चीन के तेवर नरम, बोला- 'सीमा विवाद को हल करने लायक स्थिति बनाने की जरूरत', भारत को कहा दोस्त
बीजिंग। चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने रविवार को कहा है कि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को हल लायक स्थिति बनाने के लिए दोनों देशों के बीच सहयोग को और बढ़ाने की आवश्यकता है। चीनी विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और चीन एक दूसरे के 'प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि मित्र' हैं।
बीजिंग में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए चीनी नेता ने कहा "बीजिंग और नई दिल्ली को एक दूसरे को कम आंकने के बजाय सफल होने में मदद करनी चाहिए और बजाय एक दूसरे पर संदेह करने के आपसी सहयोग को मजबूत करना चाहिए।"
वार्षिक
प्रेस
वार्ता
में
बोले
वांग
यी
चीनी
विदेश
मंत्री
ने
नेशनल
पीपल्स
कॉन्फ्रेंस
(एनपीसी)
के
बीजिंग
में
होने
वाले
सम्मेलन
के
आयोजन
के
साथ
अपनी
वार्षिक
प्रेस
वार्ता
में
ये
बातें
कही।
उन्होंने कहा "चीन और भारत का संबंध अनिवार्य रूप से इस बारे में है कि दुनिया के दो सबसे बड़े विकासशील देश कैसे साथ-साथ विकास और कायाकल्प करते हैं। दो प्राचीन सभ्यताओं और दो प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं के रूप में, भारत और चीन के बीच व्यापक साझा हित और सहयोग की प्रबल संभावना है।"
उन्होंने कहा कि चीन बातचीत और परामर्श के माध्यम से सीमा विवाद को निपटाने के लिए प्रतिबद्ध है।
चीन
का
बदला
रुख
वांग
यी
के
इस
संबोधन
में
चीन
का
बदला
रुख
साफ
नजर
आया।
सीमा
विवाद
को
प्रमुखता
न
देते
हुए
यी
का
मुख्य
जोर
संबंधों
में
सुधार
पर
रहा।
उन्होंने
कहा
"भारत-चीन
संबंधों
में
सीमा
विवाद
ही
सब
कुछ
नहीं
है।
यह
महत्वपूर्ण
है
कि
दोनों
पक्ष
विवाद
को
ठीक
से
प्रबंधित
करें
और
साथ
ही
मुद्दे
के
निपटारे
के
लिए
सक्षम
स्थिति
बनाने
के
लिए
सहयोग
का
विस्तार
करें
और
बढ़ाएं।
बता दें कि चीनी सेना की आक्रामक कार्रवाई के चलते पिछले साल से भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गतिरोध बना हुआ है। पिछले महीने ही 9 दौर की कॉर्प्स कमांडर वार्ता के बाद पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिणी दोनों किनारों से दोनों देशों ने डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया पूरी की थी।
भारत
ने
दिया
था
पूर्ण
डिसएंगेजमेंट
पर
जोर
बीते
शुक्रवार
को
भारतीय
विदेश
मंत्रालय
ने
कहा
था
चीन
की
बाकी
क्षेत्रों
में
डिसएंगेजमेंट
के
लिए
शीघ्र
काम
करने
के
लिए
कहा
था।
मंत्रालय
के
मुताबिक
पूर्ण
डिसएंगेजमेंट
दोनों
पक्षों
को
पूर्वी
लद्दाख
में
सेना
को
घटाने
पर
विचार
करने
की
अनुमति
देगा।
इसके
चलते
ही
शांति
की
बहाली
होगी
और
हमारे
द्विपक्षीय
संबंधों
में
प्रगति
के
लिए
परिस्थितियां
बनेंगी।"
इसके पहले पैंगोंग क्षेत्र में डिसएंगेजमेंट के पूरा होने पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बाकी क्षेत्रों में जल्द ही डिसएंगेजमेंट किए जाने पर बल दिया था।
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