दाउद के राइट हैंड छोटा शकील की मौत, ISI कब्जे में गया डी कंपनी का बिजनेस
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इस्लामाबाद। 1993 मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के मुख्य सहयोगी छोटा शकील की मौत हो गई है। छोटा शकील की मौत के बाद दाउद के काले कारोबार की कमान आईएसआई के हाथों में आ गई है। भारत में डी-सिंडिकेट को चलाने वाले छोटा शकील की मौत जनवरी 2017 में हो गई थी। छोटा शकील की मौत की पुष्टि कराची स्थित उसके वीरान पड़े बंगले से हुई है।आईएसआई ने घर नं. डी -48, 15 वीं लेन, खयबाण-सीहर, डीएचए कॉलोनी को कब्जे ले लिया है और फिलहाल वहां कोई नहीं रह रहा है।
आयशा को आईएसआई ने लाहौर छावनी में घर उपलब्ध करवाया
6 जनवरी, 2017 को शकील की मौत के बाद, उनकी दूसरी पत्नी आयशा को आईएसआई ने लाहौर छावनी में घर उपलब्ध करवाया है। शकील की पहली पत्नी ज़हरा में किसी को कोई जानकारी नहीं है। हालांकि, सूत्रों ने यह पुष्टि की है कि जेहरा भी आईएसआई के नियंत्रण में है। शकील के भाई अनवर दुबई से बाहर है। हालांकि उसके पास पाकिस्तान का पासपोर्ट है। सूत्रों के मुताबिक छोटा शकील की गैंग का रहीम मर्चेंट अब उसका बिजनेस संभाल रहा है।
आईएसआई ने उसे मरवा दिया
अंडरवर्ल्ड के सूत्रों के अनुसार छोटा शकील की मौत जनवरी में इस्लामाबाद में हुई थी, जब वह एक मीटिंग में शामिल होने के लिए 'ओडेशा' गैंग के सदस्यों से मिलने गया था। हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि छोटा शकील की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई या पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने उसे मरवा दिया है। जिसमें छोटा शकील के गैंग मेंबर बिलाल और मुंबई में रहने वाले उसके किसी रिश्तेदार के बीच की बातचीत से खुलासा हुआ है कि छोटा शकील की मौत जनवरी 2017 में ही हो गई थी।
रहीम मर्चेंट चला रहा छोटा शकील का काला कारोबार
रहीम मर्चेंट एक छोटा ठग था और शकील के नाम पर एक दशक से करीब जबरन वसूली और हत्याओं को अंजाम दे रहा था। यहां तक की उसने एक भारतीय मीडिया हाउस को छोटा शकील बनकर इंटरव्यू तक दिया था। अधिकारियों का कहना है मर्चेंट आराम से फोन पर बातचीत करता है। उसे ट्रेक भी नहीं किया जाता है। मर्चेंट पर आईएसएई का हाथ है। आईएसएस चाहती है कि वह उगाही और अनुंधित हत्यायों की को जारी रखे।
डी-सिंडिकेट को तोड़ने के लिए ISI ने रचा गेम प्लान
शकील ने भारत में कभी रोमिंग या कॉल का इस्तेमाल नहीं किया। क्यों कि उसके ट्रैक करने की चांस ज्यादा थे। शकील बहुत ही एडवांस सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल करता था। जिसे सुरक्षा एजेंसिया या सेना के ग्रिड की इंटरसेप्ट नहीं कर पाते थे। सिंडिकेट चलाने के लिए आईएसआई ने रहीम मर्चेंट को इस इस काम में उतारा था। वह मुंबई में बिल्डरों को फोन करता है और उनसे पैसे की उगाही करता है। इस सभी के पीछे आईएसआई का हाथ होता है। पूरे गेम प्लान डी-सिंडिकेट को तोड़ने और बिजनेस को अपने कब्जे में लेने के लिए आईएसआई ने रचा है। मर्चेंट बहुत ही कम समय में आईएसआई के इतने करीब पहुंच गया है।