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चीन ने कहा, वो दूसरा अमरीका नहीं बनेगा, अमरीका ने दिया जवाब

चीन और अमरीका के बीच चल रही खींचतान के बीच चीन के विदेश मंत्री ने रिश्ते सुधारने की पहल की, लेकिन अमरीका ने कहा कि और क़दम उठाए जाएँगे.

By BBC News हिन्दी
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चीन ने कहा, वो दूसरा अमरीका नहीं बनेगा, अमरीका ने दिया जवाब

चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने उम्मीद जताई है कि अमरीका चीन के प्रति और उद्देश्यपूर्ण समझ विकसित करेगा और उनके प्रति तर्कसंगत नीति बनाएगा.

कोरोना वायरस संक्रमण शुरू होने के बाद से ही अमरीका और चीन कई मुद्दों पर एक-दूसरे के आमने-सामने हैं. दोनों देशों के बीच जमकर बयानबाज़ी हो रही है और एक-दूसरे के ख़िलाफ़ दोनों देशों ने कई क़दम भी उठाए हैं.

विवादित मुद्दों में कोरोना वायरस की उत्पत्ति, दक्षिणाी चीन सागर में अमरीका का सैन्य अभ्यास, हॉन्गकॉन्ग का नया सुरक्षा क़ानून और तिब्बत का मुद्दा भी शामिल है.

तिब्बत के मुद्दे पर 2018 के क़ानून का हवाला देते हुए जब अमरीका ने कुछ चीनी अधिकारियों पर वीज़ा पाबंदी लगाई, तो बदले में चीन ने भी तिब्बत को लेकर कुछ अमरीकी अधिकारियों पर वीज़ा प्रतिबंध लगा दिए.

हॉन्गकॉन्ग के मुद्दे पर भी अमरीका ने कड़ा रुख़ अपनाया हुआ है और अमरीकी संसद में क़ानून पास किए जाने की तैयारी है. और अब व्हाइट हाउस ने कहा है कि अमरीका चीन के ख़िलाफ़ और क़दम उठा सकता है.

भारत से तनाव के मुद्दे पर भी अमरीका ने खुलकर अपनी प्रतिक्रिया दी है, तो साउथ चाइना सी में अमरीका की बढ़ती मौजूदगी और सैनिक अभ्यास पर चीन को आपत्ति है. अमरीका वीगर मुसलमानों की प्रताड़ना का मुद्दा उठाता है और साथ में अमरीकी पत्रकारों पर पाबंदी की आलोचना भी करता रहा है.

अमरीकी ख़ुफ़िया एजेंसी के निदेशक चीन को अमरीका का सबसे बड़ा दुश्मन बता चुके हैं. अब चीन ने कहा है कि वो तो अपनी ओर से हरसंभव कोशिश कर रहा है, लेकिन समस्या अमरीका के रुख़ में है.

अमरीका पर क्या कहा चीन के विदेश मंत्री ने

चीन के विदेश मंत्री वांग यी
AFP
चीन के विदेश मंत्री वांग यी

चायना-यूएस थिंक टैंक मीडिया फ़ोरम में चीन के विदेश मंत्री ने कहा कि अमरीका चीन को अपना दुश्मन समझने में कोई कमी नहीं छोड़ रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि अमरीका चीन के विकास को हर क़ीमत पर रोकने की कोशिश कर रहा है और इससे अमरीका-चीन संबंधों में भी रुकावट आ रही है.

वांग यी ने चीन का पक्ष रखते हुए कहा कि उसका कोई मक़सद अमरीका को चुनौती देना या उसकी जगह लेना नहीं है.

चीन के विदेश मंत्री ने कहा, "चीन अमरीका को लेकर अपनी नीति में स्थिरता बनाए हुए है और अमरीका के साथ काम करने को इच्छुक है. लेकिन इसमें आपसी सम्मान होना चाहिए, सहयोग होना चाहिए, संघर्ष या टकराव नहीं होना चाहिए."

उन्होंने कहा कि चीन की सफलता से पश्चिमी देशों को कोई ख़तरा नहीं है और वे इस तरह की धारणा से सहमत नहीं हैं और न ही ये सच है. वांग ने कहा- चीन दूसरा अमरीका नहीं बन सकता और न बनेगा.

चीन के विदेश मंत्री ने कहा कि अमरीका और चीन को मिल-जुलकर शांति से रहना चाहिए.

वांग ने तीन सूचियाँ बनाने की पेशकश की, जिससे दोनों देशों में सहयोग बढ़ सके. पहला सहयोग सूची यानी जिन मुद्दों पर अमरीका और चीन मिलकर काम कर सकें, दूसरा बातचीत की सूची, जिनमें वे मुद्दे शामिल हों, जिन पर बातचीत हो सके या फिर जिन पर सहमति के आसार हों और तीसरी नियंत्रण सूची, जिनमें उन मुद्दों को शामिल किया जाए, जिन पर सहमति न हो, लेकिन इसके असर को कम करने की कोशिश की जा सके.

चीन के ख़िलाफ़ और क़दम उठाने की तैयारी

लेकिन चीन के विदेश मंत्री के ताज़ा बयान के बीच अमरीका ने कहा है कि वो चीन पर और क़दम उठाने की तैयारी कर रहा है.

बुधवार रात व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी केली मैकेनी ने पत्रकारों को बताया, "मैं आपको ये नहीं बता सकती कि अमरीका चीन को लेकर कौन कौन से क़दम उठाने वाला है. लेकिन मैं इस बात की ज़रूर पुष्टि करती हूँ कि अमरीका चीन को लेकर और क़दम उठाने जा रहा है."

अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन ने बुधवार को कहा था कि नया सुरक्षा क़ानून लाकर चीन ने हॉन्गकॉन्ग पर क़ब्ज़ा कर लिया है. हॉन्गकॉन्ग के नए सुरक्षा क़ानून की कई देशों ने आलोचना की है.

ब्रिटेन ने हॉन्गकॉन्ग को लेकर चीन के साथ हुई संधि का हवाला देते हुए कहा है कि चीन ने संधि का उल्लंघन किया है. हॉन्गकॉन्ग पहले ब्रिटेन का उपनिवेश था.

रॉबर्ट ओ ब्रायन ने कहा था, "आने वाले दिनों और सप्ताहों में आप देखोगे कि अमरीका चीन के ख़िलाफ़ कई बड़े क़दम उठाने जा रहा है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अलावा अमरीका का कोई भी राष्ट्रपति इस तरह से चीन के सामने नहीं खड़ा हुआ है. ट्रंप पहले व्यक्ति हैं, जिन्होंने व्यापार असंतुलन को देखते हुए चीन में बड़े व्यापार शुल्क लगाए हैं."

एफ़बीआई के निदेशक क्रिस्टोफ़र रे ने तो चीन पर बौद्धिक संपदा की चोरी तक का आरोप लगा दिया. जबकि अमरीकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने कहा कि अमरीका टिकटॉक और वीचैट जैसे चीनी ऐप पर नज़र रखे हुए है और वो इसके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई कर सकता है.

अमरीकी स्टाइल मानवाधिकार की आलोचना

अमरीका में विदेशी छात्र
Reuters
अमरीका में विदेशी छात्र

चाइना सोसाइटी फॉर ह्यूमन राइट्स स्टडीज़ ने गुरुवार को एक लेख प्रकाशित किया है, जिसमें अमरीकी स्टाइल मानव अधिकारों को पाखंड कहा गया है. लेख में कहा गया है कि आप्रवासियों से जुड़ी अमरीका की बेहद कठोर नीतियाँ मूल अधिकारों का उल्लंघन और आप्रवासियों की व्यक्तिगत गरिमा के ख़िलाफ़ हैं.

लेख में ये भी कहा गया है कि अमरीका में प्रवासियों के ख़िलाफ़ धार्मिक, सांस्कृतिक और नस्लीय भेदभाव लगातार बढ़ रहा है और स्थिति तनावपूर्ण होती जा रही है.

हाल ही में अमरीका ने विदेशी छात्रों को लेकर कड़े फ़ैसले किए हैं. इस फ़ैसले के मुताबिक़ ऑनलाइन कोर्स कर रहे विदेशी छात्रों को अमरीका छोड़ना होगा और अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो उनके ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

अमरीका ने इन विदेशी छात्रों को ये विकल्प अवश्य दिया है कि वे चाहें तो उन कोर्स में दाखिला ले सकते हैं, जिनमें क्लास करने की आवश्यकता होती है.

डोनाल्ड ट्रंप
Getty Images
डोनाल्ड ट्रंप

माना जा रहा है कि इस फ़ैसले से सबसे ज़्यादा असर चीन और भारत के छात्रों पर पड़ेगा. अमरीका में भारत और चीन के छात्रों की बड़ी संख्या है. आँकड़ों के अनुसार, साल 2018-19 में लगभग 10 लाख विदेशी छात्र अमरीका पहुँचे थे जिनमें से क़रीब तीन लाख 72 हज़ार छात्र चीन और क़रीब दो लाख छात्र भारत से थे.

हालांकि विदेशी छात्रों के फ़ीस की वजह से लाभ कमाने वाली कई यूनिवर्सिटीज़ ने ट्रंप के फ़ैसले की आलोचना की है. हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने हाल ही में घोषणा की है कि वो अपने पाठ्यक्रम को साल 2020-21 के लिए पूरी तरह से ऑनलाइन कर रहा है.

पिछले महीने ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ ग्रीन कार्डों पर रोक लगा दी थी और विदेशी श्रमिकों के ग़ैर-अप्रवासी एच-1बी, जे-1 और एल वीज़ा को 2020 के अंत तक टाल दिया था.

BBC Hindi
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English summary
China said, china will not become another America, America answers
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