नेपाल के पीएम ओली को बचाने के लिए आगे आईं उनकी 'करीबी' चीन की राजदूत
काठमांडू। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली चीन से करीबियों के चलते अपने ही देश में घिरते जा रहे हैं। अब उनकी रक्षा के लिए चीन ने अपने राजनियक को सक्रिय कर दिया है। नेपाल में चीन की राजदूत होऊ यांकी ने नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के नेता झालानाथ खनल से मंगलवार को मुलाकात की है। यांकी पिछले कुछ दिनों से पार्टी के उन नेताओं से मुलाकात करने में बिजी हैं जो ओली के विरोध में हैं। पूर्व नेपाली पीएम पुष्प दहल कमल 'प्रचंड', राष्ट्रपति बिधया देवी भंडारी और पार्टी के सीनियर लीडर्स माधव कुमार नेपाल से यांकी अब तक मिल चुकी हैं।
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आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप का आरोप
यांकी ऐसे समय में मुलाकात कर रही हैं जब उन पर नेपाल की आतंरिक राजनीति में हस्तक्षेप के आरोप लग रहे हैं। मंगलवार को यांकी ने कई घंटों तक मीटिंग्स की है। नेपाल और खनल दोनों ही पूर्व पीएम रहे हैं। दोनों ही इस समय प्रचंड के खेमे में हैं और प्रचंड खेमा ओली का खासा विरोध कर रहा है। होउ और प्रचंड के बीच मीटिंग में कोई भी नतीजा नहीं निकला है। प्रचंड उस मुहिम को लीड कर रहे हैं जिसका मकसद ओली को बाहर करना है। प्रचंड और यांकी की एक मुलाकात पहले हो चुकी है और अब वह उनसे दोबारा नहीं मिलना चाहते हैं। हालांकि अभी कोई नहीं कह सकता है कि कब तक वह अपनी बात पर अडिग रह पाते हैं। पीएम ओली और यांकी की करीबियों को नेपाल में बहुत विरोध झेलना पड़ रहा है।
चीनी दूतावास बोला अच्छे रिश्तों के समर्थक
उधर चीन के दूतावास की तरफ से हाउ की मीटिंग्स का बचाव किया गया है। दूतावास की प्रवक्ता झांग सी ने काठमांडू पोस्ट को बताया है कि चीन नहीं चाहता है कि नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी पर कोई संकट आए और उसकी ख्वाहिश है कि नेता अपने आपसी मतभेदों को सुलझा लें, एक साथ रहें। काठमांडू पोस्ट ने उनके हवाले से लिखा है, 'दूतावास नेपाली नेताओं के साथ अच्छे रिश्ते चाहता है और किसी भी सुविधाजनक समय पर समान हितों से जुड़ें मसलों पर अपने विचार-विमर्श के लिए तैयार है।' झांग सी के मुताबिक चीनी राजदूत और दूतावास के नेपाल की सरकार के साथ काफी अच्छे रिश्ते हैं। इसके अलावा नेपाल की दूसरी राजनीतिक पार्टियों और थिंक टैंक्स तक में अच्छी पकड़ है।