बढ़ते भारत को 'प्रतिद्वंद्वी' मानता है चीन, रोकने के लिए अपना रहा है ये हथकंडा- रिपोर्ट
नई दिल्ली- चीन बढ़ते और विकसित हो रहे भारत को एक 'प्रतिद्वंद्वी' के तौर पर देखता है और अमेरिका, उसके सहयोगियों और दूसरे लोकतांत्रिक देशों के साथ इसकी रणनीतिक साझेदारी को बाधित करना चाहता है। यह खुलासा अमेरिकी विदेश विभाग की एक रिपोर्ट में किया गया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ड्रैगन अमेरिका को दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति से हटाकर खुद उस जगह पर स्थापित होना चाहता है। अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार से नव-निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन की सरकार को सत्ता का हस्तांतरण होना है, लेकिन उससे पहले एक विस्तृत नीतिगत दस्तावेज में इन बिंदुओं को प्रमुखता दी गई है कि चीन इलाके के कई देशों की सुरक्षा,अर्थव्यवस्था और आर्थिक हितों को कमजोर करना चाहता है।
अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है, 'चीन बढ़ते भारत को एक प्रतिद्वंद्वी मानता है और अमेरिका, जापान,ऑस्ट्रेलिया के साथ नई दिल्ली की रणनीतिक साझेदारी और दूसरे लोकतंत्रों के साथ उसके संबंधों को बाधित करते हुए खुद आर्थिक तौर पर घुसकर बीजिंग की महत्वाकांक्षाओं के मुताबिक इसे आगे बढ़ाना चाहता है।' रिपोर्ट में आगे कहा गया है, 'क्षेत्र के कई और देशों जैसे कि आसियान(ASEAN)के सदस्य देशों, जिनमें महत्वपूर्ण मेकॉन्ग क्षेत्र के अलावा पैसिफिक आइलैंड के देश भी शामिल हैं उनकी सुरक्षा, स्वायत्तता और आर्थिक हितों को चीन कमजोर कर रहा है।' 70 पेज की रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका और दुनिया के दूसरे देशों में भी यह जागरुकता फैल रही है कि चीन की सत्ताधारी चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी ने दुनिया में एक महाशक्ति प्रतियोगता को हवा दे दी है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक चीन खुद को एक ऐसी स्थिति में स्थापित करना है कि जिससे अमेरिका समेत दुनिया के तमाम प्रभुत्वसंपन्न राष्ट्रों की हैसियत को कमतर कर वह अपने अधिनायकवादी लक्ष्य और तमाम महत्वाकांक्षाएं पूरी कर सके। रिपोर्ट में अमेरिका ने खुद को आगाह किया है कि 'चीन की चुनौतियों को देखते हुए अमेरिका को अपनी आजादी सुरक्षित करनी होगी।' इसके मुताबिक चीन क्षेत्र में अमेरिका के प्रभाव को कम करके एक ऐसी भावना फैलाना चाहता है कि यहां उसका प्रभुत्व बढ़ना तय है। अमेरिकी रिपोर्ट कहता है कि चीन का 'मुख्य टारगेट जापान, दक्षिण कोरिया, थाइलैंड और फिलीपींस समेत अमेरिकी संधि-आधारित सहयोगियों के अलावा भारत, वियतनाम, इंडोनेशिया और ताइवान जैसे उभरते हुए रणनीतिक सहयोगी हैं। '
इसमें लद्दाख में चीन की पीएलए की ओर से हुई उकसावे वाली कार्रवाई का भी जिक्र किया गया है कि उसने किस तरह से सीमा विवाद पर तनाव को भड़काया है, जहां अभी भी सैन्य गतिरोध बरकरार है। इसके मुताबिक पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर पिछले 5 मई से गतिरोध बरकरार है और 15 जून को गलवान वैली में हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें भारतीय सेना के 20 सैनिक शहीद हो गए और चीनी सेना के भी जवान अपुष्ट तादाद में मारे गए। इसके अलावा ताइवान की भी बात की गई है कि चीन कैसे उसपर अपना दावा कर रहा है। इसके मुताबिक चीन लोकतांत्रिक ताइवान को अपना प्रांत मानता है और उसे ताकत के बल पर मुख्य भूमि से मिलाना चाहता है। यही नहीं वह सेनकाकू आइलैंड पर जापान के नियंत्रण को भी सैन्य ताकत के दम पर चुनौती दे रहा है। इस रिपोर्ट में वुहान से निकलकर कोरोना वायरस के पूरे विश्व को अपनी चपेट में लेने के लिए भी चीन को घेरा गया है।
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