युद्ध की तैयारी शुरू करे चीन, इस देश की हरकत अब और बर्दाश्त नहीं- ग्लोबल टाइम्स
नई दिल्ली- चीन के सरकारी प्रोपेगेंडा अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अब अपने एडिटोरियल के जरिए शी जिनपिंग की सरकार को युद्ध शुरू करने के लिए उकसाया है। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के अखबार के एडिटर-इन-चीफ ने जिनपिंग सरकार से कहा है कि अब ताइवान को सबक सिखाने के लिए युद्ध की तैयारी शुरू कर दी जानी चाहिए। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि ताइवान के राजनीतिक दल अब जिस तरह से 'मुख्य भूमि' (चीन) के खिलाफ खुलकर आवाज उठाने लगे हैं, ऐसे में अब उन्हें और ज्यादा दिनों तक ऐसा करते रहने नहीं दिया जा सकता है।
ताइवान
की
संसद
में
आए
प्रस्ताव
से
तिलमिलाया
ड्रैगन
दरअसल,
ताइवान
के
एक
राजनीतिक
समूह
ने
वहां
की
संसद
'युआन'
में
दो
बिल
पेश
किए
हैं।
एक
में
ताइवान
की
सरकार
से
कम्युनिस्ट
पार्टी
ऑफ
चाइना
की
तानाशाही
के
खिलाफ
अमेरिका
से
सहायता
मांगने
का
अनुरोध
है
और
दूसरे
में
अमेरिका
के
साथ
दोबारा
कूटनीतिक
संबंधों
को
शुरू
करने
की
बात
है।
ग्लोबल
टाइम्स
या
चीन
की
सरकार
इसी
बात
पर
तिलमिलायी
हुई
है।
अखबार
ने
लिखा
है
कि
हालांकि
यह
सब
स्थानीय
राजनीति
के
तहत
किया
जा
रहा
है,
'(लेकिन)
इससे
साफ
है
कि
हमें
भविष्य
में
उनके
क्रॉस-स्ट्रेट
शांति
और
राष्ट्रीय
पुनर्मिलन
के
बारे
में
नहीं
सोचना
चाहिए।
उल्टा
इन
राजनीतिज्ञों
के
विश्वासघात
को
देखकर
चीन
की
मुख्यभूमि
को
स्पष्ट
रूप
से
यह
देखने
में
मदद
मिला
है
कि
द्वीप
पर
हो
क्या
रहा
है।
'
युद्ध
के
लिए
शुरू
हो
तैयारी-
ग्लोबल
टाइम्स
ग्लोबल
टाइम्स
यहीं
नहीं
रुकता
और
उसने
चीन
सरकार
को
सीधे
ताइवान
के
खिलाफ
युद्ध
छेड़ने
के
लिए
उकसाने
की
कोशिश
की
है।
एडिटोरियल
लिखता
है,'हमें
अब
और
ज्यादा
भ्रम
में
नहीं
रहना
चाहिए।
मुख्यभूमि
के
पास
आगे
का
यही
रास्ता
बचा
है
कि
खुद
को
युद्ध
के
लिए
पूरी
तरह
से
तैयार
करे
और
किसी
भी
समय
ताइवान
के
अलगाववादी
ताकतों
को
निर्णायक
सजा
देने
के
लिए
तैयार
रहे।
अलगाववादियों
की
हेकड़ी
जैसे-जैसे
बढ़ेगी,
अहम
ऐतिहासिक
मोड़
करीब
आता
जाएगा।'
'ताइवान
की
मौजूदी
स्थिति
थोड़े
वक्त
के
लिए'
चीन
ने
अखबार
के
जरिए
यह
भी
दावा
जताने
की
कोशिश
की
है
कि
ताइवान
द्वीप
की
मौजूदा
स्थिति
तात्कालिक
है
और
उसका
आखिर
अंजाम
चीन
में
उसका
विलय
है।
अखबार
ने
लिखा
है,
'यह
निश्चित
है
कि
ताइवान
द्वीप
की
मौजूदा
स्थिति
इतिहास
में
बहुत
ही
छोटे
वक्त
के
लिए
है,
जिसका
निश्चित
तौर
पर
एक
अंत
होना
है।'
इसमें
यह
कहा
गया
है
कि
यह
चीन
की
मुख्यभूमि
पर
निर्भर
है
कि
वह
चीन
के
उत्थान
के
लिए
कम
नुकसान
और
ज्यादा
फायदे
के
साथ
इस
वक्त
को
प्रक्रिया
पूरी
करने
के
लिए
कैसे
इस्तेमाल
करता
है।
पहले
भी
इस
तरह
का
प्रोपेगेंडा
कर
चुका
है
ग्लोबल
टाइम्स
ग्लोबल
टाइम्स
साफ
शब्दों
में
लिखता
है,
'ताइवान
जितनी
परेशानियां
खड़ी
करेगा,
उतनी
ही
जल्दी
मुख्यभूमि
ताइवान
की
आजादी
के
समर्थकों
को
सख्त
सबक
सिखाने
का
फैसला
करेगी।'
आपको
बता
दें
कि
ताइवान
को
सीधा
धमकाने
के
लिए
चीन
इससे
पहले
भी
ग्लोबल
टाइम्स
पर
इस
तरह
का
प्रोपेगेंडा
कर
चुका
है।
यही
अखबार
पहले
यह
तक
लिख
चुका
है
कि
पीएलए
यानि
चीन
की
सेना
ताइवान
पर
हमला
करने
के
लिए
युद्धाभ्यास
कर
रही
है।
ताइवान
को
मामूली
समझना
चीन
की
भूल
हो
सकती
दरअसल,
चीन
ताइवान
द्वीप
पर
अपना
अधिकार
मानता
है
और
उसका
दुनिया
के
किसी
भी
देश
से
राजनयिक
संबंधों
का
विरोध
करता
है।
खासकर
अमेरिका
के
साथ
उसकी
नजदीकियां
तो
चीन
की
सरकार
ने
कभी
हजम
नहीं
की
है।
लेकिन,
चीन
को
भी
यह
अंदाजा
है
कि
वह
गीदड़
भभकियां
चाहे
जितनी
भी
दे,
लेकिन
आज
की
तारीख
में
ना
तो
ताइवान
इतनी
आसानी
से
हथियार
डालने
वाला
मुल्क
है
और
ना
ही
दक्षिण-पूर्वी
एशिया
की
बाकी
शक्तियां
हाथ
पर
हाथ
धरे
बैठी
रहने
वाली
हैं।