अमेरिका ने कहा, दूसरे देशों की संप्रभुता का सम्मान नहीं कर रहा है चीन
नई दिल्ली। अमेरिकी विदेश मंत्रालय में उप सचिव (ईस्ट एशियन और पैसिफिक अफेयर्स) डेविड स्टिलवेल ने कहा है कि चीन दूसरे देशों की संप्रभुता का सम्मान नहीं कर रहा है। उन्होंन कहा है कि बीजिंग दक्षिण चीन सागर में दूसरे देशों के संप्रभु अधिकारों को कमजोर करने और उन संसाधनों तक पहुंच से वंचित करने के लिए काम कर रहा है जो उन राज्यों के हैं, जो चीन के नहीं हैं। चीन अंतरराष्ट्रीय कानून को धमकियों से और जबरदस्ती बदलना चाहता है। हाल के महीनों में जबकि दुनिया ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई पर ध्यान केंद्रित किया है, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चीन (पीआरसी) ने दक्षिण चीन सागर में अधिकार बनाने के लिए अपने अभियान को तेज कर दिया है।
इससे पहले डेविड स्टिलवेल से जब भारत-चीन झड़प के बार में पूछा गया तो उन्होंने कहा था कि ऐसा लगता है कि जब दुनिया कोरोनावायरस के साथ लड़ाई में जुटी हुई है और सभी अपनी जीवन बचाने में व्यस्त हैं तो ऐसा लगता है कि चीन इस हालात का फायदा उठाने के तौर पर देख रहा है।
हाल के दिनों में भारत और अमेरिका के बीच काफी तनातनी देखने को मिल रही है। अमेरिका ने हाल ही में उइगर मुस्लिमों के मानवाधिकार उल्लंघनों के आरोपों को लेकर चीन के शिनजियांग क्षेत्र के प्रमुख चेन क्वांगु सहित चार चीनी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। इन अधिकारियों में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी का एक क्षेत्रीय प्रमुख भी शामिल है. चीन पर संसाधन संपन्न उत्तर पश्चिम प्रांत में उइगुर समुदाय के लोगों को सामूहिक तौर पर हिरासत में रखने, धार्मिक उत्पीड़न और जबरन नसबंदी के आरोप हैं। अमेरिकी सरकार के बैन के बाद ये अधिकारी अमेरिका में प्रवेश नहीं कर सकेंगे।
अमेरिका के प्रतिबंध लगाने के बाद चीन ने भी अमेरिका के कई शीर्ष अधिकारियों और नेताओं के वीजा को बैन कर दिया। चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि वो अमेरिकी सीनेटर मार्को रुबिओ और टेड क्रूज, धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी अमेरिकी राजदूत सैमुअल ब्राउनबैक और कांग्रेस सदस्य क्रिस स्मिथ के खिलाफ वो प्रतिबंध लगा रहा है। इसके साथ ही चीन ने अमेरिकी कांग्रेस कार्यकारी आयोग (सीईसीसी) पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।
ये भी पढ़ें- अमेरिका की ओर से प्रतिबंधों पर चीन की जवाबी कार्रवाई, सीनेटरों पर लगाया बैन