राष्ट्रपति जिनपिंग का कार्यकाल असीमित करने की आलोचना करने वालों को चीनी मीडिया ने कहा दुष्ट और बेशर्म!
चीन में रविवार को एक एतिहासिक राजनीतिक सुधार के बाद राष्ट्रपति शी जिनपिंग को पूरी जिंदगी चीन पर राज करने ताकत मिल गई है। पश्चिमी मीडिया ने चीन के इस कदम की आलोचना की और काफी कुछ लिखा है। चीन की मीडिया ने उनके राष्ट्रपति की आलोचना करने वालों को 'बेशर्म'और 'दुष्ट' करार दिया है।
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बीजिंग। चीन में रविवार को एक एतिहासिक राजनीतिक सुधार के बाद राष्ट्रपति शी जिनपिंग को पूरी जिंदगी चीन पर राज करने ताकत मिल गई है। पश्चिमी मीडिया ने चीन के इस कदम की आलोचना की और काफी कुछ लिखा है। अब चीन की मीडिया ने उनके राष्ट्रपति की आलोचना करने वालों को 'बेशर्म', 'दुष्ट' और 'नकरात्मक विचारों' वाला करार दिया है। रविवार को चीन के सांसदों ने उस बिल को मंजूरी दे दी थी जिसके तहत संविधान में बदलाव करके राष्ट्रपति का कार्यकाल दो वर्षों से बढ़ाकर असीमित अवधि का कर दिया गया है। चीन के सरकारी अखबार ने अब इस कदम की आलोचना करने वाली पश्चिमी मीडिया को जवाब दिया है।
चीन की आलोचना करना आदत है
चाइना डेली ने अपने एडीटोरियल में लिखा है, 'पश्चिम के कुछ देशों की आदत बन चुकी है कि वे हमेशा चीन की राजनीतिक व्यवस्था को लेकर बुरा बोलते रहते हैं। जब कभी भी चीन की बात होती है वह अक्सर यहां की परिस्थितयों को अलग नजरिए से देखना पसंद करते हैं।' चाइना डेली को चीन की कम्युनिस्ट सरकार की मुखपत्र माना जाता है। इस डेली ने दावा किया है कि राष्ट्रपति पद का कार्यकाल असीमित करने का मतलब यह नहीं है कि किसी नेता को पूरी जिंदगी चीन पर राज करने का विकल्प मिल गया है। न्यूजपेपर का दाव राजनीति विशेषज्ञों से काफी अलग है।
बेहतर है चीन का भविष्य
एडीटोरियल में आगे लिखा है कि फिर भी पश्चिमी देशों के कुछ लोग इसका उलटा मतलब ही निकालेंगे। चाइना डेली की मानें तो वह चीन की वास्तविकता को नजरअंदाज करना चाहते हैं। चाइना डेली ने कहा है कि झूठे दावे करने का पश्चिमी मीडिया को कोई पछतावा भी नहीं है और वह बेशर्मों की तरह बोलते रहते हैं। वहीं ग्लोबल टाइम्स ने आलोचकों को पिछली सीट का ऐसा ड्राइवर बताता है जो हर समय चीन को अपनी अवांछित सलाह देता रहता है। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि चीन का रास्ता मजबूत नेतृत्व से होकर गुजरता है। पार्टी सेंट्रल कमांड कमेटी शी जिनपिंग के साथ इसे पूरा करने में लगी हुई है। रविवार को चीन की सेंट्रल कमांड कमेटी ने जिनपिंग के लिए अपना समर्थन जाहिर किया और 2,964 लोगों ने नए प्रस्ताव किए लिए वोट किया।
साल 1982 में हुई थी शुरुआत
संसदीय अधिकारी शेन शुनआयो ने इस फैसले का बचान किया। चीन में राष्ट्रपति का कार्यकाल दो वर्ष तक सीमित करने की परंपरा की शुरुआत साल 1982 में हुई थी जब माओत्से तुंग के शासन का पतन हुआ था। शेन ने इन दावों को खारिज कर दिया कि नए संविधान के साथ ही चीन में तानाशाही का समय फिर से वापस आ जाएगा। उनका कहना था कि चीन की भविष्य काफी उज्जवल है और यह एक बेहतर भविष्य की ओर बढ़ रहा है।
2012 में पहली बार बने थे राष्ट्रपति
साल 2007 में शी जिनपिंग को कम्युनिस्ट पार्टी का पावर सेंटर माने जाने वाले पोलित ब्यूरो में जगह मिली। यहां पर जगह पाने के बाद उन्हें चीन के पूर्व राष्ट्रपति हूं जिताओ का उत्तराधिकारी माना जाने लगा था। इस साल शी जिनपिंग को पार्टी जनरल सेक्रेटरी और सैन्य आयोग का चेयरमैन बनाया गया। इसके बाद शी जिनपिंग ने चीन के राष्ट्रपति का पद संभाला और सरकार के उन सभी आयोग की कमान संभाल ली, जिनका सेना पर नियंत्रण था।