भारत आने से पहले चीनी राष्ट्रपति ने किए दो भारत विरोधी ऐलान
बीजिंग। चीन ने शुक्रवार को आखिरकार साफ कर दिया है कि वह भारत के उन सारे प्रयासों को सफल नहीं होने देगा जो एनएसजी में एंट्री से जुड़े हैं। साथ ही पाकिस्तान में मौजूद आतंकी मौलाना मसूद अजहर पर बैन की उसकी कोशिशों को वह सफल होने देगा।
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जिनपिंग के भारत आने से पहले ऐलान
चीन की ओर से नई जानकारी ठीक 24 घंटे पहले उस समय आई है जब चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत आने वाले हैं।
चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि मसूद अजहर पर बैन को लेकर यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल (यूएनएससी) के सदस्यों में मतभेद हैं।
माना जा रहा है कि ब्रिक्स सम्मेलन से इतर पीएम मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग की द्विपक्षीय मुलाकात होगी। इस मुलाकात में पीएम मोदी इस मुद्दे को उठा सकते हैं।
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मसूूद अजहर पर बैन को लेकर सहमति नहीं
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शौंग ने कहा है कि उन्होंने चीन की स्थिति दुनिया के सामने रख दिया है। उन्होंने कहा कि वह यह बात बताना चाहेंगे कि यूएन में मसूद अजहर के मुद्दे को जिस तरह से डील किया जा रहा है, वह नियमों के मुताबिक ही है।
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शौंग की मानें तो इस कमेटी को सारे तथ्यों का पालन करना चाहिए और सदस्यों की आम सहमति के बाद ही कोई फैसला लेना चाहिए।
गौंग की मानें तो यूएनएससी के सभी दल मसूद अजहर के मुद्दे पर बंटे हुए हैं और इस वजह से ही चीन ने इस मसले को फिलहाल टाल दिया है। ताकि कुछ समय मिल सके और फिर कोई फैसला लिया जा सके।
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एनएसजी पर नहीं बदला है रुख
शौंग की मानें तो चीन की ओर से इस मुद्दे पर एक जिम्मेदार सदस्य की भूमिका निभा रहा है। शौंग ने एनएसजी के मुद्दे पर बताया कि चीन का रुख एनएसजी में भारत की एंट्री के मुद्दे पर बिल्कुल भी नहीं बदला है।
चीन आज भी भारत के उस आवेदन का विरोध करता है जिसके तहत उसने संवदेनशील न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी को हासिल करने के लिए एनएसजी की सदस्यता का मन बनाया है।
शौंग के इस बयान के बाद ही साफ हो गया है कि चीन फिर से एनएसजी में एंट्री को लेकर भारत की उम्मीदों पर पानी फेरने को तैयार है।
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पहले भी चीन ने कही थी ऐसी बात
इससे पहले चीन के उप-विदेश मंत्री ली बाओडोंग ने कहा कि जब दूसरे देश एनएसजी की सदस्यता के लिए आवेदन कर रहे हैं, एनएसजी को हर आवेदन को करीब से परखना होगा।
बाओडोंगे की मानें तो एनएसजी की में किसी देश की सदस्यता से जुड़े नियम सिर्फ चीन की ओर से ही तय नहीं होते हैं।इतनी जानकारी के बाद भी शौंग यह कहना नहीं भूले कि इन दोनों मुद्दें के बावजूद भारत और चीन के रिश्ते एक नए रास्ते पर हैं।