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Tianmen Square: 31 साल पहले चीन की आर्मी ने अपने ही नागरिकों पर चढ़ा दिए थे टैंक, ये थी वजह

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बीजिंग। चार जून को दुनिया में एक ऐसे नरसंहार के 31 साल पूरे हो गए हैं जिसे दुनिया तियानमेन स्‍क्‍वायर नरसंहार के तौर पर जानती है। 31 साल पहले इस घटना ने दुनिया के सामने चीन की दमनकारी नीतियों को सामने लाकर रख दिया था। आज चीन, अमेरिका में जारी विरोध प्रदर्शन या फिर जम्‍मू कश्‍मीर पर टिप्‍पणी करता है तो भूल जाता है कि उसकी अपनी जमीन पर मिलिट्री टैंक्‍स ने हजारों निर्दोष लोगों को जिंदा रौंद दिया था। तीन दशक के बाद चीन का वही रवैया नजर आ रहा है और इस बार शायद उसके निशाने पर हांगकांग और ताइवान हैं। पिछले दिनों तो टॉप चीनी जनरल ने ताइवान में मिलिट्री एक्‍शन तक की बात कह डाली है। जानिए क्‍या था तियानमेन स्‍क्‍वायर नरसंहार और कैसे चीन की मिलिट्री ने किया था अपने नागरिकों का 'कत्‍ल'।

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10,000 लोगों की हो गई थी मौत

10,000 लोगों की हो गई थी मौत

जून 1989 को चीन की राजधानी बीजिंग में एक ऐसा विरोध प्रदर्शन हुआ था जिसमें 10,000 लोगों की जान चली गई थी। आज भी दुनिया उसे तियानमेन स्‍क्‍वॉयर प्रोटेस्‍ट के नाम से जानती है। इस विरोध प्रदर्शन को आज तक चीन का सबसे खतरनाक विरोध प्रदर्शन माना जाता है। उस समय कम्युनिस्ट पार्टी ने बीजिंग में तियानमेन चौक के आसपास शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए टैंक भेजे थे।15 अप्रैल 1989 से शुरू हुआ यह प्रोटेस्‍ट चार जून 1989 को खत्‍म हो सका था। ये एक ऐसा आंदोलन था जिसने राजनीतिक मतभेद और सेना के बीच तालमेल की कमी को दुनिया के सामने लाकर रख दिया था। आज भी चीन की सेना इस घटना के बारे में बात करने से कतराती है क्‍योंकि जिस तरह से सेना ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अपनी ताकत का प्रयोग किया, उसकी वजह से उसकी दुनियाभर में आलोचना होती है। चीन की सरकार कहती है कि इसमें 200 लोग मारे गए थे लेकिन अगर मानवाधिकार संगठनों की बात करें तो इन प्रदर्शनों में करीब 10,000 लोगों की मौत हो गई थी।

क्‍या थी प्रदर्शन की वजह

क्‍या थी प्रदर्शन की वजह

बीजिंग से शुरू हुआ यह विरोध प्रदर्शन चीन के बाकी शहरों जैसे शंघाई तक बढ़ गया था। चीन के इतिहास में यह पहला मौका था जब किसी पब्लिक प्रोटेस्‍ट के लिए इस कदर भीड़ उमड़ी थी। चीन में यह प्रदर्शन कम्यूनिस्ट पार्टी के पू्र्व जनरल सेक्रेटरी और उदारवादी नेता हू याओबांग की मौत के बाद शुरू हुए थे। हू चीन के रुढ़िवादियों और सरकार की आर्थिक और राजनीतिक नीति के विरोध में थे और हारने के कारण उन्हें हटा दिया गया था। चीन के कई छात्रों ने उन्हीं की याद में मार्च आयोजित किया था। लेकिन देखते ही देखते यह मार्च एक हिंसक प्रदर्शन में तब्‍दील हो गया। कहते हैं कि चीन की सेना छात्रों पर टैक तक चढ़ाने से पीछे नहीं हटी थी। इस एक नरसंहार का नाम दिया गया था और पांच जून, 1989 को चीन की सरकार ने कहा कि करीब 200 लोगों की मौत हुई है।

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टैंकों के साथ सड़क पर उतर आई सेना

टैंकों के साथ सड़क पर उतर आई सेना

अमेरिकी मैगजीन टाइम की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक अप्रैल 1989 को शुरुआत में सरकार के खिलाफ इस मुहिम को बड़ी संख्या में लोगों का समर्थन मिलने लगा। इसके बाद 19 मई को प्रधानमंत्री ली पेंग के आदेश के बाद मार्शल लॉ लागू कर दिया गया और सेना टैंक के साथ सड़कों पर उतर आई। फिर तीन जून की रात और चार जून को तड़के सुबह सेना ने प्रदर्शनकारियों प्रदर्शन कर रहे छात्रों को खदेड़ना शुरू कर दिया। सेना ने लोगों पर गोलियां और बम चलाने से भी खुद को नहीं रोका। पीपुल्‍स लिब्रेशन आर्मी की ओर से हुई इस कार्रवाई में हजारों लोग मारे गए। असली आंकड़ा आज तक किसी को भी नहीं पता है। थियानमेन स्‍क्‍वायर पर करीब 1.2 बिलियन लोग इकट्ठा हो गए थे। कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के जनरल सेक्रेटरी झाओ जियांग रैली में आए और उन्‍होंने लोगों से प्रदर्शन खत्‍म करने की मांग की।

आज तक इंटरनेट पर ब्‍लॉक घटना की जानकारी

आज तक इंटरनेट पर ब्‍लॉक घटना की जानकारी

चीन की सरकार को आज तक उस घटना से इतनी घबराहट होती है कि उसने इंटरनेट पर भी इससे जुड़ी कोई भी जानकारी अपलोड नहीं होने दी है। चीन में इस विरोध प्रदर्शन से जुड़ी कई जानकारियां देने वाली वेबसाइट्स कोआज तक ब्‍लॉक किया हुआ है। आलम यह है कि चीन में थियानमेन स्‍क्‍वायर सर्च करते ही आपको इससे मिलते-जुलते शब्‍द भी नहीं मिलेंगे। जो शब्‍द सरकार ने ब्‍लॉक किए हैं उनमें 6,4, 1989, जो शायद विरोध प्रदर्शन की तारीख के मद्देनजर ब्‍लॉक है, 4 जून 1989, 23, इन नंबरों के अलावा कैंडल, एंड नेवर फॉरगेट, टूडे, दैट डे, टुमॉरो, स्पेशल डे जैसे शब्‍द भी ब्‍लॉक हैं। सरकार इस मामले को बढ़ावा देने के मूड में नहीं हैं। कम्‍युनिस्‍ट पार्टी तो आज तक मानती है कि चौक पर कोई व्यक्ति मारा नहीं गया, लेकिन उसके आस-पास की सड़कों पर सेना की गोलियों का शिकार होकर सैंकड़ों प्रदर्शनकारी मारे गए थे।

रेडियो एनाउंसर ने बताया 1000 की मौत

रेडियो एनाउंसर ने बताया 1000 की मौत

चीन की सरकार को उस समय शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ा जब सोवियत संघ के मुखिया मिखाइल गोर्बाचोच चीन के दौरे पर आए। 30 वर्षों में यह पहला मौका था जब कोई नेता चीन का दौरा कर रहा था। चीन ने उनके सम्‍मान में थियामेन स्‍क्‍वायर पर स्थित ग्रेट हॉल ऑफ पीपुल में एक राजकीय भोज का आयोजन किया। विरोध प्रदर्शन तब तक उग्र रूप ले चुका था और गोर्बाचोव को इस हॉल के पिछले दरवाजे से अंदर लाया जा सका था। 4 जून 1989 को 50 ट्रकों में भरकर हजारों सैनिक सड़कों पर आ गए थे। प्रदर्शनकारियों ने दो सैनिकों को भी पीटा था जब उन्‍होंने एक नागरिक पर गोली चलते देखी थी। टैंकों को आग लगा दी गई थी और वह भी तब जब सैनिक उसके अंदर मौजूद थे। उस समय एक डॉक्‍टर का कहना था कि कम से कम 500 लोग मारे गए हैं जबकि एक रेडियो अनाउंसर ने कहा था कि करीब, 1,000 लोग मारे गए हैं।

क्‍या हैं ब्रिटेन के आंकड़े

क्‍या हैं ब्रिटेन के आंकड़े

चीन में तत्कालीन ब्रिटिश राजदूत एलन डोनाल्ड ने लंदन भेजे गए एक टेलीग्राम में कहा था, ‘कम से कम दस हजार आम लोग मारे गए।' घटना के 28 साल से भी ज्यादा समय बाद पिछले वर्ष इस विरोध प्रदर्शन से जुड़े कुछ डॉक्‍यूमेंट्स सार्वजनिक किए गए थे। इन्‍हीं डॉक्‍यूमेंट्स में यह जानकारी दी गई थी। यह डॉक्‍यूमेंट्स ब्रिटेन के नेशनल आर्काइव्ज में आज भी मौजूद है। हांगकांग बैपटिस्ट यूनिवसिर्टी के प्रोफेसर ज्यां पीए काबेस्तन ने कहा कि ब्रिटिश आंकड़ा भरोसेमंद है और हाल में जारी किए गए अमेरिकी दस्तावेजों में भी ऐसा ही आकलन किया गया है।

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English summary
China: Tiananmen Square massacre the most scary protest where military tanks killed thousand people.
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