Ladakh tension: लद्दाख की कड़ाके की ठंड से डरा चीन, भारत से कहा-जल्द निकाला जाए कोई रास्ता
बीजिंग। पूर्वी लद्दाख में सात सितंबर के बाद से भारत और चीन के बीच स्थिति बेहद तनावपूर्ण हो गई है। लेकिन इसके बाद भी चीन चाहता है कि जल्द से जल्द पूर्वी लद्दाख में डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाए। पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) और चीनी सरकार को इस बात की चिंता सता रही है कि लद्दाख में जल्द ही कड़ाके की ठंड का मौसम शुरू हो जाएगा और ऐसे में वह जल्द से जल्द सेनाओं को पीछे करना चाहता है। मंगलवार को चीनी विदेश मंत्रालय के बयान में इस बात की पुष्टि होती है।
यह भी पढ़ें-चीन बॉर्डर पर सियाचिन से हालातों के लिए रेडी इंडियन आर्मी
चीन सरकार बोली- यह जगह इंसानों के लिए नहीं
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने एक रेगुलर प्रेस ब्रीफिंग में इस बात की उम्मीद जताई है कि जवान अपने कैंपिंग एरिया में चले जाएंगे और आने वाले दिनों में बॉर्डर के इलाकों में ज्यादा टकराव नहीं होगा। उन्होंने कहा, 'आप जानते हैं कि इस जगह पर प्राकृतिक स्थितियां बहुत ही खराब हैं और यह 4,000 मीटर से भी ज्यादा की ऊंचाई पर है। यह जगह इंसानों के रहने के लिए अच्छी नहीं है। ऐसे में हम उम्मीद करते हैं कि राजनयिक और मिलिट्री चैनल्स के जरिए और परामर्श के जरिए जल्द से जल्द डिसइंगेजमेंट का लक्ष्य हासिल हो सकेगा और हम किसी नतीजे पर पहुंच पाएंगे।'
सेना ने कहा LAC नहीं की पार
सूत्रों के मुताबिक पीएलए के 40 जवान इस समय भारतीय जवानों से बस 200 मीटर की दूरी पर है। सोमवार को चीनी जवानों ने इस तरफ जब बढ़ने की कोशिशें की तो सेना की तरफ से उन्हें दूर रहने की वॉर्निंग दी गई थी। सेना की तरफ से कहा गया है, ' सात सितंबर को चीन के पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) जवानों की तरफ से एलएसी के इस तरफ हमारी फॉरवर्ड पोजिशन के करीब आने की कोशिश की गई और जब हमारे जवानों ने रोका तो पीएलए की तरफ से हवाई फायरिंग हुई जिसका मकसद हमारे जवानों को डराना था।' भारतीय सेना ने एलएसी पार करने से इनकार कर दिया है।
हथियारों के साथ बढ़े थे चीनी सैनिक
झाओ की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भारत और चीन ने एक दूसरे पर हवाई फायरिंग का आरोप लगाया है। न्यूज एजेंसी पीटीआई ने कहा है, 'एलएसी पर हथियारों के प्रयोग के बाद से बॉर्डर पर तनाव गंभीर रूप से बढ़ गया है और इससे पहले आखिरी बार सन् 1975 में फायरिंग की घटना हुई थी।' सरकार के सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि पीएलए जवानों ने सात सितंबर को शाम करीब छह बजे लद्दाख में मुखपारी पीक और रेकिन ला इलाकों में भारतीय जवानों को हटाने की कोशिशें की। इस कोशिश के तहत करीब 50 पीएलए जवान आक्रामकता के साथ मुखपारी पीक की तरफ बढ़े। उनके हाथों में तेज धारदार हथियार और रॉड्स थीं।
-50 डिग्री तक पहुंच जाता है तापमान
लद्दाख में जब सर्दियां शुरू होती हैं तो तापमान -50 डिग्री तक चला जाता है और हवा भी 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है। भारत सरकार ने इंडियन आर्मी के लिए सियाचिन जैसी तैयारियां शुरू कर दी है। भारतीय जवानों ने खुद को लद्दाख में लंबे टकराव के लिए तैयार कर लिया है। सरकार के सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि दुनियाभर के सप्लायर्स से सेना ने संपर्क किया है और अत्यधिक सर्दी में जरूरी उपकरणों की खरीद की तैयारी शुरू कर दी है। सेना के जवानों को अब उसी प्रकार के सुरक्षा उपकरण मिलने वाले हैं जो सियाचिन में तैनात ट्रूप्स के पास हैं। सेना के लिए सर्दी के मौसम के लिए उपकरणों में थर्मल वियर से लेकर चश्मे तक शामिल होते हैं।