महा-तबाही की चपेट में चीन का बड़ा शहर, रेडिएशन फैला, लाखों लोगों की जिंदगी पर बड़ा खतरा
गुआंगदोंग प्रांत में स्थिति ताइशन शहर की आबादी 10 लाख से ज्यादा है और अब शुरूआती झूठ के बाद चीन ने मान लिया है कि शहर में रेडिएशन शुरू हो चुका है
बीजिंग, जून 16: कोरोना महामारी की सच्चाई छिपाकर पूरी दुनिया में लाखों लोगों की जान ले लेने वाला चीन इस बार अपनी झूठ में बुरी तरह से फंसता नजर आ रहा है। पूरी दुनिया के लिए साजिशें रचने वाला चीन इस बार अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार बैठा है और इसका नतीजा इस बार किसी और देश को नहीं, बल्कि सिर्फ और सिर्फ चीन को भुगतना पड़ेगा। दरअसल, चीन की लाखों लोगों की आबादी वाले शहर ताइशन में जो परमाणु प्लांट है, उससे रेडिएशन शुरू हो चुका है। रेडिएशन तो पिछले हफ्ते ही शुरू हुआ था, लेकिन चीन हर किसी से सच्चाई छिपाता रहा। लेकिन, अब जाकर चीन ने मानी है कि ताइशन शहर में रेडिएशन हो रहा है। माना जा रहा है कि चीन ने जो लापरवाही की है, उससे ताइशन शहर में बहुत बड़ा विस्फोट हो सकता है, जिससे लाखों लोगों की मौत हो सकती है।
परमाणु प्लांट से तबाही का खतरा
ताइशान शहर चीन के गुआंगदोंग प्रांत में स्थिति है, जहां चीन ने फ्रांस की एक कंपनी के साथ मिलकर न्यूक्लियर प्लांट बनाया था। फ्रांस की इस कंपनी का नाम है ईडीएफ और इस कंपनी की परमाणु प्लांट में 30 प्रतिशत हिस्सेदारी है। और परमाणु प्लांट से रेडिएशन होने की बात दुनिया को पता इसलिए ही चल पाई, क्योंकि फ्रांसीसी कंपनी ने रेडिएशन के कुछ दिनों बाद अमेरिका से मदद मांगनी शुरू कर दी। फ्रांस की कंपनी ने 4 दिन पहले ही कहा था कि न्यूक्लियर प्लांट से रेडिएशन हो रहा है, लेकिन चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी की सरकार ने फ्रांसीसी कंपनी की बात को खारिज कर दिया था। लेकिन, अब चीन ने माना है कि ताइशन शहर में रेडिएशन हो रहा है। लेकिन, कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि रेडिएशन होने के साथ ही चीन अपनी भयंकर लापरवाही छिपाने के लिए लीपापोती में जुट गया है।
ताइशान की आबादी 10 लाख
गुआंगदोंग प्रांत में स्थिति ताइशन शहर की आबादी 10 लाख से ज्यादा है और अब शुरूआती झूठ के बाद चीन ने मान लिया है कि शहर में रेडिएशन शुरू हो चुका है और परमाणु प्लांट से रेडियोएक्टिव तत्व निकल रहे हैं, जो इंसानी जिंदगी को पल भर में खत्म करने के साथ ही आने वाली नस्लों के लिए भी खतरनाक हैं। ऐसे में आशंका इस बात की लगाई जा रही है कि चीन की ये लापरवाही और लीपापोती की कोशिश क्या पूरे ताइशान शहर में तो बर्बादी नहीं फैला देगा। वही, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस न्यूक्लियर प्लांट को बचाने में अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं।
क्यों शुरू हुआ रेडिएशन ?
फ्रांस की कंपनी ईडीएफ की चीन के इस न्यूक्लियर प्लांट में 30 फीसदी की हिस्सेदारी है और ईडीएफ ने कहा है कि परमाणु संयंत्र में क्रिप्टन और क्सीनन गैस का निर्माण हो रहा था। ये दोनों गैसें अक्रिय गैसे (inert gases) हैं। लेकिन, निर्माण के दौरान इन दोनों अक्रिय गैसों ने मिलकर ताइशान प्लांट के यूनिट-1 के प्राथमिक सर्किट को नुकसान कर दिया। हालांकि, फ्रांसीसी कंपनी ने कहा है कि इस घटना की जानकारी मिल गई थी और फिर उसका अध्ययन किया जाना भी शुरू हो गया था।
चीन सच बोल रहा है या झूठ ?
वहीं, इस न्यूक्लियर प्लांट में ज्यादा हिस्सेदारी रखने वाली चीनी कंपनी सीजीएन ने इस हादसे के बाद कहा है कि कंपनी की तरफ से हर सुरक्षा मानकों का ध्यान रखा गया है। वहीं, चीन की न्यूक्लियर सेफ्टी एडमिनिस्ट्रेशन यानि सीएनएसए ने कहा है कि शहर में रेडिएशन तो फैल रहा है, लेकिन अभी तक रेडिएशन की क्षमता कम है। लेकिन, अमेरिकी न्यूजपेपर सीएनएन ने चीनी एजेंसी के दावे पर सवाल उठाते हुए कहा है कि ताइशान शहर के बाहरी हिस्से में जाकर रेडिएशन लेवल की जांच की जा रही है, ताकि बहुत बड़े झूठ पर पर्दा डाला जा सके। दरअसल, चीन लगातार न्यूक्लियर प्लांट विकसित कर रहा है ताकि बिजली की समस्या को खत्म किया जा सके। रिपोर्ट के मुताबिक चीन में इस वक्त 16 न्यूक्लियर रिएक्टर एक्टिव हैं, जिससे चीन में 51 हजार मेगावॉट बिजली का उत्पादन होता है। लिहाजा, चीन नहीं चाहता है कि ताइशन न्यूक्लियर प्लांट बंद हो और उसके कई इंडस्ट्री के काम बंद हो जाएं।
ताइशान प्लांट से खतरा
न्यूक्लियर रेडिएशन किसी भी शहर में तबाही मचाने के लिए काफी होता है, लेकिन ताइशान शहर में वास्तविक तौर पर रेडिएशन का लेवल कितना है, इसकी सच्चाई अभी तक बाहर नहीं आ पाई है। सीएनएन ने एक एक्सपर्ट के हवाले से लिखा है कि चीन जो दावे अभी कर रहा है वो अगर सच है, तो अभी ताइशान शहर के लोगों पर रेडिएशन का कम असर होगा। एक्सपर्ट्स ने कहा है कि रेडिएशन अगर हवा में फैला है तो उसका असर तो होगा है, लेकिन चीन का दावा अगर सच हो तो फिलहाल खतरा कम है। लेकिन, कई वैज्ञानिकों का मानना है कि हालात चिंताजनक भी हो सकते हैं। क्योंकि, जब यूक्रेन के चेर्नोबेल के न्यूक्लियर प्लांट में इसी तरह का रेडिएशन बाहर आया था तो सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी और जिस प्लांट में खराबी आई थी, उसके चारों तरफ कंक्रीट की एक मोटी दीवार बनाई गई थी, ताकि रेडिएशन दीवार के अंदर ही रहे।
चेर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट हादसा
आपको बता दें कि यूक्रेन के चेर्नोबिल में 26 अप्रैल 1986 को चेर्नोबिल में भयानक परमाणु हादसा हुआ था। चेर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट में एक प्रणाली के परीक्षण के दौरान विनाशकारी धमाका हुआ था। जिसमें सैकड़ों लोग मारे गये थे और हादसे के बाद करीब साढ़े तीन लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा था। हादसे के बाद प्लांट के यूनिट नंबर-4 को कंक्रीट की बड़ी दीवार से बंद कर दिया गया था ताकि रेडियोएक्टिव पदार्थ बाहर ना आए। रिपोर्ट के मुताबित उस हादसे में जानमाल का काफी नुकसान हुआ था। रिपोर्ट के मुताबिक चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र हादसे का सबसे ज्यादा असर बेलारूस पर पड़ा था।
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