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अब चीनी 'ड्रैगन' ने भारत के दोस्‍त भूटान की जमीन पर ठोंका दावा, भारतीय IAS ऑफिसर ने चीन को दिया करारा जवाब

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थिम्‍पू। चीन ने अब भारत के पड़ोसी भूटान की जमीन पर नया दावा कर डाला है। चीन की तरफ से किए गए इस दावे का भूटान ने 58वीं ग्‍लोबल एनवायरमेंट्स फैसिलिटी काउंसिल में पुरजोर विरोध किया है। इंडिया टुडे की तरफ से इस बात की जानकारी दी गई है। आपको बता दें कि चीन ने पूर्वी लद्दाख के कई हिस्‍सों पर अपना दावा जता दिया है। साथ ही नेपाल के 11 गांवों पर कब्‍जा कर लिया है। भूटान और भारत के बीच रिश्‍ते पिछले कई दशकों से सौहार्दपूर्ण रहे हैं। ऐसे में एक भारतीय आइएएस ऑफिसर मुश्किल के समय भूटान की मदद के लिए आगे आईं।

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भूटान ने कहा-सैंचुरी हमारा आंतरिक हिस्‍सा

भूटान ने कहा-सैंचुरी हमारा आंतरिक हिस्‍सा

चीन ने भूटान की साकतेंग वाइल्‍ड लाइफ सैंचुरी में एक प्रोजेक्‍ट के लिए आर्थिक मदद की कोशिशें की थीं। चीन का कहना था कि यह उसकी सीमा में आता है और इस चीनी दावे का भूटान की तरफ से विरोध किया गया है। चीन का कहना है कि यह क्षेत्र विवादित है जबकि भूटान ने इसे मानने से साफ इनकार कर दिया है। हकीकत यह है कि जिस जगह पर यह वाइल्‍ड लाइफ सैंचुरी है, उस जगह पर पूर्व में कभी कोई विवाद नहीं रहा है। हालांकि अभी तक यहां पर भूटान और चीन की सीमा का रेखांकन होना है। भूटान की सरकार की तरफ से उसका प्रतिनिधित्‍व कर रहे ऑफिसर को एक सख्‍त संदेश वाला नोट भेजा। इस नोट में लिखा था, 'साकतेंग वाइल्‍ड लाइफ सैंचुरी भूटान का एक आंतरित और संप्रभु क्षेत्र है।'

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IAS ऑफिसर अपर्णा ने की मदद

IAS ऑफिसर अपर्णा ने की मदद

इंडिया टुडे के मुताबिक जो बात सबसे ज्‍यादा दिलचस्‍प है, उसके मुताबिक यह वाइल्‍ड लाइफ सैंचुरी कभी किसी भी ग्‍लोबल फंडिंग का हिस्‍सा नहीं रही है। पहली बार है कि किसी अंतरराष्‍ट्रीय मंच पर चीन ने प्रोजेक्‍ट फंडिंग के बहाने जमीन पर दावा करने की कोशिश की है। इस पर काफी आपतित हुई और चीन ने इसका विरोध किया। इसके बावजूद काउंसिल के सदस्‍यों की तरफ से प्रोजेक्‍ट को मंजूरी दे दी गई और इसे निर्णायक व्‍याख्‍या में जगह भी मिल गई। चीन की तरफ से एक प्रतिनिधि यहां पर था मगर भूटान की तरफ से कोई भी प्रत्‍यक्ष प्रतिनिधि नहीं था। तब भारत की आईएएस ऑफिसर अपर्णा सुब्रामनी ने भूटान का प्रतिनिधित्‍व किया। अपर्णा, वर्ल्‍ड बैंक की अधिकारी हैं और उनके पास बांग्‍लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल और श्रीलंका की जिम्‍मेदारी है।

2 जून को हुई थी चर्चा

2 जून को हुई थी चर्चा

दो जून को प्रोजेक्‍ट पर विस्‍तार से चर्चा हुई और चीन के काउंसिल मेंबर झोंगजिंग वांग मौजूद थे। वांग, इंटरनेशनल इकोनॉमिक एंड फाइनेंशियल को-ऑपरेशन डिपार्टमेंट के डिप्‍टी डायरेक्‍टर हैं। उनकी तरफ से भूटान में इस प्रोजेक्‍ट को लेकर कुछ आपत्तियां दर्ज कराई गईं। उन्‍होंने कहा कि इस प्रोजेक्‍ट पर एक औपचारिक संदेश जारी किया जाना चाहिए। लेकिन अगले ही दिन चीन के प्रतिनिधि ने कहा अब इस पर कोई आपत्ति नहीं है। इस पर अपर्णा ने कहा कि दावे पर किसी ने अभी तक चुनौती पेश नहीं की है और ऐसे में चीन के एक तरफा दावे के साथ आगे नहीं बढ़ना चाहिए।

क्‍या हुआ था डोकलाम विवाद के समय

क्‍या हुआ था डोकलाम विवाद के समय

यह पहली बार नहीं है जब भारत और चीन के बीच जारी टकराव के बीच ही भूटान को भी इस तरह से परेशानी उठानी पड़ी है। साल 2017 में डोकलाम विवाद के समय भी भारत-चीन के बीच भूटान फंस गया था। डोकलाम की स्थिति भारत, भूटान और चीन के ट्राई-जंक्शन है। डोकलाम एक विवादित पहाड़ी इलाका है जिस पर चीन और भूटान दोनों ही अपना दावा जताते हैं। डोकलाम पर भूटान के दावे का भारत समर्थन करता है। जून, 2017 में जब चीन ने यहां सड़क निर्माण का काम शुरू किया तो भारतीय सैनिकों ने उसे रोक दिया था। यहीं से दोनों पक्षों के बीच डोकलाम को लेकर विवाद शुरू हुआ भारत की दलील है कि चीन जिस सड़क का का निर्माण करना चाहता है, उससे सुरक्षा समीकरण बदल सकते हैं।

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English summary
China now claims new land in Bhutan, Thimpu rejected Chinese claim.
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