फेक रास्तों के सहारे महिलाएं कर रही हैं अपनी वर्जिनिटी साबित?
नई दिल्ली। इसे अब आप महिलाओं की विडंबना कहेंगे या उनकी बुरी किस्मत कि उन्हें ही हमेशा अपने आप को साबित करना पड़ता है। यही कारण है कि इन दिनों जर्मनी में कुछ मुस्लिम महिलाओं को अपनी कौमार्यता साबित करने के लिए फेक हाइमन का सहारा लेना पड़ रहा है।
मात्र 16 साल की उम्र में ही वर्जिनिटी खो रहीं हैं महिलाएं: सर्वे
जिसके कारण इन दिनों फेक हाइमन बनाने वाली कंपनियों का बोल-बाला है। दरअसल हमारे समाज में एक किवदंति है कि अगर कोई महिला वर्जिन होती है तो वेडिंग नाइट में उसके जब पति के रिलेशन बनते हैं तो उस दौरान महिला को थोडा रक्तश्रताव होता है और उसे दर्द होता है और अगर ऐसा नहीं होता तो ऐसा माना जाता है कि वो महिला या लड़की वर्जिन नहीं है।
रूढिवादी परंपराओं की वजह से महिलाएं हो रही है परेशान
लेकिन प्रगतिशील युग में आज कल चीजें काफी बदल गयी हैं, लड़कियां आज कल साइकिल चलाती हैं, स्विमिंग करती है या फिर बहुत ज्यादा एक्सरसाइज करती है इसके अलावा उनका खान-पान भी काफी फैंसी हो गया जिसके चलते कभी-कभी उपरोक्त काम के दौरान महिलाओं कि झिल्ली फट जाती है और उन्हें पता ही नहीं चलता इस कारण वेडिंग नाइट पर उनकी झिल्ली नहीं फटती और उन्हें ब्लीडिंग नहीं होती इस कारण पुरूषों को उन्हें दोष नहीं देना चाहिए और ना ही उन्हें चरित्रहीन समझना चाहिए।
वक्त बदला लेकिन नहीं बदल रही है लोगों की सोच
लेकिन मुस्लिम समाज की महिलाएं इस भय से ग्रसित हैं और इस कारण वो फेक हाइमन की तरफ झुक रही है। इन्हें बनाने वाली कंपनियां का दावा है कि यह बिल्कुल नेचुरल है और इसे यूज करने में कोई तकलीफ नहीं होती है इसे बड़ी आसानी महिलाएं अपने निचले हिस्से में लगा सकती हैं और जब उसमे दवाब पड़ता है कि इसमें नेचुरल प्रक्रिया की तरह से ब्लड निकलता है। इस हाइमन की कीमत 3580 है जो कि ऑप्रेशन के मुकाबले काफी सस्ती है।
फेक हाइमन से बचा रही हैं महिलाएं अपनी इ्ज्जत
इस हाइमन की मांग ऑनलाइन भी बहुत ज्यादा है इस कारण जर्मनी में इन दिनों इसका व्यापार काफी फल-फूल रहा है। कंपनी का दावा है कि यह मेडिकली टेस्टेड है और इसका प्रयोग करने से शरीर पर कोई हानि नहीं होती।