मालदीव की रक्षा मंत्री ने कहा हिंद महासागर का हिस्सा नहीं है चीन, बीजिंग को लगा तगड़ा झटका
माले। मालदीव में नई सरकार आई है और अब यहां के समीकरण बदल रहे हैं। मालदीव की पहली महिला रक्षा मंत्री मारिया अहमद दीदी ने साफ-साफ कहा है कि चीन, हिंद महासागर का हिस्सा नहीं है। दीदी का यह बयान यहां पर इसलिए और भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि मालदीव की पुरानी यामीन सरकार चीन की समर्थक थी। पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन चीन के हितैषी थे और उनकी करीबी का नतीजा था कि मालदीव में चीन की गतिविधियां बढ़ती जा रही थीं। लेकिन रक्षा मंत्री दीदी के बयान से भारत को थोड़ी राहत मिली होगी।
क्यों चीन नहीं हिंद महासागर का हिस्सा
मालदीव की पहली महिला रक्षा मंत्री मारिया अहमद दीदी ने स्ट्रैटेजिक न्यूज इंटरनेशनल का खास इंटरव्यू दिया है। इस इंटरव्यू में उन्होंने यामीन सरकार के साथ भारत के रिश्तों के बारे में बात की। इस इंटरव्यू में उनसे पूछा गया था कि उनकी सरकार भारत और चीन के बीच किस तरह से संतुलन कायम करेगी और सरकार पूरे हिंद महासागर क्षेत्र को किस तरह से देखती है? इस पर दीदी ने जवाब हंसते हुए कहा, 'चीन प्रशांत में हैं।' इसके बाद उन्होंने कहा, 'जहां तक हिंद महासागर की बात है, हम यहां पर शांति और सुरक्षा कायम करना चाहता है। इस क्षेत्र में आपसी सहयोग होगा और हम मानते हैं भौगोलिक तौर पर हिंद महासागर का हिस्सा नहीं है। इसलिए हम अपने पड़ोसियों से पड़ोसी के अंदाज में ही बात करेंगे, दोस्ताना तरीके से बात होगी। साथ ही साथ हम अपने पड़ोसियों के साथ सांस्कृतिक और पारंपरिक संबंध भी बनाकर रखेंगे।'17 नवंबर को मालदीव के नए राष्ट्रपति इब्राहिम सोलेह ने नए राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सोलिह की ख्वाहिश पर उनके शपथ ग्रहण के लिए माले पहुंचे थे। पीएम मोदी की यह पहली मालदीव यात्रा थी। कहा गया था कि यहां से दिल्ली औ माले के बीच संबंध बदलने शुरू होंगे। दीदी का बयान इस तरफ पहला इशारा है।
गिफ्ट में मिले एयरक्राफ्ट वापस नहीं करेगा मालदीव
दीदी ने इस बात से भी साफ इनकार कर दिया कि मालदीव, भारत की तरफ से उपहार के तौर पर मिले डॉर्नियर एयरक्राफ्ट को वापस नहीं करेगा। दीदी ने इस इंटरव्यू में कहा, 'पारंपरिक तौर पर मालदीव के लोग पड़ोसियों के तोहफों को वापस नहीं करते हैं।' उन्होंने इस तरफ भी इशारा किया मालदीव, भारत से कुछ और मिलिट्री उपकरण खरीद सकता है। उन्होंने भारत के लोकतंत्र, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत की सेनाओं की तारीफ भी की। उन्होंने कहा कि हम लोकतंत्र की तरफ बढ़ चुके हैं और अब हमें अपनी सेनाओं को अनुशासित करना है। इसके बाद उन्होंने कहा कि मालदीव का पड़ोसी भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है जिसके पास विशाल सुरक्षाबल है। सुरक्षाबल, राजनीति से अलग कानून के तहत अपना काम करता है।
भारत आएंगे मालदीव के ऑफिसर्स
इस इंटरव्यू में रक्षा मंत्री मारिया अहमद दीदी ने मालदीव और भारत की सेनाओं के बीच आपसी संपर्क को बढ़ाने की वकालत भी की। उन्होंने इस बात की जानकारी दी कि जल्द ही भारत के साथ 'दोस्ती' नाम से एक मिलिट्री एक्सरसाइज होगी। इसके तहत कुछ सीनियर ऑफिसर्स भारत आएंगे और ऑफिसर्स सीखेंगे कि कैसे एक लोकतांत्रिक समाज में सेनाओं को अपना काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मालदीव की नई सरकार सेनाओं को राजनीति से अलग रखने की मंशा लेकर सत्ता में है। पूर्व राष्ट्रपति यामीन के कार्यकाल में सेना को सीमा के बाहर राजनीति का सामना करना पड़ा है। अब ऐसा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि भारत में हो सकता है पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार रहे या फिर कोई दूसरी सरकार आ जाए लेकिन सेनाएं हमेशा प्रोफेशनल रहेंगी। ऐसे में मालदीव की सेनाओं के पास अच्छा मौका है कि वह भारत की सेनाओं से काफी कुछ सीख सकती हैं।