चांद की जमीन पर लहराया चीनी झंडा, कोरोना काल में चीन की एक और उपलब्धि
बीजिंग। कोरोना वायरस महामारी के लिए दुनियाभर की आलोचना सुनने वाले चीन ने अब चांद पर भी अपने पैर जमा दिए हैं। चीन अब विश्व का दूसरा ऐसा देश बन गया है जिसने चांद की सतह पर अपना झंडा लगा दिया है। चीन की स्पेस एजेंसी की तरफ से कहा गया है कि चीनी स्पेसक्राफ्ट चांग ई-5 ने चीनी झंडे को चांद की सतह पर लगाया है। चीनी अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि यह पहला मौका है जब चीन ने इस उपलब्धि को हासिल किया है। स्पेसक्राफ्ट चांग ई-5 चांद की सतह से नमूने इकट्ठा करके धरती की ओर रवाना हो गया है।
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चांद से मिट्टी लेकर लौट रहा अंतरिक्ष यान
चीनी अंतरिक्ष एजेंसी की तरफ से गुरुवार शाम को बताया गया कि चांग ई-5 के एस्केंडर ने चंद्रमा की सतह से टेक ऑफ किया। चीनी अंतरिक्ष यान के लैंडर ने टेक ऑफ के ठीक पहले चीन के राष्ट्रीय ध्वज को चंद्रमा की सतह पर फहराया। गौरतलब है कि चांग ई-5 चंद्रमा की सतह पर पहुंचने वाला चीन का तीसरा अंतरिक्ष यान है। 17 दिसंबर तक स्पेसक्राफ्ट चांद से करीब दो किलो मिट्टी के साथ इनर मंगोलिया की धरती पर उतरेगा। चांद से मिट्टी लाने का काम इससे पहले अमेरिका और रूस ने 1960 और 70 के दशक में किया था। चीन का चांग ई-5 रोबोटिक स्पेसक्राफ्ट चांद पर ऐसी जगह पर उतरा है जहां पहले कोई मिशन नहीं भेजा गया।
23 नवंबर को भरी थी उड़ान
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार चांग ई-5 को 23 नवंबर की रात में साउथ चाइना सी से लॉन्च किया गया था। चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (सीएनएसए) ने चांग ई-5 स्पेसक्राफ्ट को चांद की उस सतह पर उतारा था, जहां पर करोड़ों साल पहले ज्वालामुखी होते थे। ये चांद का उत्तर-पश्चिम का इलाका है, जो हमें आंखों से दिखाई देता है। सबसे पहले साल 1976 में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अपोलो मिशन ने चांद की मिट्टी का सैंपल लिया था और उसके बाद सोवियत संघ ने यह उपलब्धि हासिल की थी। अमेरिका और सोवियत संघ की तरफ से हुई जांच में पता चला था कि वहां पर अलग-अलग स्थानों पर मौजूद मिट्टी और पत्थरों की उम्र अलग-अलग है।