ऑस्ट्रेलिया और जापान के बीच बड़े रक्षा समझौते से घबराया चीन, बोला-इसका नतीजा भुगतना होगा
बीजिंग। पिछले दिनों क्वाड संगठन के दो देशों ऑस्ट्रेलिया और जापान के बीच एक एतिहासिक रक्षा समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया और जापान मिलिट्री सहयोग बढ़ाने पर रजामंद हुए हैं। यह समझौता हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए काफी अहम है और अब चीन की आंखों में खटक रहा है। चीन की तरफ से दोनों देशों को चेतावनी दी गई है। बीजिंग की तरफ से कहा गया है कि यह कदम ऐसा है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और वह इसके खिलाफ कोई कदम जरूर उठाएगा।
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क्यों एतिहासिक है दोनों के बीच हुई डील
जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच जो समझौता हुआ है उसे रेसिप्रोकल एक्सेस एग्रीमेंट का नाम दिया गया है। यह दौरा ऑस्ट्रेलिया के पीएम स्कॉट मॉरिसन की जापान यात्रा के दौरान सैद्धांतिक तौर पर हो चुका है हालांकि औपचारिक तौर पर इसे साइन किया जाना बाकी है। इस समझौते के बाद ऑस्ट्रेलिया और जापान की सेनाएं एक-दूसरे के बेसेज का प्रयोग कर सकेंगी। बताया जा रहा है कि इस डील के बाद दोनों देशों के संबंध और गहरे हो सकेंगे। चीन की सरकार की तरफ से अभी तक औपचारिक तौर पर इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। लेकिन चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने इस समझौते पर टिप्पणी की है। अखबार के मुताबिक जापान और ऑस्ट्रेलिया , अमेरिका की तरफ से अपने सबसे बड़े व्यापारिक साझीदार चीन को सुरक्षा के लिए खतरे के तौर पर पेश कर एक खराब उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है।
दुनिया की तरफ से प्रतिक्रिया
ग्लोबल टाइम्स का यह आर्टिकल चीनी और अंग्रेजी दोनों भाषा में जारी हुआ है। इसमें आगे लिखा है, 'चीन, अमेरिका के प्रति तटस्थ नहीं रहने वाला है जिसका मकसद देशों को चीन के खिलाफ भड़काना है। यह एकदम अस्वीकार्य है और चीन हर हाल में कोई कदम उठाएगा।' आर्टिकल के मुताबिक जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश हमेशा अमेरिका के हाथों हथियार की तरह प्रयोग होते आए हैं। ऐसे में इस बात का खतरा काफी बढ़ जाता है कि जो हथियार को प्रयोग कर रहा है, उसे कम नुकसान होगा और हथियार को सबसे ज्यादा चोट पहुंचने वाली है। कुछ देशों की मीडिया ने दोनों देशों के बीच हुए समझौते को एक एतिहासिक समझौता करार दिया है। जापान दुनिया का इकलौता देश है जिसने ऑस्ट्रेलिया के ऊपर बम गिराया था।