चीन ने शिनजियांग में हलाल के ख़िलाफ़ अभियान छेड़ा
शिनजियांग चीन के पश्चिम में देश का सबसे बड़ा प्रांत है. इसकी सीमाएं भारत, अफ़ग़ानिस्तान और मंगोलिया जैसे कई देशों से मिलती हैं. कहने को तो ये भी तिब्बत की ही तरह एक स्वायत्त क्षेत्र है लेकिन यहां की सरकार की डोर बीजिंग के हाथ में ही है.
सदियों से इस प्रांत की अर्थव्यवस्था खेती और व्यापार पर केंद्रित रही है. ऐतिहासिक सिल्क रूट की वजह से यहां ख़ुशहाली रही है.
चीन ने मुस्लिम बहुल प्रांत शिनजियांग में हलाल उत्पादों के ख़िलाफ़ एक अभियान शुरू किया है. इसे देश के पश्चिम भाग में रहने वाले वीगर समुदाय के मुसलमानों की ज़िंदगी को बदलने की कोशिशों का हिस्सा बताया जा रहा है.
साथ ही चीन ने पहली स्वीकार किया है कि वो शिनजियांग प्रांत में लोगों की 'शिक्षित' करने के लिए कैंप खोल रहा है. इन कैंपों का मकसद इस प्रांत के लोगों की विचारधारा बदलना है. चीन के मुताबिक वो यहां इस्लामी चरमपंथ से लड़ रहा है.
शिनजियांग की राजधानी ऊरूम्ची में अधिकारियों का कहना है कि वो हलाल चीज़ों के इस्तेमाल में कमी लाना चाहते हैं क्योंकि हलाल से धार्मिक और सेक्यूलर ज़िदंगी के बीच फ़ासला धूमिल हो जाता है.
सोमवार को हुई एक मीटिंग के बाद प्रांत के कम्यूनिस्ट नेतृत्व ने ये शपथ ली कि वो शिनजियांग में हलाल के ख़िलाफ़ जंग छेड़ेंगे.
इस शपथ की जानकारी ऊरूमची प्रशासन ने अपने वीचैट अकाउंट पर दी है.
चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने बुधवार को लिखा, "हलाल उत्पादों की मांग की वजह से दिक्कतें पेश आ रही हैं जिसके चलते इस्लाम का सेक्यूलर जीवन में दख़ल बढ़ रहा है."
प्रांत के एक स्थानीय अधिकारी इलशात ओसमान ने एक लेख लिखा है जिसमें उन्होंने कहा है, "दोस्तों आपको हमेशा हलाल रेस्तरां खोजने की ज़रूरत नहीं है."
हलाल की परवाह न करें
सरकार के मुताबिक अधिकारियों को हलाल की परवाह किए बगैर हर किस्म के व्यंजन चखने चाहिए.
स्थानीय कम्यूनिस्ट नेतृत्व ने ये साफ़ किया है कि वो चाहते हैं कि शिनजियांग में सभी मार्क्सवाद-लेनिनवाद पर यक़ीन करें, न कि किसी धर्म पर. और सभी लोग सार्वजनिक स्थानों पर चीनी भाषा बोलें.
वैसे तो चीन में सभी लोगों को अपने धर्म के पालन की अनुमति है लेकिन हाल के महीनों में लोगों की धार्मिक आस्थाओं पर सरकारी निगरानी बढ़ी है.
इस्लामी चरमपंथ के ख़िलाफ़ जंग
चीन का कहना है कि वो शिनजियांग में इस्लामी चरमपंथ के ख़िलाफ़ जंग लड़ रहा है. ऐसी भी ख़बरें आई हैं कि यहां लाखों लोगों को एक ख़ास तरह के कैंपों में रखा गया है.
इन कैंपों में लोगों को 'नए ज़माने की शिक्षा' दी जा रही है.
अब चीन ने साफ़ कर दिया है कि ये कैंप लोगों को दोबारा शिक्षा देने के लिए खोले गए हैं. अधिकारियों का कहना है कि ये कैंप उन लोगों को बदलने के लिए हैं जो धार्मिक कट्टरता से प्रभावित हैं.
नए दौर की शिक्षा
शिनजियांग में वीगर मुस्लिम नौजवानों के लापता होने के मुद्दे पर दुनियाभर में चिंता ज़ाहिर की जा रही है. हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की
मानवाधिकार मामलों की समिति के समक्ष कहा गया था कि चीन में क़रीब दस लाख वीगर मुसलमान पुनः शिक्षा कैंपों में हैं.
शिनजियांग की सरकार की ओर से लाए गए विधेयक में कहा गया है कि इन कैंपों का उद्देश्य व्यावसायिक प्रशिक्षण देने के अलावा व्यवहार को सही करना और वैचारिक शिक्षा देना भी है. ये इस क्षेत्र में धर्म पर चीन के दख़ल का पहला पुख़्ता सबूत है.
दुनिया की सबसे बड़ी जेल?
अगस्त में एक संयुक्त राष्ट्र की कमेटी को बताया गया था कि शिनजियांग में क़रीब दस लाख मुसलमानों को एक तरह की हिरासत में रखा गया है, जहां उन्हें 'दोबारा शिक्षा' दी जा रही है.
चीन इन ख़बरों का खंडन करता है. लेकिन इस दौरान शिनजियांग में लोगों पर निगरानी के कई सबूत सामने आए हैं.
शिनजियांग से सीधी ख़बरें आना बहुत मुश्किल है. वहां मीडिया पर पाबंदी है. लेकिन बीबीसी ने कई बार इस क्षेत्र से रिपोर्ट्स जुटाई हैं और ख़ुद इन कैंपों के सबूत देखे हैं.
- चीन के वीगरों पर चुप क्यों हैं मुसलमानों के हिमायती देश
- वीगर मुस्लिम पर इंटरपोल के फ़ैसले से चीन ख़फ़ा
बीबीसी के कार्यक्रम न्यूज़नाइट ने कई ऐसे लोगों से भी बात की है जो इन जेलों में रह चुके हैं. ऐसे ही एक शख़्स हैं आमिर.
आमिर ने बीबीसी को बताया, ''वो मुझे सोने नहीं देते थे. मुझे कई घंटों तक लटका कर रखा जाता था. मेरी चमड़ी में सूइयां चुभाई जाती थीं. प्लास से मेरे नाख़ून नोचे जाते थे. टॉर्चर का सारा सामान मेरे सामने टेबल पर रखा जाता था ताकि में ख़ौफ़ज़दा रहूं. मुझे दूसरे लोगों के चीखने की आवाज़ें सुनाई देती थी.''
कहां है शिनजियांग?
शिनजियांग चीन के पश्चिम में देश का सबसे बड़ा प्रांत है. इसकी सीमाएं भारत, अफ़ग़ानिस्तान और मंगोलिया जैसे कई देशों से मिलती हैं. कहने को तो ये भी तिब्बत की ही तरह एक स्वायत्त क्षेत्र है लेकिन यहां की सरकार की डोर बीजिंग के हाथ में ही है.
सदियों से इस प्रांत की अर्थव्यवस्था खेती और व्यापार पर केंद्रित रही है. ऐतिहासिक सिल्क रूट की वजह से यहां ख़ुशहाली रही है.
बीसवीं सदी की शुरुआत में वीगर समुदाय ने थोड़े वक्त के लिए ही सही, शिनजियांग को आज़ाद घोषित कर दिया था. लेकिन 1949 की कम्यूनिस्ट क्रांति के बाद ये प्रांत चीन का हिस्सा बन गया.
ये भी पढ़ें:
- ऐसी 'जेल' जहां बंद हैं दस लाख मुसलमान?
- वीगर मुस्लिम पर इंटरपोल के फ़ैसले से चीन ख़फ़ा
- वीगर मुसलमानों और चीन के बीच तनातनी क्यों?
- चीन में वीगर मुसलमानों की 'लंबी दाढ़ी' पर प्रतिबंध