कोरोना वैक्सीन: फॉर्मूला चोरी के आरोपों पर चीन की सफाई, कहा- भारतीय कंपनियों में नहीं करवाई हैकिंग
नई दिल्ली: दिसंबर 2019 में चीन के वुहान में कोरोना वायरस पाया गया। इससे पहले वैज्ञानिक कुछ समझ पाते चीन की लापरवाहियों ने इस वायरस को पूरी दुनिया में फैला दिया। कुछ दिनों बाद चीन में हालात सुधर गए, लेकिन ज्यादातर देश अभी भी इस महामारी से जूझ रहे हैं। इस बीच भारत को भी बड़ी कामयाबी मिली, जहां भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार कर ली। इसके बाद से भारत दुनियाभर में इन दोनों वैक्सीन की डोज पहुंचा रहा है। हालांकि भारत का ये कदम पड़ोसी देश को नहीं पसंद, जिस वजह से वो नापाक हरकतों को अंजाम दे रहा है।
दो दिन पहले ये खबर आई कि चीनी सरकार की ओर से समर्थित हैकर्स के ग्रुप भारत की उन दो कंपनियों के आईटी सिस्टम को निशाना बना रहे, जिन्होंने वैक्सीन तैयार करने में कामयाबी हासिल कर ली है। अब इस मामले में चीन ने सफाई दी है। चीनी विदेश मंत्रालय के मुताबिक ये रिपोर्ट पूरी तरह से निराधार है। कोई भी चीन समर्थित हैकर्स ग्रुप भारतीय वैक्सीन का फॉर्मूला चोरी करने की कोशिश नहीं कर रहा है। इसके अलावा ना ही किसी भारतीय कंपनी पर चीनी हैकर्स ने साइबर हमला किया है।
कैसे
सामने
आया
मामला?
सिंगापुर
और
टोक्यो
में
स्थित
गोल्डमैन
सैक्स
समर्थित
वॉचडॉग
संस्था
साइफर्मा
ने
इस
मामले
में
बकायदा
अधिकारिक
बयान
जारी
किया
था।
जिसमें
उन्होंने
कहा
कि
चीनी
हैकिंग
ग्रुप
एपीटी10
ने
भारत
बॉयोटेक
और
सीरम
इंस्टीट्यूट
ऑफ
इंडिया
के
आईटी
इंफ्रास्ट्रक्चर
और
सप्लाई
चेन
सॉफ्टवेयर
में
गंभीर
कमजोरियों
को
टारगेट
किया
था।
एमआई6
के
पूर्व
अधिकारी
और
वर्तमान
में
साइफर्मा
के
चीफ
एग्जीक्यूटिव
कुमार
रितेश
के
मुताबिक
हैकिंग
का
उद्देश्य
बौद्धिक
सम्पदा
में
घुसपैठ
करना
और
भारतीय
दवा
कंपनियों
पर
प्रतिस्पर्धात्मक
बढ़त
हासिल
करना
है।
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चीन
को
कूटनीतिक
तरीके
से
घेर
रहा
भारत
आपको
बता
दें
कि
पिछले
10
महीनों
से
लद्दाख
में
चीन
के
साथ
भारत
का
विवाद
जारी
है।
इस
बीच
कई
बार
युद्ध
जैसे
हालात
बने।
इस
बीच
भारत
सरकार
ने
नया
प्लान
तैयार
किया
और
कई
देशों
को
वैक्सीन
बेची
या
फिर
गिफ्ट
की
जा
रही
है।
इससे
दुनियाभर
में
भारत
की
प्रसिद्धी
तो
बढ़
ही
रही,
साथ
ही
चीन
के
खिलाफ
कई
देशों
का
खुलकर
समर्थन
भी
मिल
रहा
है।
जिसे
एक
बड़ी
कूटनीतिक
जीत
के
रूप
में
देखा
जा
रहा।
इसी
वजह
से
चीन
भारतीय
वैक्सीन
से
चिढ़ा
हुआ
है।
वहीं
भारत
में
तैयार
दोनों
वैक्सीन
चीनी
वैक्सीन
की
तुलना
में
काफी
ज्यादा
सस्ती
हैं।