
23 जून को चीन में होगा BRICS सम्मेलन, व्लादिमीर पुतिन, पीएम मोदी और शी जिनपिंग होंगे एक साथ!
बीजिंग, जून 17: ब्रिक्स देशों का 14वां शिखर सम्मेलन, जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं, वो 23 जून को बीजिंग में वीडियो लिंक के माध्यम से आयोजित किया जाएगा, चीनी विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की है। आपको बता दें कि, चीन इस साल ब्रिक्स सम्मेलन का अध्यक्ष है और इसकी मेजबानी कर रहा है।

ब्रिक्स सम्मेलन का ऐलान
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे। शिखर सम्मेलन वीडियो लिंक के माध्यम से आयोजित किया जाएगा। शिखर सम्मेलन के विषय को लेकर चीन ने कहा कि, इसमें "उच्च गुणवत्ता वाले ब्रिक्स साझेदारी को बढ़ावा देना, वैश्विक विकास के लिए एक नए युग की शुरुआत" करना होगा। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के नेताओं के ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने की उम्मीद है। आपको बता दें कि, इससे पहले ब्रिक्स देशों के सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में भारतीय एनएसए अजीत डोवाल ने हिस्सा लिया था।

पाकिस्तान को भी शामिल करना चाहता है चीन
वहीं, माना जा रहा है कि, ब्रिक्स सम्मेलन की इस बैठक में चीन पाकिस्तान को भी इसमें शामिल करने का प्रस्ताव रखेगा। पिछले महीने चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा था कि चीन का मानना है कि, ब्रिक्स ब्लॉक का विस्तार होना चाहिए और इमर्जिंग इकोनॉमिक देशों (उभरती अर्थव्यवस्था वाले देश) को ब्रिक्स ब्लॉक में शामिल होना चाहिए। साल 2009 में चीन, भारत, ब्राजील और रूस ने मिलकर ब्रिक्स ब्लॉक का गठन किया गया था और बाद में इसमें दक्षिण अफ्रीका को भी शामिल किया गया था, लेकिन अब चीन की कोशिश इसका विस्तार करने की है और चीन ने सीधे तौर पर पाकिस्तान का नाम नहीं लेकर, उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों का नाम लिया है, लेकिन चीन का इरादा पाकिस्तान की तरफ ही है। तो क्या भारत को इसके लिए तैयार होना चाहिए?

विस्तार के नाम पर पाकिस्तान का साथ
पिछले महीने चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की एक ऑनलाइन बैठक में कहा था कि, 'चीन ने ब्रिक्स विस्तार प्रक्रिया शुरू करने, विस्तार के लिए मानदंड और प्रक्रियाओं का पता लगाने और धीरे-धीरे आम सहमति बनाने का प्रस्ताव रखा है।" यानि, चीन ने ब्रिक्स के साथी देशों के सामने ब्रिक्स के विस्तार का प्रस्ताव रखा है और चीन का ये प्रस्ताव इसलिए भी गंभीर हो जाता है, क्योंकि रूस के पास अब चीन के प्रस्ताव से पीछे हटने का विकल्प बचा नहीं है और ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका भी चीन कर्ज में फंसे हुए हैं और भारत के दोस्त होने के बाद भी इन दोनों देशों के लिए चीन के खिलाफ जाना काफी मुश्किल है।

क्या पाकिस्तान है इमर्जिंग इकोनॉमी?
इसमें कोई शक नहीं है, कि पाकिस्तान एक बड़े आर्थिक संकट में फंसा हुआ है और पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार भी करीब करीब खत्म ही होने वाला है और पाकिस्तान की करेंसी का वैल्यू भी डॉलर के मुकाबले 200 को पार कर चुका है, लेकिन इसके बाद भी पाकिस्तान इमर्जिंग इकोनॉमी वाले देशों की लिस्ट में शामिल है। ऐसा इसलिए, क्योंकि पाकिस्तान को कहीं ना कहीं से आर्थिक मदद मिल जाती है और उसकी जीडीपी बिखड़ने से बच जाती है, जैसे अभी सऊदी अरब ने पाकिस्तान को 6 अरब डॉलर की मदद देने की बात कही है। इसके साथ ही पाकिस्तान को कभी आईएमएफ, कभी वर्ल्ड बैंक तो कभी चीन या फिर यूएई से भी वित्तीय मदद मिल जाती है और वो बच निकलता है। इसके साथ ही एक और फैक्टर ये है, कि पाकिस्तान का मिडिल क्लास भी धीरे धीरे विकास के रास्ते पर आ रहा है और पिछले दिनों पाकिस्तान ने 6 प्रतिशत विकास दर होने का भी दावा किया है, हालांकि, इसकी पुष्टि नहीं की गई है।

ब्रिक्स से पाकिस्तान को कई फायदे
ब्रिक्स देश कई बड़े बड़े प्रोजेक्ट्स जैसे, स्पेस सेक्टर में, टेक्नोलॉजी सेक्टर में और एग्रीकल्चर सेक्टर में लांच करते हैं और अगर पाकिस्तान को ब्रिक्स संगठन में शामिल किया जाता है, तो पाकिस्तान को इसका सीधा फायदा पहुंचेगा। इसके साथ ही ब्रिक्स बैंक से भी पाकिस्तान को काफी आसान शर्तों पर कर्ज मिल सकेगा। इसके साथ ही पाकिस्तान को सबसे बड़ा फायदा स्पेस सेक्टर में होगा, क्योंकि ब्रिक्स देश आने वाले वक्त में कई सैटेलाइट एक संयुक्त कार्यक्रम के तहत लांच करने वाले हैं और अगर पाकिस्तान को इसमें शामिल किया जाता है, तो पाकिस्तान को भी इसका फायदा होगा। लेकिन, सबसे बड़ा फायदा ये होगा, कि ब्रिक्स के अंदर भी चीन को अपने पक्ष में करने के लिए एक और देश का साथ मिल जाएगा और ब्रिक्स पर उसकी पकड़ काफी मजबूत हो जाएगी।
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