क्लिफ़ रिचर्ड ने बीबीसी के ख़िलाफ़ केस जीता
ब्रितानी पॉप गायक सर क्लिफ़ रिचर्ड ने बीबीसी के ख़िलाफ़ अपने घर पर पुलिस छापे की ख़बर से संबंधित निजता से जुड़ा एक अहम केस जीत लिया है.
हाई कोर्ट के जज जस्टिस मान ने बीबीसी को हरजाने के तौर क्लिफ़ रिचर्ड को 210,000 ब्रितानी पाउंड यानी करीब 1.87 करोड़ रूपये देने का आदेश दिया है.
क्लिफ़ रिचर्ड का दावा है कि 2014 में उनके घर पर हुए पुलिस छापे के सिलसिले में बीबीसी की ख़बर
ब्रितानी पॉप गायक सर क्लिफ़ रिचर्ड ने बीबीसी के ख़िलाफ़ अपने घर पर पुलिस छापे की ख़बर से संबंधित निजता से जुड़ा एक अहम केस जीत लिया है.
हाई कोर्ट के जज जस्टिस मान ने बीबीसी को हरजाने के तौर क्लिफ़ रिचर्ड को 210,000 ब्रितानी पाउंड यानी करीब 1.87 करोड़ रूपये देने का आदेश दिया है.
क्लिफ़ रिचर्ड का दावा है कि 2014 में उनके घर पर हुए पुलिस छापे के सिलसिले में बीबीसी की ख़बर उनकी "निजता का हनन" था और उन्हें ना तो कभी गिरफ्तार किया गया और ना ही उन पर आरोप तय किए गए. ये छापा एक बच्चे के साथ यौन हिंसा के आरोपों की जांच का हिस्सा था.
बीबीसी का कहना है कि वो इस मामले में अपील करने पर विचार कर रही है.
लंदन में हाई कोर्ट के सामने बीबीसी के न्यूज़ एंड करेंट अफ़ेयर्स डियरेक्टर फ्रैन उन्सवर्थ ने सर क्लिफ़ से माफ़ी मांगी और कहा, "पलट कर देखें तो, हम अलग तरह से भी काम कर सकते थे."
हालांकि उन्होंने कहा कि ये मामला प्रेस की आज़ादी के ख़िलाफ़ "अहम बदलाव" है और जनता के जानने के अधिकार का एक "महत्वपूर्ण सिद्धांत" दांव पर है.
जस्टिस मान ने अपने आदेश में कहा है कि बीबीसी ने सर क्लिफ़ के निजता के अधिकार का "गंभीर" और "सनसनीखेज" तरीके से उल्लंघन किया है.
क्या कहा जस्टिस मान ने?
जस्टिस मान ने बीबीसी के उस दावे को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि अभिव्यक्ति की आज़ादी और प्रेस के अधिकारों के तहत ख़बर का कवरेज उचित था. इसमें हेलीकॉप्टर से फिल्माया गया एक फुटेज भी शामिल था.
जस्टिस मान ने कहा कि पुलिस जांच में एक संदिग्ध व्यक्ति की भी "निजता होती है". सर क्लिफ़ की जांच चल रही थी, इसमें "गॉसिप करने वालों की रुचि हो सकती है" लेकिन असल में ये मामला "सार्वजनिक हित" का नहीं था.
उन्होंने ये भी कहा कि इस मामले का असर "प्रेस रिपोर्टिंग" पर पड़ सकता है लेकिन इसका ये मतलब कतई नहीं है कि कानून बदल रहा था या वो एक नज़ीर पेश कर रहे हैं. मानवाधिकार कानून में पहले से ही निजता के अधिकार और अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार से जुड़े मुद्दे हैं.
जस्टिस मान ने बीबीसी को सर क्लिफ़ रिचर्ड को 1,90,000 ब्रितानी पाउंड का हरजाना और पुलिस रेड के संबंध में अपनी रोपोर्ट को अवार्ड के लिए भेजने के लिए 20,000 ब्रितानी पाउंड का अतिरिक्त हरजाना देने का निर्देश दिया है.
पुलिस मांग चुकी है माफ़ी
बीबीसी को 1,90,000 पाउंड का 65 फीसदी हिस्सा साउथ यॉर्कशायर पुलिस को देना होगा जिन्होंने सर क्लिफ़ के घर पर छापा मारा था.
इससे पहले सर क्लिफ़ ने साउथ यॉर्कशायर पुलिस के ख़िलाफ़ दावा किया था जिसके बाद पुलिस 4,00,000 ब्रितानी पाउंड का हरज़ाना देने पर राज़ी हो गई थी.
कोर्ट का फ़ैसला आने के बाद साउथ यॉर्कशायर पुलिस चीफ कॉन्स्टेबल स्टीफ़न वाटसन ने कहा कि वो जांच के नतीजों को स्वीकार करते हैं और पुलिस ने पहले की इसके लिए माफी मांगी है और अपनी ग़लती स्वीकार की है.
उन्होंने कहा, "सर क्लिफ़ रिचर्ड ने जो मुश्किलें झेलीं उनके लिए मैं एक बार फिर उनसे माफी मांगना चाहूंगा."
मामले में फ़ैसला आने के बाद क्लिफ़ रिचर्ड ने कहा कि "ये बढ़िया ख़बर है" और बीबीसी का "दम घुट रहा है".
क्या था मामला?
अगस्त 2014 में साउथ यॉर्कशायर पुलिस के बर्कशायर के सनिंगडेल में मौजूद क्लिफ़ रिचर्ड के घर पर छापा मारा था. इस सिलसिले में बीबीसी पर प्रसारित एक ख़बर के ख़िलाफ़ 77 साल के सर क्लिफ़ अदालत पहुंचे थे.
पुलिस एक व्यक्ति के लगाए आरोपों की जांच के सिलसिले में उनके घर पर छापा मारने पहुंची थी. इस व्यक्ति का आरोप था कि क्लिफ़ रिचर्ड ने 1985 में शेफिल्ड युनाईटेड के ब्रामाल लेन हुए एक संगीत आयोजन में उनका यौन शौषण किया था और जब ये घटना हुई तब वो बच्चे थे.
सर क्लिफ़ के वकील गिदों बेनाएम का कहना था कि सर क्लिफ़ का उद्देश्य "निजी फायदा नहीं" बल्कि "ग़लत को सही करना" था.
उन्होंने कहा कि 1958 में परफॉर्म करने की शुरुआत करने वाले सर क्लिफ़ के अब तक 25 करोड़ रिकॉर्ड बिक चुके हैं और "उन्होंने कभी उम्मीद नहीं की थी कि उनकी निजता का हनन किया जाएगा और उनकी छवि को इस तरह ख़राब किया जाएगा".
गिदों बेनाएम ने कहा कि उनके क्लाइंट ने बीबीसी को माफी मांगने और "उचित हरजाना" दे कर मामला सुलझाने के लिए कहा था लेकिन बीबीसी ने इससे "इनकार कर दिया था."
जस्टिन मान ने कहा है कि सर क्लिफ़ का कहना है कि बीबीसी की ख़बर के कारण उनके "काम का नुक़सान हुआ है" और उनके "सम्मान को भी ठेस" पहुंची है, लेकिन इस बारे में फ़ैसला लेने के लिए फिर सुनवाई होगी, जिसमें इस कारण हुए नुक़सान पर बात होगी.
सर क्लिफ़ का कहना है कि अगस्त 2014 से पहले वो हर देढ़ साल में एक ऐलबम रिलीज़ करते थे और संगीत आयोजनों में परफॉर्म करते थे. लेकिन पुलिस छापे के बाद दो साल तक, तब तक वो कुछ नहीं कर पाए जब तक अभियोजन पक्ष ने उन्हें ये नहीं बताया कि उन पर कोई आरोप नहीं तय किए जाएंगे.
सर क्लिफ़ ने मानवाधिकार कानून के तहत अपनी निजता के अधिकार के हनन की दलील दी जबकि बीबीसी का कहना था कि ये कानून अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार की रक्षा करता है.
कानून में बदलाव की मांग
कंज़र्वेटिव सांसद अन्ना सॉब्री ने प्रधानमंत्री से कानून में बदलाव लाने के लिए अपील की है.
उन्होंने इस घटना के आधार पर इसे "क्लिफ़ का कानून" कहते हुए कहा कि "जब तक किसी संदिग्ध व्यक्ति पर आरोप नहीं तय हो जाता तब तक मीडिया को उनके नाम को गोपनीय रखना चाहिए."
इसके उत्तर में प्रधानमंत्री टेरीज़ा मे ने कहा कि "यह एक बहुत ही मुश्किल मुद्दा" था और "सावधानी के साथ फ़ैसला" लेने की ज़रूरत थी.
प्रधानमंत्री ने कहा, "ऐसे मामले हो सकते हैं जहां किसी व्यक्ति का नाम का लेने से अन्य पीड़ितों को सामने आने में मदद मिलती है इसलिए कोई मामला मज़बूत भी हो सकता है."
उन्होंने ये भी कहा कि पुलिस और मीडिया दोनों को "अपनी जिम्मेदारियों को पहचानना चाहिए."