गया वैक्सीन प्रकार है। इसका हजारों विषयों में सुरक्षित रूप से उपयोग किया गया है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने कहा कि इसे आनुवंशिक रूप से बदल दिया गया है ताकि इंसानों में इसका बढ़ना असंभव हो।