चीन के प्रेमी महिंदा राजपक्षे ने ली पीएम की शपथ, भारत ने शुरू किया संपर्क और डिप्लोमैसी
कोलंबो। चीन के प्रेमी महिंदा राजपक्षे ने आखिरकार श्रीलंका के राष्ट्रपति तौर पर शपथ ले ली है। अब वह आधिकारिक तौर पर श्रीलंका के प्रधानमंत्री हैं। राजपक्षे के सत्ता में आते ही भारत ने उनके साथ कूटनीतिक और राजनीतिक संपर्क आकस्मिक स्तर पर बढ़ाना शुरू कर दिया है। न्यूज एजेंसी रायटर्स ने कुछ आधिकारियों के हवाले से इस बात की पुष्टि की है। राजपक्षे का पूर्व कार्यकाल राष्ट्रपति के तौर पर था लेकिन उस कार्यकाल में उन्होंने चीन के हित में कई ऐसे काम किए जिसका खामियाजा भारत को भुगतना पड़ा और आज तक भारत को बुरे प्रभाव झेलने पड़ रहे हैं।
छोटे से देश की वजह से बड़े मुद्दे
श्रीलंका भारत के दक्षिणी छोर पर स्थित है और बहुत छोटा देश है लेकिन अब यह देश नई दिल्ली और चीन के बीच तनाव की बड़ी वजह बनता जा रहा है। चीन ने यहां पर बंदरगाह, पावर स्टेशंस से लेकर हाइवे तक बना डाले हैं। चीन की ओर से इन सभी निर्माण कार्यों को इसके बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) के तहत अंजाम दिया गया। राजपक्षे ही श्रीलंका के राष्ट्रपति थे जब उन्होंने चीन की पनडुब्बियों के लिए श्रीलंका के मुख्य बंदरगाह का दरवाजा खोल दिया था। भारत को श्रीलंका के इस कदम पर काफी गुस्सा आया था। राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना की ओर से सत्ता में उनकी वापसी के ऐलान ने नई दिल्ली को काफी आश्चर्य में डाल दिया था। अब इस बात की संभावनाएं भी काफी बढ़ गई हैं भारत और चीन के बीच आने वाले दिनों में श्रीलंका को लेकर रस्साकशी बढ़ जाएगी।
चीन को ही होगा फायदा
रायटर्स ने जवाहर लाल नेहरु यूनिवर्सिटी में भारत-चीन मामलों के जानकार श्रीकांत कोंडाप्पली के हवाले से लिखा है, 'जो कुछ भी हो रहा है उस मौके पर फिलहाल फायदा चीन को होता दिख रहा है।' उनका कहना है कि चीन ने राजपक्षे के कार्यकाल में श्रीलंका में निवेश किया था और हंबनटोटा श्रीलंकाई पीएम का संसदीय क्षेत्र है जो दक्षिणी श्रीलंका में। यहां पर चीन ने 1.5 बिलियन डॉलर की लागत से पानी की गहराई में एक बंदरगाह का निर्माण किया है। साथ ही अब चीन ने यहां पर एक एयरपोर्ट और इंडस्ट्रीयल जोन खोलने का भी मन बनाया है। श्रीलंका में चीन के राजदूत चेंग श्यूयुहान पहले ऐसे राजनयिक थे जिन्होंने प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के तुरंत बाद राजपक्षे से मुलाकात की थी। इसके साथ ही उन्होंने चीन के पीएम ली केकियांग का बधाई संदेश भी राजपक्षे को दिया था।
विक्रमसिंघे बोले मैं ही हूं पीएम
श्रीलंका के अपदस्थ पीएम रानिल विक्रमसिंघे को भारत का हितैषी माना जाता है। उनका कहना है कि उन्हें पद से हटाया जाना गैर-कानूनी है और उन्होंने खुद को पीएम घोषित किया है। उनका कहना है कि उनके पास संसद में बहुमत है। भारतीय राजनयिक लगातार राजपक्षे कैंप से संपर्क बनाए हुए हैं। दिल्ली में मौजूद अधिकारियों की मानें तो भारत, श्रीलंका के नए पीएम के साथ तब तक बिजनेस करने को तैयार है जब तक कि उनकी नियुक्ति संविधान के मुताबिक है। विदेश मंत्रालय की ओर से सोमवार को कहा गया है कि श्रीलंका के लोगों के लिए भारत की मदद हमेशा जारी रहेगी। आरएसएस नेता शेषाद्रीचारी का कहना है कि नई दिल्ली और कोलंबो के बीच नए नेतृत्व के आने के बाद भी संबंध अच्छे रहेंगे।