भारतीय सीमा के पास एक साथ 30 एयरपोर्ट बना रहा है चीन, भारत के लिए बड़ा खतरा बना ड्रैगन!
चीन ने इससे पहले अरुणाचल प्रदेश की सीमा के पास तक बुलेट ट्रेन चला दिया है और अब 30 एयरपोर्ट के निर्माण के बाद भारत के साथ तनाव और बढ़ने की आशंका है।
नई दिल्ली, सितंबर 16: भारतीय सीमा के पास चीन एक साथ 30 एयरपोर्ट का तेजी से निर्माण कर रहा है। चीन की सरकारी मीडिया ने इसकी जानकारी दी है। चीन की सरकारी मीडिया ने कहा है कि देश के अधिकारी बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के प्रयास में तिब्बत और शिनजियांग प्रांतों में 30 हवाई अड्डों का निर्माण कर रहे हैं। लेकिन, तिब्बत में दर्जनों हवाई अड्डे बनाने की कोशिश करने वाले चीन की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर ड्रैगन करना क्या चाहता है?
भारतीय सीमा पर 30 एयरपोर्ट का निर्माण
चीन के सरकारी मीडिया चाइनामिल ऑनलाइन ने बताया है कि शिनजियांग और तिब्बत में "30 नागरिक हवाई अड्डे" या तो बनाए जा चुके हैं या निर्माणाधीन हैं। चीनी मीडिया आउटलेट ने पीएलए के एक अधिकारी के हवाले से कहा है कि "सीमावर्ती क्षेत्रों में नागरिक उड्डयन का तेजी से विकास सैनिकों के लिए भी हवाई परिवहन प्रदान करेगा"। चीन ने पहले ही ल्हासा को निंगची से जोड़ने वाली बुलेट ट्रेन शुरू कर दी थी, जो अरुणाचल प्रदेश के करीब एक तिब्बती सीमावर्ती शहर है। चाइनामिल की रिपोर्ट में कहा गया है कि "115 पूर्व सैनिकों को लेकर एक चार्टर्ड फ्लाइट" तिब्बत के शिगात्से हेपिंग हवाई अड्डे से उड़ान भरी थी जो सिचुआन में चीन के चेंगदू की ओर जा रही थी। फिलहाल, इस हवाई मार्ग को टेम्परोरी मार्ग बनाया गया है। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
क्या चाहता है ड्रैगन?
कथित तौर पर इस कदम का उद्देश्य "सिचुआन और तिब्बत में और बाहर नए रंगरूटों और दिग्गजों के परिवहन के लिए 23 हवाई मार्गों के आधिकारिक उद्घाटन" को चिह्नित करना था। यह रिपोर्ट तब भी आई है, जब कई महीनों तक भारतीय सेना के साथ उलझने के बाद चीनी सैनिक पूर्वी लद्दाख से नीचे उतरे हैं। पिछले साल भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गालवान घाटी में झड़प हुई थी जिसमें कई चीनी सैनिक मारे गये थे, वहीं 20 भारतीय जवान भी शहीद हो गये थे। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन ने "अस्थायी रूप से यिनचुआन, जियायुगुआन और झांगये से नगारी के लिए तीन हवाई मार्ग खोल दिए हैं" और तिब्बत के नगारी क्षेत्र में प्रवेश करने वाले रंगरूटों को चीन की एयरलाइनों के साथ हवाई मार्ग से ले जाया जाएगा, जो "विशेष रूप से एक आपात स्थिति के दौरान" सैन्य कर्मियों को ट्रांसफर करने में सहायक होगी। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
तिब्बत से भारत को घेरने की कोशिश?
चीनी मीडिया की रिपोर्ट्स में कहा गया है कि तिब्बत में कम से कम तीन हवाई अड्डे बुरांग, लुंजे और टिंगरी में बनाए जाने थे, जिसमें तिब्बत और शिनजियांग को चीन के शहरों से जोड़ने वाले 20 से ज्यादा नए हवाई मार्ग शामिल थे। यानि, तिब्बत से चीन के 20 शहरों में उड़ान भरी जा सकती है। आपको बता दें कि, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) तिब्बत सैन्य कमान ने हाल ही में तिब्बत के पठारी क्षेत्र में 4,500 मीटर की ऊंचाई पर "स्नोफील्ड ड्यूटी-2021" नाम से बड़े पैमाने पर संयुक्त अभ्यास किया था। अभ्यास में लाइव गोला बारूद अभ्यास और अंधेरे में भी अभ्यास किया गया था। इस सैन्य अभ्यास के जरिए चीन की सेना रात में लड़ने की क्षमता विकसित करने की कोशिश कर रही थी। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
तिब्बत में बुलेट ट्रेन
इसी साल जून महीने में चीन की सरकार मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने रिपोर्ट दी थी कि, सिचुआन-तिब्बत रेलवे के तहत बुलेट ट्रेन परियोजना का विकास किया गया है और एक जुलाई को चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी की 100वीं वर्षगांठ से पहले इस बुलेट ट्रेन को शुरू कर दिया गया है। ये बुलेट ट्रेन ल्हासा से न्यिंगची स्टेशनों के बीच 435.5 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। रिपोर्ट के मुताबिक तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन 24 जून को शुरू हो चुकी है। और ये ल्हासा को न्यिंगची को जोड़ेगी और ये एक फक्सिंग बुलेट ट्रेन है, जिसका आधिकारिक तौर पर संचालन शुरू हो गया है।
पठारों से गुजरेगी बुलेट ट्रेन
चीन द्वारा तिब्बत में शुरू की गई ये बुलेट ट्रेन किंघई-तिबब्त पठार के दक्षिण-पूर्व से होकर गुजरती है। जिसे दुनिया के सबसे भूगर्भीय रूप से बेहद सक्रिय क्षेत्रों में से एक होने का दर्जा हासिल है। किंघई-तिब्बत के बाद सिचुआन-तिब्बत रेलवे तिब्बत का दूसरा रेलवे परियोजना है। पिछले साल ही चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिग ने अधिकारियों को ऑर्डर देते हुए कहा था कि सिचुआन प्रांत और तिब्बत के न्यिंगची को जोड़ने वाली रेलवे प्रोजेक्ट का काम काफी तेजी से शुरू किया जाए। चीनी राष्ट्रपति ने इस रेल परियोजना को चीन की सीमा क्षेत्र में स्थिरता लाने के लिए बढ़ाया गया एक महत्वपूर्ण कदम बताया था।
अरूणाचल प्रदेश पर चीन की नजर
पहले चीन ने भारत के अभिन्न हिस्से अरूणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा बताया था, जिसे भारत की तरफ से सिरे से खारिज कर दिया गया था। आपको बता दें कि भारत-चीन सीमा विवाद में 3 हजार 488 किलोमीटर लंबी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल शामिल है, जिसे हम आम भाषा में एलएसी कहते हैं। चीन के शिंहुआ यूनिवर्सिटी के नेशनल स्ट्रेटजी इंस्टीट्यूट के रिसर्च विभाग के निदेशक कियान फेंक ने ग्लोबल टाइम्स से कहा था कि 'भारत-चीन सीमा पर अगर कोई विवाद जैसी स्थिति उत्पन्न होती है या कोई संकट का वातावरण बनता है, तो इस रेलवे के जरिए चीन को रणनीतिक सामग्री पहुंचाने में बहुत बड़ी मदद मिलेगी।' ऐसे में देखा जाए तो रणनीतिक तौर पर अरूणाचल प्रदेश से लगती सीमा पर तिब्बत के पास भारत के लिए चुनौती बढ़ गई है।