चीनी रक्षा मंत्री की धमकी, ताइवान के लिए लड़ने से नहीं हिचकेंगे, यही एकमात्र विकल्प
फेंग ने कहा कि चीन का एकीकरण चीनी के लिये एक बड़ा मकसद है, और यह एक ऐतिहासिक प्रवृत्ति है जिसे न तो कोई व्यक्ति और न ही कोई ताकत रोक सकती है। उन्होंने कहा कि ताइवान की स्वतंत्रता को आगे बढ़ाने के किसी भी प्रयास को चीन पू
सिंगापुर, 13 जून : शंगरी-ला डॉयलाग के दौरान ताइवान के मुद्दे पर चीन और अमेरिका की नाराजगी खुलकर सबके सामने आई है। इन सबके बीच चीन के रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंग ने ने एक बड़ा बयान दे दिया है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा हैकि, ताइवान की स्वतंत्रता को रोकने के लिए बीजिंग अंत तक लड़ेगा। जनरल वेई फेंग ने आरोप लगाया कि अमेरिका बहुपक्षवाद की आड़ में अपने हितों को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
बता दें कि, चीन में 1949 में हुये गृहयुद्ध के बाद ताइवान अलग हो गया था । लेकिन चीन हमेशा से दावा करता रहा है कि ताइवान उसका हिस्सा है।। शंगरी-ला डॉयलाग में उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि, ताइवान की आजादी की खोज एक 'डेड एंड' है।
ताइवान
के
लिए
लड़ने
से
नहीं
हिचकेंगे
शंगरी-ला
डॉयलाग
में
चीनी
रक्षा
मंत्री
ने
ताइवान
के
मुद्दे
पर
कहा
कि,
अमेरिका
के
साथ
बढ़ते
तनाव
के
बीच
ताइवान
की
स्वतंत्रता
को
रोकने
के
लिए
चीन
अपनी
पूरी
ताकत
लगा
देगा।
उन्होंने
कड़े
शब्दों
में
कहा
कि,
अगर
किसी
ने
ताइवान
को
चीन
से
अलग
करने
की
हिम्मत
करेगा
तो
हम
लड़ने
से
नहीं
हिचकेंगे।
हम
हर
कीमत
पर
लड़ेंगे,
अंत
तक
लड़ेंगे
क्योंकि
चीन
के
पास
यही
एकमात्र
विकल्प
है।
चीनी
रक्षा
मंत्री
का
अमेरिका
को
करारा
जवाब
चीनी
रक्षा
मंत्री
का
यह
करारा
जवाब
अमेरिकी
रक्षा
सचिव
लॉयड
ऑस्टिन
के
उस
बयान
के
एक
दिन
बाद
आया
है,
जिसमें
उन्होंने
चीन
के
क्षेत्रीय
दावों
पर
आलोचना
की
थी।
उन्होंने
कहा
था
कि,
चीन
अपने
क्षेत्रीय
दावों
को
लेकर
ज्यादा
आक्रमक
दृष्टिकोण
अपनाए
हुए
है।
अमेरिकी
रक्षा
मंत्री
ने
चीन
पर
क्या
लगाया
था
आरोप?
अमेरिकी
विदेश
मंत्री
लॉयड
ऑस्टिन
ने
सिंगापुर
में
शांगरी-ला
डायलॉग
2022
में
कहा
था
कि
चीन,
स्व-शासित
ताइवान
द्वीप
पर
अपने
दावे
और
अपनी
बढ़ती
सैन्य
गतिविधियों
से
क्षेत्र
में
अस्थिरता
पैदा
कर
रहा
है।
ऑस्टिन
ने
हिंद-प्रशांत
क्षेत्र
के
देशों
के
साथ
बहुपक्षीय
साझेदारी
की
आवश्यकता
पर
जोर
दिया,
जिसके
बारे
में
चीनी
रक्षा
मंत्री
ने
कहा
कि
यह
चीन
को
अलग-थलग
करने
का
एक
प्रयास
है।
ताइवान
को
कब्जे
में
लेने
के
लिये
चीन
ने
सैन्य
कार्रवाई
से
इंकार
नहीं
किया
है।
चीन
इस
बात
पर
भी
कायम
है
कि
यह
घरेलू
राजनीतिक
मसला
है।