पाकिस्तान को चीन ने दिया बड़ा धोखा, CPEC के सभी बड़े प्रोजेक्ट में बंद किया निवेश, फंसे इमरान
चीन पाकिस्तान के 'हर मौसम के साथी' वाला दावा दरक रहा है। चीन ने पाकिस्तान में सीपीईसी के तहत बड़े निवेशों को वापस खींच लिया है।
बीजिंग/इस्लामाबाद, नवंबर 14: चीन और पाकिस्तान के बीच तथाकथिक 'हर मौसम के साथी' का नारा हिलता हुआ दिखाई दे रहा है और अब पाकिस्तान चीन का असली चेहरा देख रहा है। एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि, पिछले कुछ महीनों से पर्दे के पीछे चीन लगातार पाकिस्तान को अपमानित कर रहा है और पाकिस्तान के पास अब कोई विकल्प नहीं बचा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, सीपीईसी प्रोजेक्ट की वजह से पाकिस्तान अब गर्दन तक चीन के कर्ज में डूब चुका है और अब इस देश को बर्बाद होने से कोई नहीं बचा सकता है।
पाकिस्तान को अपमानित करता चीन
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर और चाइना मोबाइल पाकिस्तान (सीएमपीएके) से संबंधित दूरसंचार टॉवर सहित बीजिंग के हाथों इस्लामाबाद को अपमानित किए जाने के कई उदाहरण सामने आए हैं। टाइम्स ऑफ इजराइल में सर्जियो रेस्टेली ने कहा कि पाकिस्तान और चीन के बीच 'पहाड़ों से भी ऊंचे', 'महासागर से भी गहरे' में रिश्ते में दरारें आ गई हैं, हालांकि दोनों देशों ने अपनी दोस्ती को अभूतपूर्व बताया था, लेकिन जमीनी स्थिति स्थिति कुछ और हो चुकी है और दोनों देशों के संबंध के कथित मजबूत दीवार दरकने लगी है।
गले में बंधा पत्थर बना सीपीईसी
जब चीन और पाकिस्तान के बीच सीपीईसी प्रोजेक्ट को लेकर समझौता किया गया था, उस वक्त विश्व के कई देशों ने पाकिस्तान को प्रोजेक्ट को लेकर आगाह किया था, लेकिन पाकिस्तान से सभी की चेतावनी को दरकिनार करते हुए चीन के साथ प्रोजेक्ट साइन किया था। पाकिस्तानी नेताओं ने देश की आवाम से काफी बड़ी बड़ी बातें कहीं थी और कई बड़े सपने दिखाए थे। पाकिस्तानी नेताओं ने कहा था कि, प्रोजेक्ट फाइनल होने के बाद हर पाकिस्तानी लखपति होगा और पाकिस्तान की तरक्की पूरी दुनिया में सबसे आगे हो जाएगी, लेकिन अब पाकिस्तान को असलियत का सामना करना पड़ रहा है, जब 62 अरब डॉलर का ये प्रोजेक्ट पाकिस्तान को पूरी तरह से बर्बाद करने के करीब पहुंच चुका है।
सीपीईसी कैसे हुआ खतरनाक साबित?
सीपीईसी प्रोजेक्ट के तहत चीन के शिनजियांग क्षेत्र से ग्वादर बंदरगाह तक 62 अरब डॉलर की लागत से कॉरिडोर का निर्माण होना था, जिसको लेकर पाकिस्तान के लोगों ने जमकर जश्न मनाया था, लेकिन पाकिस्तान के नेताओं और बड़े सैन्य अधिकारियों ने इस प्रोजेक्ट में जमकर भ्रष्टाचार किए। इस प्रोजेक्ट के जरिए करोड़ों कमाकर पाकिस्तान के कई बड़े सैन्य अधिकारी पाकिस्तान छोड़कर अमेरिका और यूरोप चले गये और देश कर्ज के दलदल में डूबता चला गया। इसके अलावा इस प्रोजेक्ट में पारदर्शिता की भारी कमी है और रही सही कसर चीन के 'छुपे हुए शर्तों' ने पूरा कर दिया है। टाइम्स ऑफ इजरायल की रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट की रफ्तार अब करीब करीब बंद हो चुकी है और इस प्रोजेक्ट में अब पाकिस्तान के मजदूर नाममात्र के ही हैं।
चीन की सीक्रेट शर्ते
एक तरफ पाकिस्तान कर्ज के दलदल में फंस रहा है तो चीन छुपे हुए शर्तों का पिटारा खोलता जा रहा है। 14 जुलाई को पाकिस्तान में चीनी इंजीनियरों की बस पर हमला हुआ था, जिसमें चीन के 9 इंजीनियर मारे गये थे, जिसको लेकर चीन ने पाकिस्तान के अंदर अपनी जांच टीम भेजी थी और अब चीन ने पाकिस्तान ने 3 करोड़ 80 लाख डॉलर का मुआवजा मांगा है और मुआवजा नहीं देने तक चीन ने दासू डैम का प्रोजेक्ट बंद कर दिया है, जो पाकिस्तान के लिए अपमान और आर्थिक आघात, दोनों तरह की बात है। इसके अलावा टाइम्स ऑफ इजरायल की रिपोर्ट में कहा गया है कि, चाइना कैपिटल मोबाइल पाकिस्तान से संबंधित एक दूरसंचार टावर को विस्फोटकों द्वारा अशांत उत्तरी वजीरिस्तान क्षेत्र में नष्ट कर दिया गया था। पाकिस्तान स्थित मोबाइल डेटा नेटवर्क ऑपरेटर जोंग के नाम से कारोबार करता है और इसको लेकर चीन ने पाकिस्तान पर काफी ज्यादा जबाव बढ़ा दिया है।
पाकिस्तान के गले में आर्थिक फंदा
टाइम्स ऑफ इजराइल के लेख में आगे लिखा गया है कि, पाकिस्तान के लिए हर गुजरते दिन के साथ आर्थिक बोझ का फंदा और गहरा होता जा रहा है। सर्गियो ने अपने लेख में लिखा है कि, "चीन पाकिस्तान से बड़े-बड़े निवेशों को वापस ले रहा है और इसके पीछे पाकिस्तान के पास पैसों का ना होना और पाकिस्तान में सुरक्षा का संकट है। चीनी बैंक को अब लगने लगा है कि, पाकिस्तान उनके पैसों को वापस नहीं कर पाएगा। चीन ने अभी तक तीन प्रमुख राजमार्ग परियोजनाओं (210 किमी डेरा इस्माइल खान-झोब रोड, 110 किमी खुजदार-बसीमा मार्ग और 136 किलोमीटर के राइकोट-थकोट राजमार्ग) के लिए वित्त पोषण को मंजूरी नहीं दी है।
और कर्ज देने से किया इनकार
देरी का मतलब पाकिस्तान के लिए लागत में वृद्धि है, लेकिन चीनी सरकार पिछले तीन वर्षों से स्पष्ट भ्रष्टाचार के आरोपों का हवाला देते हुए पैसा देने से साफ इनकार कर दिया है। इस लेख में कहा गया है कि, ''अब समय आ गया है कि पाकिस्तान समझे कि चीन अपनी विस्तारवादी नीति के तहत ही पाकिस्तान का शोषण कर रहा है और अगर अब भी पाकिस्तान अपने गले से चीनी फंदा नहीं निकाल पाता है, तो फिर भविष्य में वो कभी नहीं निकल पाएगा''।
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