भारत की नई FDI नीति से तिलमिलाया चीन, कहा-नए नियम पक्षपाती और भेदभाव पूर्ण
बीजिंग। भारत की नई फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट यानी एफडीआई पॉलिसी पर चीन को मिर्ची लग गई है। चीन ने कहा है कि भारत की तरफ से एफडीआई के जो नए नियम आए हैं, वे मुक्त व्यापार के लिए बने अंतरराष्ट्रीय कानूनों और निवेश के सख्त खिलाफ हैं। शनिवार को भारत की तरफ से जो नई एफडीआई नीति आई है उससके बाद पड़ोसी देशों के लिए 'ऑटोमैटिक रूट' का रास्ता बंद हो चुका है। अब किसी भी पड़ोसी देश या किसी व्यक्ति को देश में निवेश से पहले सरकार की मंजूरी लेनी पड़ेगी।
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भारत ने पर WTO नियम तोड़ने का आरोप
भारत में चीन के दूतावास के प्रवक्ता की तरफ से बयान दिया गया है। चीनी प्रवक्ता जी रोंग की तरफ से कहा गया है कि भारत को हर देश से आने वाले निवेश को एक समान नजरिए से देखना चाहिए। रोंग ने कहा, 'भारत को एक बेहतर माहौल और बिजनेस का समान वातावरण आगे बढ़ाना चाहिए। भारत की तरफ से लगाए गए प्रतिबंध डब्लूटीओ की गाइडलाइंस के खिलाफ हैं। कंपनियां मार्केट के सिद्धांतों के आधार पर अपनी पसंद तस करती हैं। चीन की तरफ से आने वाले निवेश की वजह से भारतीय इंडस्ट्री का विकास हुआ है।' पिछले दिनों पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (पीबीओसी) ने एचडीएफसी बैंक में एक प्रतिशत की हिस्सेददारी ली है। इसके बाद से ही लगातार चीनी निवेश पर अंकुश लगाने की बातें होने लगी थीं। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की तरफ से भी ऐसी मांग की गई थी।
कोविड-19 की वजह से बिजनेस पर पड़ा असर
माना जा रहा है कि नई एफडीआई नीति का सीधा असर चीन पर पड़ेगा जो भारतीय कंपनियों के टेकओवर की कोशिशों में लगा हुआ है और कोविड-19 की वजह से उनकी मार्केट वैल्यू पर खासा असर पड़ा है। यह नई नीति इसलिए और ज्यादा खास इसलिए भी है क्योंकि इस तरह की बंदिशें पहले से ही पाकिस्तान और बांग्लादेश के निवेशकों पर है। जानकारों के मुताबिक ज्यादातर एफडीआई ऑटोमेटिक रूट से आता है। इसका सीधा मतलब यह होता है कि कंपनियों को निवेश के बाद बस अथॉरिटीज को जानकारी देनी होती है। ऑटोमैटिक रूट की वजह से चीनी निवेशक हांगकांग, सिंगापुर और दूसरे देशों के रास्ते देश में निवेश करते हैं और इससे उन्हें बड़ा फायदा पहुंचता है। सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर घरेलू कंपनियों के लिए मुश्किल माहौल का फायदा उठाते हुये बेहतर अवसर देखकर खरीदने की कोशिशों को रोकने के लिए यह कदम उठाया है।