शांत नहीं हो रही चीन की दूसरे देशों की सीमा पर कब्जे की भूख, अब पुराने 'दुश्मन' जापान के हिस्से में भेज दिए 67 जहाज
टोक्यो। कोरोना वायरस महामारी के काल में चीन ने सिर्फ भारत से सटी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर सैन्य विवाद शुरू किया हो, ऐसा नहीं है। चीन ने अब अपने पुराने प्रतिद्वंदी जापान को छेड़ना भी शुरू कर दिया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक दूसरे देशों की सीमा पर कब्जा करने की चीन की भूख अभी खत्म नहीं हुई है और अब उसने इसी के चलते ईस्ट चाइना सी पर हलचल बढ़ा दी है। चीन ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से शांत बैठे जापान को परेशान करना शुरू कर दिया है। जापान के नियंत्रण वाले सेनकाकू द्वीप पर चीनी जहाजों ने अप्रैल से अब तक कई बार घुसपैठ की है।
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चीनी कोस्ट गार्ड के जहाजों ने की घुसपैठ
जापान और चीन के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। चीन ने अप्रैल माह से अब तक नौसेना के 67 जहाजों को टोक्यों के नियंत्रण वाले द्वीप सेनकाकू के करीब भेजा है। चीन की गतिविधियों को रोकने के लिए सोमवार को जापान के ओकिनावा शहर की काउंसिल में एक बिल पास हुआ है। इस बिल को चीन की तरफ से खासा विरोध झेलना पड़ रहा है। अमेरिकी मीडिया सीएनएन की तरफ से कहा गया है कि चीन की तरफ से जो 67 जहाज भेजे गए थे वो सभी कोस्ट गार्ड के जहाज थे। ओकिनावा की इशीगाकी सिटी काउंसिल की तरफ से इस बिल को मंजूरी दी गई है।
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जापान कर रहा 1972 से शासन
इस बिल के तहत जापान के हिस्से वाले सेनकाकू और चीन के डायोयूस द्वीप के प्रशासनिक स्थिति में बदलाव हो गया है। जापान के एनएचके न्यूज की तरफ से बताया गया है कि अब द्वीप का नाम तोनोशिरो सेनकाकू हो गया है ताकि इशीगाकी पर स्थित दूसरे द्वीप के साथ किसी तरह का कोई भ्रम न होने पाए। यह द्वीप जापान की राजधानी टोक्यो से 1200 मील यानी 1,931 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में है। जापान इस पर सन् 1972 से ही शासन कर रहा है। लेकिन चीन हमेशा इस पर अपना दावा जताता है।
14 देशों के साथ है चीन का बॉर्डर
चीन 14 देशों के साथ या तो जमीन पर या फिर समंदर में बॉर्डर साझा करता है। ईस्ट चाइना सी करीब 1200 मील तक फैला है। इस पर चीन और जापान दोनों ही अपना दावा जताते हैं। जापान ने इस वर्ष अप्रैल में चीन की सरकार के 67 जहाजों को ईस्ट चाइना सी के करीब देखा था। जापान के कोस्ट गार्ड की तरफ से पिछले हफ्ते दावा किया गया है कि उसकी तरफ से इन जहाजों की गतिविधियों पर ध्यान दिया गया है। अगर जापान ने चीन को प्रतिक्रिया देने के लिए कोई कदम उठाया तो फिर हालात बहुत ही खराब हो सकते हैं।
अमेरिका उतार सकता है अपनी सेनाएं
अमेरिका जो जापान का रणनीतिक साझीदार है वह भी इस क्षेत्र में जापान के पक्ष में अपनी सेनाएं उतार सकता है। जापान के चीफ कैबिनेट सेक्रेटरी योशिशिदे सुगा की तरफ से कहा गया है कि सेनकाकू द्वीप पर जापान का अधिकार है और न केवल एतिहासिक बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत भी उसके दावे को मंजूरी दी जा चुकी है। ऐसे में अगर चीन ने अपनी गतिविधियां नहीं रोकी तो फिर उसका करारा जवाब दिया जाएगा। वहीं चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने ओकिनावा सिटी काउंसिल की तरफ से पास हुए बिल की आलोचना की है।
चीन की गतिविधियों में आई तेजी
जापान में अमेरिकी सेनाओं के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल केविन श्नाइडर ने कहा है कि साउथ चाइना सी पर चीन की गतिविधियों में तेजी आई है। यहां पर उसकी नेवी के जहाज, कोस्ट गार्ड के जहाज और भारी तादाद में नौसैनिक मौजूद हैं। ये सैनिक दूसरे जहाजों को परेशान कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'कोविड 19 के संकट के दौरान ही हमनें चीन की नौसैनिक गतिविधियों में तेजी देखी है।' ले. जनरल श्नाइडर ने यह बात न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के साथ फोन पर इंटरव्यू के दौरान कही है। उन्होंने यह भी कहा कि चीन ने ईस्ट चाइना सी जहां पर जापान के साथ उसका विवाद चल रहा है, वहां पर भी अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं।
चीन की हरकतों में होगा इजाफा
श्नाइडर
ने
अनुमान
लगाया
है
कि
चीन
की
तरफ
से
अभी
इस
तरह
की
गतिविधियों
में
इजाफा
होगा।
चीन
की
मानें
तो
उसकी
तरफ
से
इस
इलाके
में
जो
भी
नौसैनिक
गतिविधियां
हो
रही
हैं,
वे
सभी
शांतिपूर्ण
हैं।
टोक्यो
में
चीनी
दूतावास
में
स्थित
प्रेस
ऑफिस
की
तरफ
से
इस
पर
कोई
भी
टिप्पणी
अभी
नहीं
की
गई
है।
जापान
वह
देश
है
जहां
पर
अमेरिकी
सेनाओं
का
एशिया
में
सबसे
बड़ा
दस्ता
मौजूद
है।
जापान
में
अमेरिका
की
मौजूदगी
उसके
प्रभाव
को
और
प्रभावशाली
बनाती
है,
जिसमें
साउथ
चाइना
सी
भी
शामिल
है।