अमेरिका को चीन ने दिया बड़ा झटका, कोरोना काल में बना यूरोपियन यूनियन का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर
बीजिंग। कोरोना वायरस महामारी की वजह से आलोचनाओं में घिरा चीन, यूरोपियन यूनियन (ईयू) का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर बन गया है। हैरानी की बात है कि ईयू के कई देश इस साल की शुरुआत से ही चीन को महामारी के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। जहां चीन ईयू का सबसे बड़ा व्यापार साझीदार बन गया है तो दुनिया के बाकी देश जैसे अमेरिका जो महामारी से जूझते रहे, पीछे हो गए हैं।
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साल 2004 में ली थी जापान की जगह
यूरोस्टैट डाटा के मुताबिक साल 2020 के पहले नौ माह के अंदर ईयू और चीन के बीच 425.5 बिलियन यूरो या 514 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ। जबकि र्इयू और अमेरिका के बीच हुए व्यापार का आंकड़ा 412.5 बिलियन यूरो तक का है। अगर साल 2019 की बात करें तो चीन के साथ इसी समयसीमा में ईयू का व्यापार करीब 413.4 बिलियन यूरो का था तो अमेरिका के साथ करीब 461 बिलियन यूरो का व्यापार हुआ था। यूरोस्टैट का कहना है कि चीन से होंने वाले आयात में 4.5 प्रतिशत का इजाफा हुआ तो वहीं निर्यात में कोई फर्क नहीं पड़ा है। रिपोर्ट के मुताबिक इसी समयावधि में अमेरिका के साथ होने वाले आयात में -11.4 प्रतिशत और निर्यात में -10 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। ईयू साल 2004 से चीन का टॉप ट्रेडिंग पार्टनर बना हुआ है। उस समय उसने जापान को उसकी जगह से हटाया था।
चीन ने उठाया महामारी का फायदा
कोविड-19 की वजह से चीन की अर्थव्यवस्था जो पहली तिमाही में पटरी से उतरी थी, अब तीसरी तिमाही में आगे बढ़ती हुई नजर आ रही है। फ्रांस की फर्म इनसी के मुताबिक यूरोप में चीन से होने वाले निर्यात में तीसरी तिमाही में इजाफा हुआ है। पीपीई किट यानी पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट की वजह से चीन से होने वाला आयात बढ़ा है। इस वर्ष की शुरुआत में जब वायरस धीरे-धीरे दुनिया भर में फैलने लगा तो चीन ने इस पर नियंत्रण पाना शुरू कर दिया था। इसके बाद उसने अपनी अर्थव्यवस्था को भी खोल दिया। यूरोप के कई देशों जैसे फ्रांस और जर्मनी ने चीन की आलोचना की और यहां तक कि इस बात की जांच की मांग कराने के लिए भी कहा कि आखिर वायरस वुहान से निकलकर दुनिया में कैसे फैला। दुनिया जहां वायरस की मार से जूझ रही तो चीनी कंपनियां इसका फायदा उठाकर अपनी मैन्युफैक्चरिंग क्षमता को बढ़ाने में लगी हुई थीं।