जापान ने दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहली बार नौसैनिक यूनिट खड़ी कर चीन की उड़ाई नींद
बीजिंग। साउथ और ईस्ट चाइना सी में बढ़ते विवाद के बाद जापान अब धीरे-धीरे फिर से अपनी मिलट्री विकसित करने में लगा है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद जापान ने पहली बार अपनी नई नौसैनिक यूनिट को तैयार की है, जिसने चीन के लिए चिंताए खड़ी कर दी है। जापान की यह एंफिबियस स्पेशल यूनिट दूर-दराज के द्वीपों पर अटैक करने की क्षमता रखती है। जापान की मिलिट्री गतिविधियां को एशियाई पड़ोसियों मुल्क भी बहुत ही गंभीरता से नजर रखे रहे हैं। जापान मिलिट्री में हुई नई और ताकतवर डिवेलपमेंट के बाद चीन की चिंताए इसलिए बढ़ा दी है, क्योंकि टोक्यो और बीजिंग के बीच क्षेत्रीय विवाद का इतिहास रहा है।
फिर से मिलिट्री की ओर लौटता जापान
जापान के सेल्फ डिफेंस फोर्स ने दक्षिण पश्चिमी क्यूशू द्वीप पर सासेबू के निकट शनिवार को अपनी नई एंफिबियस रैपिड डिवेलपमेंट ब्रिगेड (ARDB) का प्रदर्शन किया। इस युनिट में करीब 1,500 जवान खाकी धारियों वाली यूनिफॉर्म में देखा जा सकता है, जो जापानी द्वीपों को पुनः प्राप्त करने वाली अपनी पुरानी आक्रमणकारी सेना की तरह ही है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद जापान की यह पहली समुद्री सैनिक युनिट है।
घबराया चीन
चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपने एडिटोरियल पेज में एक आर्टिकल लिखकर जापान मिलिट्री की इस नई डिवेलपमेंट पर चिंता व्यक्त की है। ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि ना सिर्फ चीन के लिए, बल्कि पूरे एशिया को जापान के सैन्यवाद पुनर्जीवित पर ध्यान देने की जरूरत है। अखबार ने लिखा कि अगर क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा के बहाने से जापान सैन्यवाद को फिर से खड़ा करने की सोच रहा है, क्षेत्रीय देशों को सतर्क हो जाना चाहिए।
WW II के बाद से चीन-जापान है दुश्मन
ईस्ट चाइना सी में कई द्वीपों पर चीन अपना हिस्सा बताता आया है। वहीं, जापान जिस द्वीप को सेंकाकू कहकर उसे अपना बताता रहा है, तो चीन उसे दियाओयू कहकर अपना हिस्सा होने का दावा करता रहा है। ईस्ट चाइना सी में कई बार चीन और जापान के बीच डिप्लोमेटिक वॉर वर्ड्स को देखा गया है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद चीन और जापान के रिश्तों में बहुत कम सुधार देखने को मिला है।
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