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अमेरिका की नाक के नीचे पहुंचा चीन, दर्जनों देशों पर एक साथ जमाएगा 'कब्जा', बाइडेन की उड़ी नींद

लैटिन अमेरिका रणनीतिक तौर पर अमेरिका के लिए बेहद अहम रहा है, लेकिन चीन ने ज्यादातर लैटिन अमेरिकी देशों को अपने कर्ज के जाल में बुरी तरह से फांस लिया है।

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बीजिंग, अक्टूबर 21: अमेरिका भले ही चीन को रोकने के लिए अलग अलग समझौते कर रहा है, लेकिन चीन ने दुनिया पर अपना प्रभुत्व हासिल करने के लिए अपनी गति और तेज कर दी है। अब चीन ने सीधे तौर पर अमेरिका घेरना शुरू कर दिया है और लैटिन अमेरिकी देशों पर चीन ने जिस तरह से अपना प्रभुत्व बढ़ाया है, उसने अमेरिका का चैन छीन लिया है। लैटिन अमेरिका के साथ साथ कैरिबयन देशों को भी चीन बहुत हद तक अपने नियंत्रण में ले चुका है।

क्यूबा के साथ करार

क्यूबा के साथ करार

ऊपर से देखने पर ये सामान्य लगता है कि लैटिन अमेरिकी देश क्यूबा के पॉवर ग्रिड को अपग्रेड करने के लिए चीन ने नया डील किया है और एक कम्यूनिस्ट देश होने के नाते क्यूबा और चीन के नेताओं के बीच काफी अच्छे संबंध हैं, लेकिन इन दोनों कम्यूनिस्ट देश ने मिलकर चीन की नींद उड़ा दी है। ओबामा ने अपने शासन काल के दौरान क्यूबा के साथ संबंध सुधारने की कई कोशिशें भी कीं, लेकिन ओबामा शासन का अंत होते ही उस पहल का भी अंत हो गया और अब चीन ने पूरी तरह से अमेरिका के 'आंगन' पर कब्जा कर लिया है। बीआरआई प्रोजेक्ट के तहत ही चीन अलग अलग देशों में निवेश कर रहा है और इसी प्रोजेक्ट के तहत क्यूबा को भी चीन ने करोड़ों डॉलर का कर्ज दिया है। इसके अलावा दोनों देशों के बीच ट्रेड डील, इन्फ्रास्ट्रक्चर डील तो किया ही है, इसके साथ ही लैटिन अमेरिका के कुछ और देश और कई कैरेबियन देश भी चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट का हिस्सा बन चुके हैं। चीन लैटिन अमेरिका के साथ साथ कैरेबियन देशों में अपने प्रोजेक्ट के जरिए लगातार अपनी शक्ति को मजबूत कर रहा है, जबकि अमेरिका की ताकत लगातार कम होती जा रही है।

140 अरब डॉलर का कर्ज

140 अरब डॉलर का कर्ज

2005 के बाद से चीन के तीन सबसे बड़े निवेश बैंकों ने परमाणु ऊर्जा स्टेशनों से लेकर बांधों, सड़कों से लेकर रेलवे, बंदरगाहों और फोन नेटवर्क तक हर प्रोजेक्ट के लिए लैटिन अमेरिकी देशों को कगरीब 140 अरब डॉलर का कर्ज दिया है। इसके साथ ही विश्लेषकों का कहना है कि, चीन ने कैरिबयन देशों के साथ साथ लैटिन अमेरिकी देशों के साथ कई ऐसे करार किए हैं, जो सीक्रेट हैं। वहीं, ये भी कोई नहीं जानता है कि, चीन के बैंकों और चीन की सरकार ने किन देशों के साथ क्या-क्या करार किए हैं और इन प्रोजेक्ट्स को ट्रैक करना और उनके बारे में पता लगाना काफी मुश्किल है। रिसर्चर्स का कहना है कि, किताबों पर जो जानकारियां मिल रही हैं, असलियत उससे काफी अलग है।

अमेरिका को झटका, चीन से करार

अमेरिका को झटका, चीन से करार

इस बीच लैटिन अमेरिका के साथ चीनी व्यापार 25 गुना से अधिक बढ़ गया है, जो 2000 में 12 अरब डॉलर से बढ़कर 2020 में 315 अरब डॉलर हो गया है। इस क्षेत्र के लगभग आधे देशों ने अमेरिका को पीछे छोड़कर अपना सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार चीन को बना लिया है। जिनमें तीन ब्राजील, अर्जेंटीना और कोलंबिया में चार सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं भी शामिल हैं। इन देशों में प्रोजेक्ट्स से चीन को काफी ज्यादा फायदा है और अपनी इस कर्ज नीति का इस्तेमाल चीन अंतर्राष्ट्रीय मंच पर करता है। खासकर इस वक्त चीन ताइवान के मुद्दे पर इन देशों के वोट का इस्तेमाल अपने पक्ष में करता है और अमेरिका का पकड़ इन देशों के ऊपर से छूट रहा है।

अमेरिका के लिए खतरा कैसे?

अमेरिका के लिए खतरा कैसे?

लैटिन अमेरिका, कैरेबिनय देशों के साथ साथ अफ्रीकी देशों पर भी चीन का प्रभुत्व लगातार बढ़ता जा रहा है। अमेरिका के पूर्व अंडर सेक्रेटरी थॉमस शैनन ने बीजिंग की इस रणनीति को अमेरिका के लिए काफी ज्यादा खतरनाक करार दिया है और कहा था कि चीन की इस रणनीति को बेसअर करना ही होगा। उन्होंने कहा कि, चीन की खतरनाक नीति को बेअसर करने के लिए अमेरिका को कम ब्याज वाली धनराशि और सस्ते श्रम उपलब्ध करवाए जाएं और चीन के खिलाफ एक कड़ा बिल तैयार करें और इसके इस्तेमाल चीनी क्षेत्र पर फिर से नियंत्रण हासिल करने के लिए करें।

चीनी कर्ज में फंसे देश

चीनी कर्ज में फंसे देश

सांख्यिकि एजेंसी स्टेटिका के मुताबिक, पराग्वे, वेनेजुएला और इक्वाडोर जैसे देशों की जीडीपी का 10 प्रतिशत चीन का कर्ज है और ये देश रणनीतिक तौर पर काफी अहम हैं। कई और कैरेबियाई राष्ट्र, जैसे ग्रेनाडा और डोमिनिकन गणराज्य - छोटी अर्थव्यवस्थाओं के बावजूद, परियोजनाओं के लिए अरबों रुपये का कर्ज ले चुके हैं और अब ये पूरी तरह से चीन के नियंत्रण में हैं। फाइनेंस डेटाबेस की रिपोर्ट के मुताबिक, वेनेजुएला ने चीन से सबसे ज्यादा कर्ज लिया हुआ है। वेनेजुएलान ने चीन से करीब 62 अरब डॉलर का कर्ज लिया हुआ है, जिसके बाद ब्राजील, इक्वाडोर, अर्जेंटीना और बोलीविया का स्थान है।

चीन के विशालकाय प्रोजेक्ट्स

चीन के विशालकाय प्रोजेक्ट्स

इस वक्त अर्जेंटीना में करोड़ों की लागत से दो प्रमुख बिजली संयंत्रों का निर्माण कर रही हैं। वहीं, ब्राजील में चाइना मर्चेंट्स पोर्ट ने देश के दूसरे सबसे बड़े कंटेनर पोर्ट परानागुआ के पोर्ट में 90 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी है। वहीं, ब्राजील में 1.3 बिलियन डॉलर के पुल का निर्माण भी चीन कर रहा है। कोलंबिया के परिवहन नेटवर्क को भी चीनियों द्वारा अपग्रेड किया जा रहा है, जिन्हें बोगोटा के नए सबवे, उपनगरों को जोड़ने वाली एक ट्राम प्रणाली, एक इलेक्ट्रिक बस नेटवर्क और देश के दक्षिण में एक प्रमुख राजमार्ग का नवीनीकरण करने का ठेका दिया गया है। इसके साथ ही चिली में देश के दो सबसे बड़े ऊर्जा नेटवर्क को चीन ने संयुक्त रूप से $ 5bn में खरीदा है।

अमेरिका की लगातार हार

अमेरिका की लगातार हार

एक तरफ चीन लगातार निवेश बढ़ाता जा रहा है और छोटे देशों को कर्ज के पहाड़ में दबाता जा रहा है, वहीं अमेरिका अपने कदम पीछे खींच रहा है। इसके साथ ही लैटिन अमेरिका में 5जी नेटवर्क भी चीन ही तैयार करेगा, जो आने वाले वक्त में अमेरिका के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द साबित होने वाला है। चीन इसमें हुआवेई तकनीक का निर्माण करने के लिए जोर-शोर से पैरवी कर रहा है, जबकि अमेरिका, इन देशों को इस पर प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर करने की कोशिश कर रहा है। अमेरिका का तर्क है कि, इसका इस्तेमाल बीजिंग द्वारा जासूसी करने के लिए किया जाएगा। लेकिन, अमेरिका को इसमें कामयाबी नहीं मिल पाई है। डोनाल्ड ट्रंप के जवाब की वजह से ब्राजील के राष्ट्रपति जैर बोल्सनारो ने चीनी कंपनियों को प्रतिबंधित करने की बात जरूर की थी, लेकिन बाद वो वो पीछे हट गये थे। लिहाजा, एक्सपर्ट्स का मानना है कि, लैटिन अमेरिका और कैरिबयन देशों पर पूरी तरह से अपना वर्चस्व स्थापित करने के बाद चीन अमेरिका को जकड़ना शुरू कर देगा।

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English summary
China has badly entangled Latin America and Caribbean countries in the debt trap and has dealt a big blow to America.
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