कनाडा में डेस्क जॉब करने पर मजबूर हुए सिख अफसर, PM ट्रूडो ने जताई नाराजगी
ओटावा। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने देश की प्राथमिक कानून प्रवर्तन एजेंसी, रॉयल कनैडियन माउंटेड पुलिस (आरसीएमपी) को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने एजेंसी की उस नीति की आलोचना की है जिसकी वजह से सिखों को डेस्क जॉब करने के लिए मजबूर होना पड़ा रहा है। ट्रूडो का मानना है कि यह नीति सिखों के साथ भेदभाव करने वाली है। इस नीति की वजह से सिख पुलिस कर्मियों को कोरोना वायरस महामारी के बीच ही फ्रंटलाइन से हटना पड़ा है।
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मास्क की वजह से सिखों को हटाया गया
आरसीएमपी की एक ऐसी नीति के तहत फ्रंटलाइन अधिकारियों को 'फिटिंग मास्क' पहनना होगा। इसके परिणामस्वरूप कई सिखों को डेस्क जॉब सौंप दी गई है। ऐसा इस वजह से हुआ है क्योंकि उनकी दाढ़ी की वजह से वह इस फिटिंग मास्ट को नहीं पहन पा रहे हैं। मीडिया से बातचीत के दौरान नीति के खिलाफ आते हुए ट्रूडो ने कहा, 'यह ऐसा मसला है जिससे मुझे उम्मीद है कि आरसीएमपी जल्दी ठीक करेगा।' उन्होंने कहा कि वह इस मामले पर 'बहुत निराश' हैं क्योंकि दूसरे अन्य पुलिस बलों और अन्य संगठनों ने धर्म के कारण कुछ व्यक्तियों के खिलाफ भेदभाव पैदा करने वाले स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों को बनाए रखने के तरीकों को अपनाया है।
विश्व सिख संगठन ने उठाया मुद्दा
इस मुद्दे को विश्व सिख संगठन यानी डब्ल्यूएसओ ने उठाया है। संगठन की तरफ से कहा गया है कि इस नीति के कारण 31 मार्च के बाद से लगभग 30 सिख अधिकारियों को फिर से नियुक्त किया गया था। यह कहा कि अप्रैल में कुछ अधिकारियों द्वारा संपर्क किया गया था और उन्होंने कहा कि वो फिर से आ सकते हैं। मार्च माह में आरसीएमपी की तरफ से इस प्रकार के फिटिंग मास्क के लिए निर्देश जारी किए गए थे। एजेंसी की मानें तो फिटिंग मास्क की सील चेहरे पर बालों की वजह से टूट जा रही है और उसने इसे एक बड़ी समस्या करार दिया था।