ब्रिटेनः हिंदू वोटरों को क्यों मनाना पड़ रहा है लेबर पार्टी को?
दिसम्बर में होने वाले मध्यावधि चुनावों से पहले ब्रितानी हिंदू समुदाय में लेबर पार्टी को लेकर है आक्रोश.उसकी संवेदनशीलता से पूरी तरह परिचित है.हम मानते हैं कि आपात स्थिति में पेश किए गए प्रस्ताव में इस्तेमाल की गई भाषा से भारतीय समुदाय के कुछ हिस्से और खुद भारत की भावनाओं को ठेस पहुंची है."स दृढ़ प्रतिज्ञ हैं कि कश्मीर के मुद्दे पर गहरे अहसास और जेनुइन मतभेदों
ब्रिटेन में प्रमुख विपक्षी दल लेबर पार्टी एक नए विवाद में फंस गई है. आम चुनावों में ब्रिटिश हिंदुओं से पार्टी को वोट देने को कहने के विवाद ने तूल पकड़ लिया तो पार्टी को सफ़ाई देनी पड़ी.
अपने वार्षिक सम्मेलन में लेबर पार्टी ने कश्मीर के मुद्दे पर भारत की कार्यवाही का निंदा प्रस्ताव पारित किया था और इसे लेकर हिंदू समुदाय में काफ़ी गुस्सा रहा है.
यहां तक कि उसे 'भारत विरोधी' और 'हिंदू विरोधी' तक कहा गया. हिंदुओं की एक संस्था की आलोचना के बाद लेबर पार्टी ने निंदा प्रस्ताव से दूरी बना ली है.
दशकों से भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर को लेकर विवाद रहा है क्योंकि दोनों देश इसे अपना हिस्सा मानते हैं.
बीती गर्मियों ने भारत ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को ख़त्म कर दिया था, जो कश्मीर को अपना अलग झंडा रखने समेत कई विशेष अधिकार देता था.
इसके बाद लेबर पार्टी के सदस्यों ने बीते सितम्बर में हुए पार्टी के सम्मेलन में एक प्रस्ताव पारित किया और कहा कि विवादित इलाक़े में मानवीय संकट पैदा हो गया है और कश्मीर के लोगों को आत्म निर्णय का अधिकार दिया जाना चाहिए.
इस बात ने ब्रिटिश भारतीयों में नाराज़गी पैदा कर दी, जिनमें अधिकांश हिंदू हैं.
हिंदू काउंसिल यूके के चेयरमैन उमेश चंद्र शर्मा ने बीबीसी रेडियो 4 को बताया कि अधिकांश हिंदू लेबर पार्टी के रुख से बहुत खिन्न और आक्रोषित थे और ये काउंसिल इसके ख़िलाफ़ थी.
लेबर पार्टी के ख़िलाफ़ व्हाट्सऐप प्रचार
काउंसिल खुद को राजनीतिक रूप से निष्पक्ष बताती है. उन्होंने कहा कि संगठन का काम हिंदू हितों की रक्षा करना है.
उमेश चंद्र शर्मा ने दावा किया जो चंद लोग लेबर पार्टी को वोट देते थे अब इस मुद्दे के कारण कंज़रवेटिव पार्टी को वोट देंगे.
उन्होंने कहा, "वे टोरी को वोट करने जा रहे हैं, इस मामले में वे बहुत साफ़ हैं, इसमें कोई किंतु परंतु नहीं है. वे खुल कर ऐसा कह रहे हैं."
टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने हाल ही में रिपोर्ट किया था कि भारत में सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी के विदेशी दोस्त उन जगहों पर लेबर पार्टी को वोट न देने को प्रोत्साहित करेंगे जहां कांटे की टक्कर होगी, इसका असर 12 दिसम्बर को ब्रिटेन में होने वाले मध्यवधि आम चुनावों पर पड़ सकता है.
पूरे ब्रिटेन में हिंदुओं को संदेश भेजे जा रहे हैं कि वो कंज़रवेटिव पार्टी को वोट दें.
एक संदेश में लिखा गया था, "लेबर पार्टी ने कश्मीर में अनुच्छे 370 के मुद्दे पर आंख मूंद कर पाकिस्तान के प्रोपेगैंडा का समर्थन किया. लेबर पार्टी भारत के ख़िलाफ़ है, लेकिन कंज़रवेटिव पार्टी नहीं है."
ये संदेश हिंदू संगठनों के साथ साथ व्यक्तिगत हिंदुओं और भारतीय मूल के लोगों की ओर से आए हैं.
स्लाओ में लेबर पार्टी के उम्मीदवार तनमनजीत सिंह धेसी ने हाल ही में हिंदू और सिख समुदाय के सदस्यों से अपील की थी कि "वो धार्मिक कट्टरपंथिता की बांटने वाली राजनीतिक का शिकार न हों, जोकि हमारे समुदाय को बांटना चाहते हैं और व्हाट्सऐप पर झूठ फैला रहे हैं. "
लेबर पार्टी ने अपना रुख़ साफ़ किया
अब लेबर पार्टी के चेयरमैन इयान लावेरी ने हिंदुओं को आश्वासन दिया है कि पार्टी कश्मीर में मौजूदा हालात और उसकी संवेदनशीलता से पूरी तरह परिचित है.
उन्होंने कहा, "हम मानते हैं कि आपात स्थिति में पेश किए गए प्रस्ताव में इस्तेमाल की गई भाषा से भारतीय समुदाय के कुछ हिस्से और खुद भारत की भावनाओं को ठेस पहुंची है."
उन्होंने कहा, "इस दृढ़ प्रतिज्ञ हैं कि कश्मीर के मुद्दे पर गहरे अहसास और जेनुइन मतभेदों की वजह से ब्रिटेन में रह रहे समुदायों को एक दूसरे के ख़िलाफ़ खड़ा नहीं करने दिया जाना चाहिए."
उन्होंने कहा कि पार्टी का आधिकारिक रुख था कि "कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच द्वीपक्षीय मुद्दा है और दोनों को इसे शांतिपूर्ण तरीके से हल करना चाहिए जिससे कश्मीरी लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा और अपने भविष्य को तय करने के उनके अधिकार का सम्मान किया जा सके. "
उन्होंने आगे कहा कि लेबर लेबर पार्टी "किसी अन्य देश के राजनीतिक मामलों में बाहरी दखल का विरोध करती रही है और कश्मीर के मुद्दे वो भारत विरोधी या पाकिस्तान विरोधी रुख नहीं स्वीकार करेगी. "
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, ब्रिटेन में क़रीब 10 लाख हिंदू हैं जबकि 30 लाख से अधिक मुस्लिम हैं.
रुनीमेडी ट्रस्ट की एक रिसर्च के अनुसार, साल 2015 और 2017 में लेबर पार्टी नस्लीय मतदाताओं में सबसे अधिक लोकप्रिय रही. साल 2017 में इनमें से 77 प्रतिशत ने लेबर पार्टी को वोट दिया था.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि लेबर के पांच मतदाताओं में एक नस्लीय मतदाता था जबकि कंज़रवेटिव को वोट देने वाले 20 लोगों में से एक इन समुदायों से आने वाले थे.