भारत से सीमा विवाद के बीच चीन ने पास किया नया भूमि सीमा कानून, सरहद पर और बिगड़ेगी स्थिति?
भारत के साथ सीमा पर सैन्य विवाद के बीच चीन ने नया भूमि कानून पास किया है, जिसके बाद भारत के साथ तनाव में और इजाफा होने की संभावना है।
बीजिंग, अक्टूबर 24: भारत के साथ लद्दाख में सीमा विवाद के बीच चीन ने अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का हवाला देते हुए नया 'भूमि सीमा कानून' बनाया है, जिसके बाद चीन का भारत के साथ विवाद और बढ़ सकता है और दोनों देशों के बीच का तनाव और बढ़ सकता है। चीन ने अपनी संप्रुभता और अखंडता को 'पवित्र और अहिंसक' बताते हुए नया कानून पारित किया है, जो भारत के साथ बीजिंग के सीमा विवाद पर असर डाल सकता है।
चीन ने बनाया विवादित कानून
चीन के सरकारी समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) की स्थायी समिति के सदस्यों ने शनिवार को एक विधायी सत्र की समापन बैठक में नये कानून को मंजूरी दी है। चीन का ये विवादित कानून अगले साल एक जनवरी से लागू हो जाएगा, जो ये निर्धारित तरकता है कि, ''चीन के जनवादी गणराज्य की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पवित्र और अहिंसक है"। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन क्षेत्रीय अखंडता और भूमि की सीमाओं की रक्षा के लिए कदम उठाएगा और क्षेत्रीय संप्रभुता और भूमि सीमाओं को कमजोर करने वाले किसी भी कार्य से देश का बचाव करेगा।
क्या है चीन का नया सीमा कानून?
चीन का यह नया कानून यह भी निर्धारित करता है कि, देश की सीमा की रक्षा को मजबूत करने, आर्थिक और सामाजिक विकास का समर्थन करने के साथ-साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में सार्वजनिक सेवाओं का विस्तार किया जाएगा। इसके अलावा सीमावर्ती इलाके में रहने वाले लोगों के जीवन को प्रोत्साहित करने के लिए वहां काम की व्यवस्था की जाएगी और उनकी रक्षा का उपाय किया जाएगा। साधारण शब्दों में समझें तो चीन अब सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों को सीमावर्ती इलाके में ही रोजगार देगा और सैनिकों के साथ उनके संबंध को बढ़ाएगा। शिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, नये सीमा कानून के तहत चीन यह बताएगा कि वो अहिंसक है, आपसी विश्वास में भरोसा रखता है, मैत्रीपूर्ण परामर्श के सिद्धांत का पालन करता है और लंबे वक्त से चले आ रहे सीमा विवाद को हल करने के लिए चीन अपने पड़ोसी देशों के साथ सीमा संबंधी मामलों को लेकर बात करेगा।
Recommended Video
भारत और भूटान से सीमा विवाद
भारत और भूटान, दो ऐसे देश हैं, जिनका चीन के साथ भूमि सीमा विवाद अभी भी चल रहा है और चीन को अभी सीमा समझौतों को अंतिम रूप देना है, जबकि बीजिंग ने 12 अन्य पड़ोसियों के साथ सीमा विवाद सुलझा लिए हैं। पिछले हफ्ते भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा था कि, पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ हुई घटनाओं ने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सुरक्षा को "गंभीर रूप से परेशान" किया है, और इसका स्पष्ट रूप से व्यापक संबंधों पर भी प्रभाव पड़ा है। भारतीय विदेश सचिव ने 21 अक्टूबर को "चीन की अर्थव्यवस्था का लाभ उठाने" पर एक संगोष्ठी में अपनी टिप्पणी में विदेश मंत्री एस जयशंकर की टिप्पणी का भी उल्लेख किया कि भारत और चीन की एक साथ काम करने की क्षमता एशियाई सदी का निर्धारण करेगी।
भारत-चीन सीमा विवाद
भारतीय विदेश सचिव ने कहा कि, "इसके लिए सीमावर्ती इलाकों में शांति और सुरक्षा जरूरी है।'' वहीं, भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी स्पष्ट रूप से कहा है कि, हमारे संबंधों का विकास केवल पारस्परिकता पर आधारित हो सकता है, जिसके तहत आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हितों का मार्गदर्शन और सम्मान करना चाहिए। भारतीय विदेश सचिव ने कहा कि, "हमें उम्मीद है कि चीनी पक्ष मौजूदा मुद्दों का संतोषजनक समाधान निकालने के लिए हमारे साथ काम करेगा ताकि एक-दूसरे की संवेदनशीलता, आकांक्षाओं और हितों को ध्यान में रखते हुए हमारे द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति हो सके।" आपको बता दें कि, भारत-चीन सीमा विवाद वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ 3,488 किलोमीटर की दूरी तक है, वहीं चीन-भूटान विवाद लगभग 400 किलोमीटर की दूरी का है।