ईरान में हुआ Chabahar Port का उद्घाटन, जानिए क्यों भारत के लिए अहम है यह बंदरगाह
ईरान में भारत के महत्वाकांक्षी चाबहार बंदरगाह प्रोजेक्ट के पहले चरण का रविवार को शुभारंभ कर दिया गया है। इस बंदरगाह का भारत के लिए काफी कूटनीतिक महत्व है, जो ना सिर्फ व्यापार में भारत में भारत की मदद करेगा बल्कि पाकिस्तान की मुसीबत भी बढ़ाएगा।
नई दिल्ली। ईरान में भारत के महत्वाकांक्षी चाबहार बंदरगाह प्रोजेक्ट के पहले चरण का रविवार को शुभारंभ कर दिया गया है। इस बंदरगाह का भारत के लिए काफी कूटनीतिक महत्व है, जो ना सिर्फ व्यापार में भारत में भारत की मदद करेगा बल्कि पाकिस्तान की मुसीबत भी बढ़ाएगा। इस बंदरगाह के बाद भारत पाकिस्तान पर निर्भर रहने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है, अब भारत अफगानिस्तान के रास्ते आराम से सेंट्रल एशिया पहुंच सकता है और इस रूट के जरिए व्यापार कर सकता है। भारत का यह प्रोजेक्ट पाकिस्तान में चीन द्वारा बनाए जा रहे ग्वादर बंदरगाह का माकूल जवाब है। ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी ने शाहिद बेहेश्ती बंदरगाह के पहले चरण का उद्घाटन किया, इस कार्यक्रम में 17 देशों के प्रतिनिधि, मंत्री शामिल हुए, भारत की ओर से शिपिंट स्टेट मिनिस्टर पॉन राधाकृष्णन भी मौजूद रहे। इस मौके पर रूहानी ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक दिन है, खासतौर पर चाबहार के लोगों के लिए। उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट काफी अहम है, यह ईरान को समुद्री मार्ग से जोड़ता है, इसके साथ ही यह राजनीतिक रुप से भी काफी अहम है, यह बंदरगाह ईरान को पूर्वी और उत्तरी पड़ोसियों से भी जोड़ता है, साथ ही यह बड़े स्तर पर यूरोपीय देशों को भी जोड़ता है।
ग्वादर को जवाब
शाहिद बेहेश्ती बंदरगाह को 2007 में बनाना शुरू किया गया था, जिसमे पहले खर्च एक बिलियन डॉलर था, लेकिन भारत इस प्रोजेक्ट में शामिल होना चाहता था, इसका उसने 2003 में ही साफ संदेश दे दिया था। चाबहार बंदरगाह के उद्घाटन के मौके पर रूहानी ने कहा कि यह ईरान, अफगानिस्तान, भारत का है। इस पोर्ट पर 2.5 मिलियन टन सामान हर वर्ष भेजा जा सकता है, यह ईरान का एकमात्र समुद्री बंदरगाह है, माना जा रहा है कि यहां से सामान भेजने की सीमा को 8.5 मिलियन टन तक पहुंचाया जा सकता है। यहां पर एक लाख टन तक के शिप आ सकते हैं, इन्ही वजहों से भारत इस बंदरगाह को ग्वादर के जवाब के रूप में देख रहा है।
भारत को मिलेगी वरीयता
इस बंदरगाह के विकास को चार चरणों में पूरा किया गया है, माना जा रहा है कि आने वाले समय में इसकी क्षमता 82 मिलियन टन तक हो सकती है। भारत, ईरान और अफगानिस्तान ने आपस में इस बात का समझौता किया है कि वह भारत को सेंट्रल एशिया व अफगानिस्तान में सामान भेजने के लिए वरीयता देंगे और किराया भी कम होगा। चाबहार बंदरगाह के बनने के बाद भारत को सेंट्रल एशिया और अफगानिस्तान पहुंचने में काफी आसानी होगी। भारत सरकार ने इस प्रोजेक्ट में 500 मिलियन डॉलर का निवेश किया है। भारत इसके बाद सड़क निर्माण पर भी निवेश करेगा जिससे की सामान को भेजने में आसानी हो।
रूस, यूरोप, यूरेशिया से जोड़ेगा बंदरगाह
इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद चाबहार को इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर से जोड़ दिया जाएगा, जोकि ईरान के बैंडर अब्बास से लेकर रूस, यूरोप और यूरेशिया तक जाता है। इस बंदरगाह के शूरू होने के बाद रुहानी ने कहा कि हम खुश हैं कि पहला बेड़ा अफगानिस्तान के लिए रवाना हुआ है, जिसमे गेंहू को भेजा गया है। भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा बयान जारी करके कहा गया है कि ईरान के परिवहन मंत्री अब्बास अखुंदी व अफगानिस्ता के वाणिज्य मंत्री हुमांयू रसा के साथ त्रिपक्षीय बैठक में तीनों पक्षों ने इस बंदरगाह की संभावनाओं पर बात की साथ ही इस बंदरगाह को सुचारू रूप से चलाने के लिए आपसी सहयोगी का भरोसा दिलाया है।
सुषमा स्वराज अचानक पहुंची थीं तेहरान
आपको बता दें कि इस बंदरगाह के उद्घाटन से पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अपने समकक्ष जरीफ से तेहरान में मुलाकात की थी, शनिवार को उन्होंने रूस में संघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशनस की बैठक से वापस आते समय यह औचक दौरा किया था, जिसमे उन्होंने ईरान के विदेश मंत्री के साथ इस प्रोजेक्ट को लेकर चर्चा की, साथ कई अन्य मुद्दों पर भी सुषमा स्वराज ने ईरान के विदेशमंत्री से चर्चा की।
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