चीन ने किया कंफर्म, लद्दाख में एक किलोमीटर तक पीछे हटे हैं जवान
बीजिंग।
चीन
की
तरफ
से
सोमवार
को
कहा
गया
है
कि
लाइन
ऑफ
एक्चुअल
कंट्रोल
(एलएसी)
पर
भारत
की
सेना
और
पीपुल्स
लिब्रेशन
आर्मी
(पीएलए)
के
जवानों
का
पीछे
हटना
शुरू
हो
गया
है।
30
जून
को
भारत
और
चीन
की
सेनाओं
के
बीच
भारत
के
हिस्से
में
आने
वाले
चुशुल
में
कोर
कमांडर
स्तर
की
वार्ता
हुई
थी।
इस
मीटिंग
में
दोनों
देशों
के
बीच
इस
बात
पर
रजामंदी
बनी
थी
कि
आने
वाले
समय
में
डिसइंगेजमेंट
की
प्रक्रिया
को
आगे
बढ़ाया
जाएगा।
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30 जून की वार्ता के मुताबिक प्रक्रिया जारी
चीनी विदेश मंत्रालय की तरफ से हालांकि इस बात की कोई ज्यादा जानकारी नहीं दी गई है कि इस दिशा में पिछले छह दिनों में कितनी प्रगति हुई है। प्रवक्ता लिजियान ने कहा, 'भारत और चीन के बीच 30 जून को कमांडर स्तर की वार्ता हुई थी। दोनों पक्ष इस बात निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि पहले हुई मीटिंग्स में जो नतीजे निकले हैं, उन्हें लागू किया जाएगा।' लिजियान ने यह बात उस समय कही जब उनसे भारत की मीडिया में आ रहीं उन रिपोर्ट्स के बारे में पूछा गया जिसमें लद्दाख के कुछ हिस्सों से जवानों के पीछे हटने की बात कही गई थी।
आगे जारी रहेगी वार्ता
इसके जवाब में उन्होंने कहा, 'भारत और चीन के बीच फ्रंटलाइन ट्रूप्स को डिसइंगेज करने के लिए प्रभावी उपाय जारी हैं। दोनों देशों ने इस दिशा में प्रगति की है।' चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने भी इसकी पुष्टि की है। लिजियान ने कहा कि तीसरी कमांडर स्तर मीटिंग के बाद बॉर्डर पर स्थिति को सामान्य करने और टकराव को टालने के लिए जो उपाय तय किए गए है उसे आगे बढ़ाया जा रहा है। 30 जून को ले. जनरल हरिंदर सिंह ने चीन के साउथ शिनजियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के कमांडर मेजर जनरल लियू लिन से मुलाकात की थी। झाओ ने कहा था कि उन्हें उम्मीद है भारत की तरफ से ठोस कदम उठाए जाएंगे और उन उपायों को लागू किया जाएगा। साथ ही बॉर्डर के क्षेत्रों पर साथ मिलकर डिएस्कलेशन को आगे बढ़ाने के लिए मिलिट्री और राजनयिक स्तर पर वार्ता जारी रहेगी।
सोमवार को आई एक सकारात्मक खबर
चीन की तरफ से यह प्रतिक्रिया भारत की मीडिया में आई रिपोर्ट्स के कुछ ही घंटों के अंदर आ गई। सोमवार को भारतीय सेना के सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि पीएलए जवानों ने अपने टेंट्स, व्हीकल्स और जवानों को 1-2 किलोमीटर तक पीछे कर लिया है। ये ऐसी लोकेशंस हैं जिन पर 30 जून को हुई कोर कमांडर वार्ता में डिसइंगेजमेंट पर रजामंदी बनी थी। टकराव वाली जगह पर चारों बिंदुओं जिसमें पेट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी) 14 जो गलवान नदी घाटी का हिस्सा है, पीपी 15, हॉट स्प्रिंग्स और फिंगर एरिया, इन सभी पर नजर बनी हुई है।
भारत और चीन के बीच हुईं तीन मीटिंग्स
जवानों के पीछे हटने का स्तर अलग-अलग लोकेशंस पर अलग-अलग है। गलवान में भी जवान पीछे हट रहे हैं। रक्षा सूत्रों ने बताया है कि पिछले 48 घंटों में राजनयिक और मिलिट्री स्तर पर गहन वार्ता हुई है और यह उसका ही नतीजा है। गलवान घाटी में हुई हिंसा के बाद यह तनाव चरम पर पहुंच गया था। छह जून, 22 जून और फिर 30 जून को चीन के साथ कोर कमांडर स्तर की तीन दौर वार्ता हुई। दो बार चीन के हिस्से वाले मोल्डो और एक बार वार्ता भारत के हिस्से आने वाले चुशुल में हुई। लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने मेजर जनरल लियू लिन तीनों मीटिंग्स में स्पष्ट कर दिया था पीएलए जवानों को पीछे हटना ही पड़ेगा।