गलवान घाटी हिंसा में शामिल चीनी सेना की टुकड़ी रूस में कर रही युद्धाभ्यास
मॉस्को। रूस में 21 सितंबर से कावकाज 2020 नाम से एक मिलिट्री ड्रिल का आयोजन हो रहा है। रूस के अस्त्राखान क्षेत्र में आयोजित हो रही यह मिलिट्री ड्रिल 26 सितंबर को खत्म हो जाएगी। इस ड्रिल में रूस के अलावा चीन, पाकिस्तान, ईरान, म्यांमार, बेलारूस और आर्मेनिया जैसे देश हिस्सा ले रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) ने अपनी उसी यूनिट को एक्सरसाइज के लिए भेजा है जो 15 जून को लद्दाख की गलवान घाटी में हुई हिंसा में शामिल थी।
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भारत ने ठुकराया था आमंत्रण
कावकाज 2020 जिसे कॉकस 2020 के नाम से भी बुलाया जा रहा है, उसमें भारत को भी आमंत्रित किया गया था। भारत की तरफ से इस निमंत्रण को ठुकरा दिया था। चीन के रक्षा मंत्रालय की तरफ से बयान जारी कर कुछ दिनों पहले बताया गया था कि इस एक्सरसाइज के लिए पीएलए की वेस्टर्न थियेटर कमांड से एक यूनिट को भेजा जाएगा। सूत्रों की मानें तो वेस्टर्न थियेटर कमांड से उसी यूनिट को भेजा गया है जो गलवान घाटी हिंसा में शामिल थी। चीन के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इस मिलिट्री ड्रिल में मकसद किसी भी तीसरे पक्ष को कोई संदेश देना या फिर क्षेत्रीय स्थिति से कोई लेना देना नहीं है। माना जा रहा है कि रक्षा मंत्रालय का बयान, लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर जारी स्थिति से ही था। भारत की तरफ से कोविड-19 को वजह बताते हुए मिलिट्री एक्सरसाइज में हिस्सा लेने से मना कर दिया गया था। कहा गया था कि भारत सरकार नहीं चाहती है कि जवान, कोविड-19 महामारी के बीच एक्सरसाइज का हिस्सा बने और संक्रमण की चपेट में आएं। उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रूस में मिलिट्री ड्रिल से दूर बनाने का फैसला किया गया।
भारत का इनकार, चीनी मीडिया की सुर्खियां
चीन का कहना है कि इस मिलिट्री ड्रिल का रूस के साथ रिश्तों को लेकर अलग ही महत्व है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक मिलिट्री ड्रिल की वजह से इस मौके पर जब दुनिया महामारी से लड़ रही है, चीन-रूस के रिश्ते नई ऊंचाईयों को छुएंगे। चीन की मीडिया में इस बात को खासी तवज्जो दी गई थी कि भारत, मिलिट्री ड्रिल में शामिल नहीं हो रहा है। साथ ही मीडिया ने इस बात के कयास भी लगाए गए थे कि क्यों नई दिल्ली इस युद्धाभ्यास से दूरी बना रहा है। चीन के आधिकारिक अंग्रेजी न्यूज चैनल ने तो यहां तक कह दिया था कि महामारी इसकी असली वजह नहीं हो सकती है। मॉस्को में अमेरिकी राजनीति पर लिखने वाले एंड्रयू कोरीब्को ने सीजीटीएन के लिए आर्टिकल में लिखा में था, 'जो भी बातें कही जा रही हैं, उसमें इस तथ्य को नजरअंदाज किया जा रहा है कि भारत ने अपने कई जवानों को पूरी गर्मी चीन के साथ लगी एलएसी पर कई बार तैनाती के लिए भेजा है। ऐसे में इस बात को मानना कि भारत, रूस में होने वाली मिलिट्री ड्रिल के लिए अपने जवानों को नहीं भेजा, बेमानी लगता है।'