चीन ने माना वुहान वायरोलॉजी लैब में चमगादड़ों के Coronavirus थे, लेकिन मेल नहीं खाते
नई दिल्ली- कोरोना वायरस की साजिश थ्योरी पर रविवार को चीन की ओर से दो बड़ी बातें सामने आईं। एक तो चीन के वुहान स्थित वायरोलॉजी लैब की डायरेक्टर ने कबूल किया है कि आज की तारीख में भी उनके लैब में चमगादड़ों में पाए जाने वाले कोरोना वायरस की तीन जिंदा नस्लें मौजूद हैं। लेकिन, उनकी दलील है कि नोवल कोरोना वायरस से वे काफी हद तक मेल खाते तो हैं, लेकिन फिर भी दोनों में बहुत अंतर है। वहीं चीन के विदेश मंत्री ने अपनी ही वुहान लैब के उस दावे को खारिज कर दिया है जिसमें कहा गया था कि यह वायरस वुहान के वेट मार्केट से फैला है। यह नहीं चीन ने यह भी कहा है कि अगर निष्पक्ष जांच हो तो वह भी वायरस की शुरुआत के बारे में अंतरराष्ट्रीय जांच में मदद करने को तैयार है।
वुहान लैब में आज भी मौजूद हैं चमगादड़ों के कोरोना वायरस की 3 जिंदा नस्लें
चीन के वुहान स्थित वायरोलॉजी लैब ने माना है कि अभी भी उसके पास चंमगादड़ों के कोरोना वायरस के तीन जिंदा नस्लें मौजूद हैं, लेकिन वह नोवल कोरोना वायरस से मेल नहीं खाते। यह दावा अब वुहान वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट की डायरेक्टर ने किया है। हालांकि, उन्होंने वो फिर भी इस बात पर अड़ी हैं कि उनके इंस्टीट्यूट से जिस वायरस के लीक होने का दावा अमेरिका कर रहा है, वह पूरी तरह से मनगढ़ंत है। उन्होंने ये कबूलनामा वहां के सरकारी ब्रॉडकास्टर सीजीटीएन को दिए एक इंटरव्यू में किया है। 13 मई को दिए उस इंटरव्यू में डायरेक्टर वैंग यानयी ने कहा है कि उनकी लैब ने 'कोरोना वायरस को चमगादड़ों से अलग करके प्राप्त किया है।'
नोवल कोरोना वायरस के बारे में हमें नहीं पता- वुहान लैब की डायरेक्टर
वैंग यानयी के मुताबिक, 'अब हमारे पास जिंदा वायरसों की तीन नस्लें हैं.....लेकिन SARS-CoV-2 से उनकी बहुत ज्यादा समानता भी सिर्फ 79.8 फीसदी तक ही सीमित है।' यहां उन्होंने उस कोरोना वायरस का जिक्र किया है, जिससे कोविड-19 नाम की बीमारी होती है। प्रोफेसर शी झेंगली की अगुवाई में उनकी एक रिसर्च टीम चमगादड़ों के कोरोना वायरस पर 2004 से ही रिसर्च कर रही है और उनका फोकस SARS के स्रोत का पता लगाना है। कोरोना वायरस की इस नस्ल ने दो दशक पहले यह बीमारी फैलाई थी। वैंग यानयी का कहना है कि 'हम जानते हैं कि SARS-CoV-2 (नोवल कोरोना वायरस) का पूरा जीनोम भी एसएआरएस से सिर्फ 80 ही मेल खाता है। यह अंतर स्पष्ट है।' उन्होंने कहा कि, 'इसलिए, प्रोफेसर शी के पिछले रिसर्च में उन्होंने उन वायरसों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, जो एसएआरएस वायरस से नहीं मेल खाते थे। ' वुहान इंस्टीट्यूट की डायरेक्टर ने कहा कि दिसंबर में जब उन्हें नोवल कोरोना वायरस का सैंपल मिला, उनकी टीम ने उससे पहले कभी भी 'न इसे देखा था, न इसपर रिसर्च किया या न ही इस वायरस को रखा।" उन्होंने यहां तक दावा किया कि 'सच तो ये है कि सभी की तरह हमें भी नहीं पता था कि ऐसा वायरस है।..........यह हमारे लैब से लीक कैसे हो सकता है, जबकि हमारे लैब में वह कभी था ही नहीं। '
हम भी चाहते हैं कि नोवल कोरोना वायरस की स्रोत का पता लगे- चीन
बता दें कि अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया इस मामले में शुरू से साजिशों की बात कर रहा है। जबकि, चीन के वैज्ञानिकों ने कहा था है कि नोवल कोरोना वायरस पहले वुहान के जिंदा जानवरों के बाजार या वेट मार्केट से आया है। लेकिन, रविवार को खुद चीन की सरकार ने ये कह कहकर अपने ही वुहान वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट के दावों पर संदेह जता दिया कि उसे भी पता नहीं है कि वायरस कहां से आया। रविवार को चीन के विदेश मंत्री वैंग यी ने अमेरिका पर मनगढ़ंत अफवाह फैलाने का आरोप लगाया ताकि वह चीन को बदनाम कर सके। उन्होंने कहा कि चीन भी नोवल कोरोना वायरस के स्रोत का पता लगाने के लिए जांच में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को तैयार है, बशर्ते कि वह किसी तरह के राजनीतिक दबाव में न हो। यानि चीन के पहले के बयान और वुहान लैब की थ्योरी और अब के बयान में बहुत ज्यादा अंतर है और यह वजह है कि शक और गहरा गया है।