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महामारी में भी चीन की GDP 2.3% बढ़ी, भारत की जीडीपी में आ सकती है 7.7% की गिरावट

इस वित्तवर्ष में चीन पॉजिटिव ग्रोथ रेट हासिल करने वाला विश्व का इकलौता देश बन गया है। वहीं, अनुमान लगाया गया है कि इस वित्तवर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था में 7% से ज्यादा की गिरावट आ सकती है

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बीजिंग/न्यू दिल्ली: कोरोना वायरस (Corona Virus) की वजह से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था (Economy) औंधे मुंह गिर चुकी है। अमेरिका, जापान, ब्रिटेन और जर्मनी समेत भारत की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) में भी ऐतिहासिक गिरावट आने की पूरी उम्मीद है। लेकिन चीन (China) ने दावा किया है कि वित्तवर्ष 2020-21 में उसकी जीडीपी (GDP) 2.3% से बढ़ गई है। ऐसे में सवाल ये है कि पूरी दुनिया में सिर्फ चीन की जीडीपी में ही उछाल क्यों आया है और भारत आखिर कैसे चीन को चुनौती दे पाएगा?

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Coronavirus की महामारी के बावजूद 2020 में China की Economy 2.3% बढ़ी | वनइंडिया हिंदी
ECONOMY

चीन की जीडीपी का विश्लेषण

चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स में देश की अर्थव्यवस्था के हवाले से दावा किया गया है कि 2020 में जब पूरी दुनिया अर्थव्यवस्था गिरने की परवाह किए बगैर कोरोना वायरस संक्रमण से निजात पाने की कोशिश कर रही थी उस वक्त भी चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था का दायरा 2.3% से बढ़ा लिया है। चीनी सरकार के स्टेटिक्स ब्यूरो के मुताबिक, चीनी की जीडीपी अब 15.68 ट्रिलियन डॉलर की हो चुकी है। जो चीन के लिए एक उपलब्धि से कम नहीं है। NBS के द्वारा जारी किए गये आंकड़ों के मुताबिक, चीन में घरेलू उपभोग में पिछले साल के मुकाबले 3.9% की गिरावट दर्ज की गई जो पिछले साल 39.20 ट्रिलियन डॉलर था। वहीं, इंडस्ट्रियल एडेड वैल्यू में 2.8% का इजाफा हुआ है और फिक्स्ड एसेट इनवेस्टमेंट 2.9% बढ़कर 51.89 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गया है।

चीनी वित्तवर्ष के आखिरी महीने यानि दिसंबर 2020 में बेरोजगारी दर 5.2 प्रतिशत थी। यह नवंबर महीने के बराबर रहा। रिपोर्ट में कहा गया है, कि बेरोजगारी दर घटाने के लिए चीनी सरकार को एक ऐसे राहत पैकेज पर विचार करना होगा जो आने वाले महीनों में रोजगार के नये मौके पैदा कर सके।

चीन के नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टेटिक्स यानि NBS के मुताबिक, चीन की अर्थव्यवस्था बढ़ने के पीछे एक्सपोर्ट का बहुत बड़ा योगदान रहा है। 2020-21 वित्तवर्ष में चीन का एक्सपोर्ट 3.6% से बढ़कर 2.59 ट्रिलियन तक पहुंच चुका है, जो चीनी अर्थव्यवस्था के लिहाज से काफी अच्छा है। पेकिंग स्थिति नेशनल स्कूल ऑफ डेवलपमेंट के डिप्टी डीन Yu Miaojie के मुताबिक, चीन की अर्थव्यवस्था का दुनिया की अर्थव्यवस्था में भागीदारी और बढ़ गई है। इस वित्तवर्ष में विश्व की अर्थव्यवस्था में चीन की हिस्सेदारी 2% और बढ़कर कुल 19% तक पहुंच चुकी है। चीनी के इकॉनोमिक जानकारों का दावा है कि अब जबकि चीन कोरोना संक्रमण पर काबू पाने में कामयाब रहा है, तो उम्मीद की जा रही है, कि चीन की अर्थव्यवस्था इस वित्तवर्ष से 7.5% से 8% की दर से बढ़ेगी। जो विश्व की 10 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में सबसे ज्यादा है।

चीन अब यह उम्मीद जता रहा है कि अमेरिका में बाइडेन की सरकार बनने के बाद चीन के साथ उसके संबंध ट्रंप सरकार के मुकाबले बेहतर स्थिति में होगी। बाइडन सरकार में ट्रेड वार खत्म हो सकता है, ऐसे में चीन की इकोनॉमी में और इजाफा हो सकता है।

भारत की अर्थव्यवस्था का विश्लेषण

चीन की अर्थव्यवस्था जहां 2.3% से बढ़ गई है, वहीं चालू वित्तवर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था के सिकुड़ने का अनुमान लगाया गया है। भारत के कई इकोनॉमिस्ट दावा करते हैं कि इस वित्तवर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 25 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की जा सकती है। और भारत सरकार के आर्थिक सुधार के जो दावे किए गये हैं, वो सच्चाई से परे है। मशहूर इकोनॉंमिस्ट प्रोफेसर अरूण कुमार कहते हैं, कि अर्थव्यवस्था में सुधार को लेकर सरकार जो दावे कर रही है, उस रफ्तार से भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार आ नहीं रहा है। ऐसे में संभव है, कि चालू वित्तवर्ष जो 31 मार्च को खत्म होगा, उस वक्त तक भारतीय अर्थव्यवस्था में 25% की गिरावट आ जाए। वहीं, कोरोना वॉयरस संक्रमण फैलने से रोकने के लिए पिछले साल लगाए गये सख्त लॉकडाउन की वजह से भारत का MSME सेक्टर बुरी तरह से प्रभावित हुआ है, वहीं लाखों की संख्या में लोग बेरोजगार हुए हैं। भारत सरकार ने सीधे तौर पर ना ही सैलरीड क्लास की मदद की और ना ही छोटे उ्दोगों की। जिसका असर ये हुआ कि हजारों छोटे उद्योग अब पूरी तरह से बंद हो चुके हैं, लाखों लोग बेरोजगार हो चुके हैं, जिसकी वजह से भारत के नागरिकों के खरीदने की क्षमता में कई आई है, और भारत की अर्थव्यवस्था पर इसका खराब असर पड़ गया।

GDP

फिलहाल, भारत की अर्थव्यवस्था का आकार 2.9 ट्रिलियन डॉलर का है।

बात अनुमानों की करें तो भारतीय रिजर्व बैंक(RBI) का अनुमान है, कि इस वित्तवर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.5% तक की गिरावट दर्ज की जा सकती है। जबकि मिनिस्ट्री ऑफ स्टेटिटिक्स (NSO) का अनुमान है, कि इस वित्तवर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.7% तक की गिरावट दर्ज की सकती है। भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, जून तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था में 23.9% की गिरावट दर्ज की गई थी। हालांकि, सितंबर तिमाही में ये गिरावट गिरकर 7.5% हो गया था। ऐसे में आखिरी आंकड़े आने के बाद ही पता चल पाएगा कि आखिर भारत की अर्थव्यवस्था वास्तव में कितना कम हुआ है।

भारत सरकार मानती है कि अच्छे दिन बस आने ही वाले हैं, और कोरोना की वजह से जो बुरे दिन आए थे उससे हमने बाहर निकलना शुरू कर दिया है। इस वित्तवर्ष में भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, भारत का एक्सपोर्ट और इंम्पोर्ट दोनों गिरा है। वहीं, भारतीय लोगों के खरीदने की शक्ति में भी गिरावट दर्ज की गई है।

5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था कितने साल में बनेंगे ?

भारत की अर्थव्यवस्था का आकार 2.9 ट्रिलियन डॉलर है जिसमें अभी भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 7.7 प्रतिशत तक की और गिरावट आएगी, वहीं चीन की जीडीपी बढ़कर 15.68 ट्रिलियन हो चुकी है। भारत सरकार ने भारतीय अर्थव्यवस्था यानि भारत की जीडीपी को 5 ट्रिलियन तक ले जाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन अब जो स्थिति बनी है, उसके मुताबिक अगर भारत की अर्थव्यवस्था का आकार हर साल 8 प्रतिशत की गति से बढ़ता रहे तो हम 2030 तक पांच ट्रिलियन इकोनॉमी के ग्राफ को छू सकते हैं। लेकिन हर साल 8% ग्रोथ का अनुमान करना नामुमकिन सरीखा लक्ष्य है।

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English summary
China's GDP rises 2.3% in pandemic, Indian GDP may fall by 7.7%
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