Special Report: अमेरिका के खिलाफ चीन की नई चाल, बात नहीं करने पर बर्बाद करने की धमकी!
चीन ने अमेरिका को बेहद सख्त लहजे में डायरेक्ट धमकी देते हुए कहा है कि अमेरिका या तो चीन से बात करे या फिर नुकसान उठाने के लिए तैयार हो जाए।
बीजिंग/वाशिंगटन: चीन ने अमेरिका को बेहद सख्त लहजे में डायरेक्ट धमकी देते हुए कहा है कि अमेरिका या तो चीन से बात करे या फिर नुकसान उठाने के लिए तैयार हो जाए। चीन के विदेश मंत्री ने अमेरिका को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर चीन को नुकसान पहुंचाने की कोशिश अमेरिका करेगा तो अमेरिका सोच भी नहीं सकता कि उसे क्या नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसीलिए अमेरिका घमंड त्यागकर चीन के साथ बातचीत करने आए।
अमेरिका को डायरेक्ट धमकी
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने बीजिंग में एक कॉन्फ्रेंस के दौरान अमेरिका को डायरेक्ट चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर अमेरिका सोचता है कि वो अपने साथियों की मदद से चीन को रोकने में कामयाब हो जाएगा तो वो गलत है। चीन के विदेश मंत्री ने कहा कि 'पिछले कुछ सालों से अमेरिका ने चीन के साथ सभी द्विपक्षीय संबंधों और बातचीत को खत्म करने का काम किया है, जिसकी वजह से अमेरिका और चीन के बीच राजनीतिक संबंध बेहद खराब हो चुका है'। चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि 'गलत को सही करते हुए फिर से अमेरिका-चीन संबंध को सही रास्ते पर लाना चाहिए। गलतफहमियों की दीवार को तोड़ने की जरूरत है ताकि एक दूसरे को समझने और सीखने में किसी तरह की कोई दिक्कत सामने ना आए'
दरअसल, G7 समिट से पहले चीन लगातार अमेरिका पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। इस बार का जी-7 मीटिंग कई मायनों में बेहद महत्वपूर्ण होने वाला है। अमेरिका के नये राष्ट्रपति जो बाइडेन पहली बार जी-7 में शिरकत करने वाले हैं और माना जा रहा है कि जी-7 की बैठक में ही चीन के खिलाफ एक ग्रुप का निर्माण हो सकता है ताकि चीन की गलत नीतियों का सामूहिक तौर पर विरोध किया जा सके और उसे रोका जा सके। इसीलिए चीन जी-7 की बैठक से पहले QUAD और जी-7 देशों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है।
बीजिंग कॉन्फ्रेंस में चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने अमेरिका को सावधान करते हुए कहा कि 'हम जानते हैं कि अमेरिका का नया जो बाइडेन प्रशासन अपनी विदेश नीति पर फिर से विचार कर रहा है और हमें उम्मीद है कि अमेरिका के पॉलिसीमेकर्स समय की धारा के साथ अपनी विदेश नीति को आगे ले जाने की कोशिश करेंगे और विश्व में अभी शक्ति किस तरफ है, इसे देखने की कोशिश करेंगे। अमेरिका पुरानी गलतियों और गलतफहमियों को हटाकर चीन के साथ अच्छे संबंध बहाल करेंगे ताकि अमेरिका फिर से विकास के रास्ते पर आ सके'
जो बाइडेन पर दबाव बनाने की कोशिश
20 जनवरी को जो बाइडेन अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे और उसी दिन से लगातार चीन जो बाइडेन पर दबाव बना रहा है। जो बाइडेन के शपथ लेने के साथ ही चीन ने अमेरिका के 20 डिप्लोमेट्स पर प्रतिबंध लगा दिया जिनमें अमेरिका के पूर्व विदेशमंत्री भी शामिल थे और फिर ताइवान को लेकर भी चीन ने अमेरिका को खुलेआम धमकी देना शुरू किया। अमेरिकन एक्सपर्ट्स ने भी कहा कि चीन किसी दूसरे देश को धमकाकर उसकी ताकत परखना चाहता है लिहाजा जो बाइडेन पर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है। और चीन ने इस बार अमेरिका को डायरेक्ट धमकी देते हुए संबंध नहीं सुधारने पर नुकसान भुगतने की धमकी दी है।
जो बाइडेन पर दबाव बनाते हुए चीनी एक्सपर्ट ने कहा है कि 'जो बाइडेन प्रशासन अभी अंतर्राष्ट्रीय पॉलिसी पर फिर से विचार कर रहा है लिहाजा उसे समय दिया जाना चाहिए। अब अमेरिका के लिए चीन के खिलाफ जाना नामुमकिन से कम नहीं है और चीनी की पहल पर जल्द अमल करना भी अमेरिका के लिए काफी कठिन है लेकिन अब एक्शन का वक्त आ गया है। शब्दों की अपेक्षा अब अमेरिका को काम करने की जरूरत है और अमेरिका को चीन से अच्छे संबंध बनाने की दिशा में पहल करनी चाहिए'
चीन की पूर्व उपविदेशमंत्री Fu Ying ने अमेरिका को युद्ध की चेतावनी देते हुए कहा कि 'चीन और अमेरिका को प्रतिद्वंदी की तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए क्योंकि इतिहास ने हमें बताया है कि जब कंपीटिशन एक हद से ज्यादा बढ़ जाता है तो युद्ध की नौबत आ जाती है'। चीन की पूर्व उपविदेशमंत्री Fu Ying का ये बयान अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के उस बयान का जबाव माना जा रहा है जिसमें उन्होंने कहा था कि चीन अमेरिका के लिए बेहद सख्त प्रतिद्वंदी है।
अमेरिका से चीन को क्या चाहिए?
दरअसल, चीन नहीं चाहता है कि उसके खिलाफ अमेरिका विश्व की अग्रणी शक्तियों को एकसाथ लाए और उसके खिलाफ एक गुट का निर्माण हो। लिहाजा चीन कई रास्तों से अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, फ्रांस, साउथ कोरिया के खिलाफ चक्रव्यूह बनाने की कोशिश कर रहा है। चीन प्रत्यक्ष तौर पर कह चुका है कि अगर चीन के खिलाफ गुट बनता है तो इन देशों से चीन व्यापारिक संबंध खत्म करने से भी नहीं हिचकेगा साथ ही अमेरिका को उन दुर्लभ खनिज संपदाओं की निर्यात पर भी पाबंदी लगा देगा जिनसे अमेरिका में डिफेंस के सामान और मिसाइल्स तैयार किए जाते हैं। यानि, चीन पूरी तरह से आक्रामक नजर आ रहा है।
चीन ने अमेरिका को धमकी देते हुए कहा है कि अमेरिका चीन के मसलों पर अपना मुंह बंद रखे। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने अमेरिका को धमकी देते हुए खुले शब्दों में कहा है कि अमेरिका को अपनी सीमा रेखा पार नहीं करनी चाहिए। वांग यी ने कहा कि 'अमेरिका चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी के खिलाफ बोलना बंद करे और चीन के पॉलिटिकल सिस्टम को लेकर अपना विचार बनाना बंद करे। ताइवान के मुद्दे पर अमेरिका अलगाववादियों के शब्दों के साथ चलना फौरन बंद करे और ताइवान के मुद्दे पर चीन के खिलाफ एक कदम भी ना उठाए। अमेरिका इसी वक्त से चीन की सुरक्षा, संप्रभुता और अंदरूनी राजनीति का सम्मान करना शुरू करे और हांगकांग, शिनजियांग और तिब्बत के मुद्दे पर अमेरिका खामोश रहे'
चीन उन सभी मुद्दों पर अमेरिका की खामोशी चाहता है जो उसके लिए खतरनाक है। चीन ने जिन भी मुद्दों पर अमेरिकी दखलअंदाजी रोकने की मांग की है उन सभी मुद्दों पर दूसरे देश शामिल हैं। ताइवान और हांगकांग में चीनी अत्याचार जारी है तो तिब्बत पर चीन ने अवैध अतिक्रमण कर रखा है वहीं शिनजियांग में उइगर मुसलमानों पर अत्याचार जारी है लिहाजा चीन हर मुद्दे पर अमेरिका की खामाशी चाहता है और खुलेआम धमकी देकर उसे शांत कराने की कोशिश कर रहा है।
यानि, अमेरिका पर चीन दबाव बनाने के लिए हर हथियार का इस्तेमाल कर रहा है। वहीं, जो बाइडेन भी चीन को घेरने के लिए QUAD को एक्टिवेट कर चुके हैं और जी-7 की बैठक में कई महत्वपूर्ण ऐलान करने वाले हैं। लिहाजा माना यही जा रहा है कि आने वाले वक्त में अमेरिका और चीन आमने सामने होंगे और जो बाइडेन के लिए चीन के साथ आना संभव नहीं है भले ही वो चीन को लेकर कितना भी नरम रूख अख्तियार करने की कोशिश क्यों ना करें।
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