चीन का गरीबी खत्म करने का दावा, Jinping को महान नेता साबित करने के लिए सबसे बड़ा प्रोपेगैंडा कैम्पेन
बीजिंग। दुनिया भर में चौतरफा दबाव झेल रहे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खिलाफ देश में किसी तरह का अंसतोष का स्वर न उभरकर सामने आ जाए इसके लिए चीन की कम्युनिष्ट प्रोपेगैंडा मशीनरी काम पर जुट गई है। साल की शुरुआत में चीन ने रक्षा कानूनों में बड़ा बदलाव करते हुए पीपल्स लिबरेशन आर्मी पर शी जिनपिंग की पकड़ और मजबूत कर दी थी। अब फरवरी के आखिर में चीन में एक बड़े जश्न का आयोजन हो रहा है जिसमें ये प्रचारित किया जा रहा है कि चीन में अत्यधिक गरीबी का पूरी तरह खात्मा हो गया है। इसे खत्म करने में शी जिनपिंग की बड़ी भूमिका बताई जा रही है। ऐसा करके चीन की प्रोपेगैंडा मशीनरी शी को ऐसे महान नेता के रूप में प्रचारित करने में लगी है जो अपने देश को एक बार फिर से विश्व महाशक्ति का स्थान दिलाने में लगे हुए हैं।
शी जिनपिंग को महान बनाने की कोशिश
चाइनीज कम्युनिष्ट पार्टी (सीसीपी) का प्रचार तंत्र शी को राष्ट्रीय सफलताओं का श्रेय दे रहा है जिसमें कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई, प्रौद्योगिकी निर्माता के रूप में चीन का उदय और चंद्रमा की चट्टान लेकर दिसम्बर में वापस सफल लौटा चंद्र मिशन शामिल है।
सीसीपी ने पिछले साल नवम्बर में घोषणा की थी कि चीन में अब कोई अत्यंत गरीब नहीं रहा है। जो एक दशक पहले जारी किए आंकड़े से उलट था जिसमें कहा गया था कि चीन में लगभग 9.9 करोड़ लोग सालाना 2300 युवान (355 डॉलर) की वार्षिक आय से नीचे कमाई पर गुजारा कर रहे हैं।
इस उपलब्धि को बताने के लिए चीन ने अब फुल स्केल प्रचार अभियान शुरू किया है। चीन की सरकारी मीडिया और समाचार चैनलों पर हर तरफ नजर आ रहे इस अभियान में इसे गरीबी के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम कहा गया है और इसमें शी जिनपिंग के योगदान के जिक्र से पाट दिया गया है।
शी के सिर बांधा सफलता का सेहरा
सीसीपी ने शी जिनपिंग के 2012 में सत्ता संभालते के तुरंत बाद शुरू की पहल को इसका श्रेय दिया है जिसमें चीन ने अत्यंत गरीबी को खत्म करने के लिए विश्व बैंक द्वारा निर्धारित 2030 के लक्ष्य से एक दशक पहले ही इसे पा लिया है। पार्टी के मुखपत्र पीपल्स डेली ने इस सप्ताह "ऐतिहासिक छलांग" शीर्षक से एख लेख लिखा है जिसमें शी को एक पार्टी नेता के रूप में उनके नाम और उपलब्धियों का उल्लेख किया गया है।
अखबार ने लिखा है कि "महासचिव शी जिनपिंग ने हर तरह से एक अच्छे समाज का निर्माण और चीनी राष्ट्र के महान कायाकल्प के सपने को साकार करके रणनीतिक ऊंचाई को छू लिया है।"
सत्तारूढ़ सीसीपी के लिए यह आयोजन एक तरह से राजनीतिक पुरस्कार की तरह है। खासतौर पर जब पार्टी अपनी 1921 की स्थापना की 100वीं वर्षगांठ मना रही है। साथ ही ये ऐसा समय भी है जब कोरोना वायरस महामारी के बावजूद चीन की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है जबकि अमेरिकी और यूरोप जैसे क्षेत्र अभी तक इससे उबरने की कोशिश कर रहे हैं।
पार्टी ने इस उपलब्धि को बताते हुए कहा है कि 2020 की शुरुआत में कोरोना वायरस महामारी के फैलने के चलते अधिकांश अर्थव्यवस्था को बंद करने के अभूतपूर्व कदम उठाने के बावजूद हम इस लक्ष्य को छूने में सफल रहे हैं।
जिनपिंग ने कहा चमत्कार
शी जिनपिंग ने गुरुवार को आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए गरीब विरोधी कार्यों का उदाहरण देते हुए ये बताने की कोशिश की कि सीसीपी के शासन के चलते ही ये सफलता अर्जित हुई है। इस काम में लगे लोगों के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा "हमने पूर्ण गरीबी उन्मूलन का कठिन कार्य पूरा किया है और एक ऐसा चमत्कार बनाया है जो इतिहास में याद रखा जाएगा।" इस दौरान शी ने एंटी-पॉवर्टी के रोल मॉडल के रूप में चुने गए 10 व्यक्तियों और 10 समूहों को मेडल, प्रमाणपत्र दिए।
इस सफलता के साथ ही शी जिनपिंग चीन के इतिहास में कम्युनिष्ट चीन के संस्थापक माओत्से तुंग के बाद सबसे ज्यादा ताकतवर नेता बनकर उभरे हैं। विदेशों में चीन को लेकर शी एक मुखर नीति का अनुसरण कर रहे हैं जिससे चीन का कूटनीतिक प्रभाव बढ़ा है वहीं अपने पड़ोसियों, अमेरिका और यूरोप के साथ रिश्ते खराब हुए हैं।
चीन में 1.70 डॉलर से कम पाने वाले अति निर्धन
गरीबी-विरोधी अभियानों का उद्देश्य राजनीतिक कुलीन वर्ग के बीच उस खाई को सीमित करना है, जिन्होंने आर्थिक सुधारों के चलते मुनाफा कमाने से बनी है।
शी जिनपिंग के पूर्ववर्ती हू जिंताओ और उस समय के प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ ने देश के सम्पन्न पूर्वी तट से ग्रामीण स्कूलों और स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च बढ़ाकर इस प्रक्रिया को शुरू किया था।
चीन की परिभाषा के मुताबिक अति निर्धन की श्रेणी में वे लोग आते हैं तो जिनकी कमाई प्रतिदिन 11 युआन (1.70 डॉलर) से कम है। भारतीय मुद्रा में ये 123 रुपये की करीब होगी। ये विश्व बैंक के अतिनिर्धन के 1.90 डॉलर के स्तर से कम है। लेकिन राष्ट्रीय सांख्यिकी के आंकड़े के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन स्तर को देखते हुए चीनी स्तर थोड़ा ऊपर है।
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