Special Report: चीन से वैक्सीन लेकर उइगर मुसलमानों को बेच रहा है तुर्की! चीन का डराने वाला ‘एक्सचेंज ऑफर’
तुर्की पर आरोप लगे हैं कि वो वैक्सीन के बदले चीन को उइगर मुसलमानों को बेच रहा है।
बीजिंग: चीन से वैक्सीन लेकर उइगर मुसलमानों को बेचने का सनसनीखेज इल्जाम खुद को मुसलमानों का नया खलीफा कहने वाले मुल्क तुर्की पर लगा है। आरोप है कि चीन से वैक्सीन लेकर तुर्की अपने यहां शरण लिए उइगर मुस्लिमों को वापस चीन भेज रहा है। चीन वापस जाने के खौफ ने उइगर मुसलमानों की नींदे छीन ली हैं। मगर सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि मुसलमानों के मुद्दे को हवा देने वाला मुल्क चाहे पाकिस्तान हो या फिर मुस्लिम उम्मा, उइगर मुस्लिमों के लिए कोई भी देश आवाज उठाने को तैयार नहीं है। उइगर मुस्लिमों को मुस्लिम देशों ने चीन के जबरे में मरने के लिए छोड़ दिया है।
उइगर मुसलमानों के लिए 'एक्सचेंज ऑफर'
न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, अब्दुल्ला मेटसेडी, एक उइगर मुस्लिम हैं जो तुर्की में किसी तरह जीवन गुजार रहे थे। लेकिन कुछ दिन पहले जब वो घर में सो रहे थे तभी तुर्की सेना के कई अधिकारी उनके घर पहुंचते हैं। घर का दरवाजा खोलने के लिए सेना के अधिकारी उनसे कहते हैं। जैसे ही अब्दुल्ला दरवाजा खोलते हैं, वो अपने सामने तुर्की के एंटी टेरेरिस्ट स्कॉड के दर्जनों जवानों को देखते हैं। सेना के अधिकारी अब्दुल्ला से कहते हैं कि 'तुम चीन के खिलाफ अवैध गतिविधि में शामिल हो, लिहाजा तुम्हें तुर्की से निकाला जाता है' अब्दुल्ला की एक सफाई नहीं सुनी जाती है। उन्हें उनकी पत्नी के साथ हिरासत में लेकर निर्वासन कैंप (deportation facility) में लाया जाता हैं, जहां से उन्हें वापस चीन भेजा जाना है।
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तुर्की के कई विपक्षी नेता अंकारा के नेताओं पर कोरोना वैक्सीन के बदले उइगर मुसलमानों को चीन के हाथों बेच देने का आरोप लगा रहे हैं। तुर्की के विपक्षी नेताओं का आरोप है कि चीन ने तुर्की को तीन करोड़ कोरोना वायरस की वैक्सीन देने का वादा किया है मगर सरकार वैक्सीन के बदले उइगर मुस्लिमों का सौदा कर रही है। तुर्की में रहने वाले उइगर मुसलमानों को चीन डिपोर्ट करना शुरू हो चुका है। तुर्की में रहने वाले उइगर मुस्लिमों के खिलाफ तुर्की की पुलिस एक विशेष मुहिम चला रही है, जिसके अंतर्गत उइगर मुसलमानों को पकड़ा जा रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अभी तक 50 से ज्यादा उइगर मुस्लिमों को चीन भेजा जा चुका है।
अचानक एक्टिव हुआ 'प्रत्यर्पण संधि'
बताया जा रहा है कि तुर्की और चीन के बीच सालों पहले प्रत्यर्पण संधि के लिए बिल बनाया गया था। लेकिन, पिछले साल दिसंबर महीने में इस बिल को कानून का रूप देने की कोशिश शुरू हो चुकी है। तुर्की में शरण लेकर रहने वाले उइगर मुस्लिमों का कहना है कि अगर 'प्रत्यर्पण संधि' कानून बन गया तो वो कानून उनकी जिंदगी बर्बाद कर देने वाले कानून से कम नहीं होगा।
तुर्की की मुख्य विपक्षी पार्टी की नेता यिलदिरीम काया (Yildirim Kaya) कहते हैं कि चीन तुर्की को करीब 3 करोड़ वैक्सीन का डोज भेजने वाला था मगर सिर्फ 30% वैक्सीन की डिलिवरी देकर चीन ने वैक्सीन देना बंद कर दिया है। माना जा रहा है कि उइगर मुसलमानों को सौंपने के लिए चीन अब तुर्की को ब्लैकमेल कर रहा है। तुर्की के मुख्य विपक्षी नेता कहते हैं कि वैक्सीन की डिलिवरी देने में लेट करना सामान्य बात नहीं है। हम वैक्सीन के लिए पैसे पहले ही दे चुके हैं। उन्होंने कहा कि तुर्की सरकार से उन्होंने इस मुद्दे पर बात करने की कोशिश की है लेकिन उन्हें अभी तक जबाव नहीं मिला है।
हालांकि, तुर्की और चीन...दोनों का कहना है कि प्रत्यर्पण संधि को अचानकर कानूनी रूप देने के पीछे उइगर मुस्लिमों को ध्यान में नहीं रखा गया है। चीन के विदेशमंत्री भी प्रत्यर्पण संधि के पीछे उइगर मुस्लिमों को ध्यान में रखने की बात से इनकार कर चुके हैं। लेकिन, तुर्की के कई नेताओं का मानना है कि प्रत्यर्पण संधि कानून तुर्की सरकार जल्दबाजी में इसलिए बना रही है ताकि उसके बहाने उइगर मुसलमानों को चीन डिपोर्ट किया जा सके।
तुर्की में हैं 50 हजार उइगर मुस्लिम
तुर्की में इस वक्त 50 हजार से ज्यादा मुस्लिम रह रहे हैं और वो इन दिनों काफी ज्यादा डरे हुए हैं। चीन का नाम ही उन्हें किसी बुरे सपने सरीखा लगता है। पिछले महीने चीन में रहने वाले तुर्की के राजदूत ने चीनी वैक्सीन को तुर्की के मुताबिक बताते हुए कहा कि तुर्की कानूनी तौर पर भी चीन को सारी सुविधाएं मुहैया कराएगा। जिसका मतलब यही माना जा रहा है कि तुर्की उइगर मुस्लिमों को ही डिपोर्ट करने की योजना पर काम कर रहा है।
तुर्की में भी उइगर मुस्लिमों के लिए 'यातना घर'
तुर्की में उइगर मुस्लिमों के ऊपर कई मुकदमे दर्ज कर उन्हें डिटेंशन कैंप भेज दिया गया है। उइगर मुस्लिमों के अधिकार के लिए लड़ने वाले वकीलों का कहना है कि कुछ साल पहले तंग आकर कुछ उइगर मुस्लिम सीरिया में आतंकवादी बनने के लिए फरार हो गया। जिसका असर अब बाकी उइगर मुस्लिमों पर हो रहा है। अब ज्यादातर उइगर मुस्लिमों को झूठे मुकदमों में फंसाकर उन्हें डिटेंशन कैंप भेज दिया जाता है। पुलिस के पास उइगर युवाओं के खिलाफ कोई सबूत नहीं होते हैं फिर भी उन्हें डिटेंशन कैंप में रखा जाता है।
अंकारा कानून विश्वविद्यालय के प्रोफेसर Ilyas Dogan कहते हैं कि डिटेंशन कैंप बनाया जाना पॉलिटिकल मोटिवेटेड प्रक्रिया है। पुलिसवाले बगैर सबूत के लोगों को गिरफ्तार करते हैं फिर उन्हें डिटेंशन कैंप में रखते हैं। जहां उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। Ilyas Dogan का मानना है कि अगर चीन और तुर्की के बीच प्रत्यर्पण संधि कानून बन गया तो फिर तुर्की से हजारों की तादाद में उइगर मुस्लिमों को चीन भेज दिया जाएगा और उनकी स्थिति पर हर कोई खामोश रहेगा। तुर्की के वर्तमान राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन(Recep Erdogan) राष्ट्रपति बनने से पहले उइगर मुस्लिमों को लेकर चीन की काफी आलोचना कर चुके हैं। उन्होंने उइगर मुस्लिमों के नरसंहार करने का इल्जाम चीन पर लगाया था। मगर, राष्ट्रपति बनने के बाद राष्ट्रपति अर्दोआन ने चीन के साथ अच्छे रिश्ते कायम कर लिए और उन्होंने उइगर मुस्लिमों के हालात से किनारा कर लिया।
चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिम रहते हैं जहां उइगर मुस्लिमों को डिटेंशन कैंप में रखा जाता है। चीनी जुल्म से तंग आकर कई उइगर मुस्लिम भागकर तुर्की चले जाते हैं। तुर्की एक वक्त उइगर मुस्लिमों के रहने के लिए काफी मुफीद जगह माना जा रहा था मगर पिछले कुछ सालों में स्थितियां काफी बदल गई हैं। अब तुर्की में भी चीन की तरफ डिटेंशन कैंप खोले जा रहे हैं, जहां जिहाद छेड़ने या फिर आतंकवाद का इल्जाम लगाकर उइगर युवाओं को डिटेंशन कैंप में रखा जाने लगा है।
तुर्की में चीनी निवेश
एक वक्त तुर्की पश्चिमी देशों के करीब था मगर राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन तुर्की को चीन की तरफ लेकर चले गये। चीन ने तुर्की में 1.7 बिलियन डॉलर का कोल प्लांट भी तुर्की में स्थापित किया है। तुर्की के इंस्ताबुल एयरपोर्ट को चीन की मदद से दुनिया का पहला ऐसा एयरपोर्ट बनाया गया है जो चीनी लोगों के अनुरूप हो। चीन के शंघाई और बीजिंग से हजारों की तादाद में चीनी पर्यटक तुर्की घुमने के लिए जाते रहते हैं। बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में चीन अरबों डॉलर का निवेश तुर्की में करने वाला है। लिहाजा, तुर्की के राष्ट्रपति ने उइगर मुस्लिमों की जिंदगी शी जिनपिंग के हाथों में सौंप दी है, मगर सबसे ज्यादा हैरानी की बात ये है कि विश्व में मौजूद 55 से ज्यादा मुस्लिम देश उइगर मुस्लिमों के खिलाफ होने वाले अत्याचार को लेकर पूरी तरह से खामोश हैं।
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