ब्रिटेन ने वैक्सीन रेस में आगे बढ़ने के लिए मानव चुनौती ट्रायल को मंजूरी दी, जानिए क्या है मानव चुनौती?
नई दिल्ली। बीते कुछ दिनों तक विचार के बाद अंततः 20 अक्टूबर को ब्रिटिश सरकार ने मानव चुनौती का परीक्षण शुरू करने को मंजूरी दे दी है, ताकि जल्द से जल्द एक प्रभावी टीका का उत्पादन किया जा सके। हालांकि अतीत में हैजा, टाइफाइड, मलेरिया, इन्फ्लूएंजा, तपेदिक, डेंगू आदि के लिए मानव चुनौती अध्ययन किए जा चुके हैं।
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अब बड़ा सवाल है कि क्या हो मानव चुनौती। हालांकि मानव चुनौती परीक्षण की अवधारणा नई नहीं है, लेकिन यह अभी भी विवादास्पद बनी हुई है, क्योंकि इस तरह के परीक्षण में भाग लेने वालों को वायरस के साथ इंजेक्ट किया जाता है। तो आइए जानते हैं कि क्या है मानव चुनौती ट्रायल, जिसको यूके ने मंजूरी दे दी है।
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1. रूस पहला देश बना जिसने कोविद -19 के खिलाफ टीके की घोषणा की
महामारी के बीच एक तेज और प्रभावी टीका विकसित करने की दौड़ अब तीव्र हो गई है। रूस पहला देश बन गया है, जिसने कोविद -19 के खिलाफ अपने टीके की घोषणा की है। हालांकि वैक्सीन के पंजीकरण से पहले बहुत कम संख्या में लोगों के बीच इसका परीक्षण किया गया था, यही कारण है कि टीकों की प्रभावकारिता पर सवाल बने हुए हैं। यूनाइटेड किंगडम भी अब इस दौड़ में सबसे आगे बढ़ने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है।
2. योजना में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाओं से 3.36 करोड़ पाउंड का निवेश है
ब्रिटिश द्वारा मंजूर की गई मानव चुनौती परीक्षण योजना में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाओं से 3.36 करोड़ पाउंड का निवेश है। रूस के बाद ब्रिटेन अब वैक्सीन विकसित करने के क्षेत्र सबसे आगे निकलने के लिए यह जोखिम लिया है।
3. मानव चुनौती ट्रायल के तहत वालंटियर्स को सुरक्षित टीका दिया जाएगा
इस कार्यक्रम के तहत वालंटियर्स को पहले एक टीका दिया जाएगा, जो अब तक सुरक्षित साबित हुआ है। इसके बाद उन्हें एक सुरक्षित और नियंत्रित वातावरण में कोविद -19 वायरस के संपर्क में लाया जाएगा। उन वालंटियर्स की निगरानी शोधकर्ताओं द्वारा की जाएगी, जो इस प्रकार यह पता लगाएंगे कि टीका कैसे काम कर रहा है और यह भी पता लगाया जाएगा कि वायरस कितने स्वस्थ लोगों के समूहों को संक्रमित कर सकता है। माना जा रहा है कि उक्त पहलू टीके के शोध को बढ़ावा देने में मददगार होंगे।
4. मानव चुनौती ट्रायल में केवल 18 से 30 आयु वर्ग के स्वस्थ हिस्सा लेंगे
चूंकि मानव चुनौती परीक्षण जोखिम से भरा है, इसलिए इसमें केवल 18 से 30 आयु वर्ग के स्वस्थ लोग ही शामिल होंगे। प्रयोग के लिए स्वस्थ वालंटियर्स को जानबूझकर जानलेवा कोरोना वायरस से संक्रमित किया जाएगा, जिससे वालंटियर्स की जान का जोखिम भी हो सकता है।
5. लगभग 90 वालंटियर्स यूके के मानव चुनौती परीक्षण में भाग लेंगे
रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटिश सरकार की मंजूरी से शुरू होने जा रहे मानव चुनौती वैक्सी परीक्षण में यूके के लगभग 90 वालंटियर्स भाग लेंगे, जिन्हें सरकार द्वारा मुआवजा दिया जाएगा।
6. यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि कौन सा टीका सबसे आशाजनक है
वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के मुताबिक जोखिम भरे मानव चुनौती परीक्षण से शोधकर्ताओं को यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि कौन सा टीका सबसे आशाजनक है।
7. मानव चुनौती से पता लगेगा कि क्या टीके सिर्फ बीमारी को रोक सकते हैं
मानव चुनौती परीक्षण के जरिए शोधकर्ता अब तक अनसुलझे सवालों का जवाब तलाशना चाहते हैंं। वह यह जवाब खोजने की उम्मीद कर रहे हैं कि क्या टीके केवल बीमारी को रोक सकते हैं या टीके संचरण को भी रोक सकते हैं।
8. भाग लेने वाले वालंटियर्स की एक साल तक निगरानी की जाएगी
मानव चुनौती परीक्षण में भाग लेने वाले वालंटियर्स की एक साल तक निगरानी की जाएगी ताकि यह पता लगाया जा सके कि ट्रायल के बाद उन्हें कोई दीर्घकालिक बीमारी हुई या नहीं।
9. मानव चुनौती नियामकों और नैतिकता समिति की मंजूरी के अधीन है
यूके की मानव चुनौती योजना नियामकों और नैतिकता समिति की मंजूरी के अधीन है। एक बार मंजूरी मिलने के बाद अध्ययन जनवरी में शुरू होगा और परिणाम मई 2021 तक आने की उम्मीद है।
10. कोरोना से पूर्व कई वायरस वैक्सीन का मानव चुनौती परीक्षण हो चुका है
ऐसा नहीं है कि यह पहली बार है जब कोरोना वायरस वैक्सीन के परीक्षण के लिए मानव चुनौती परीक्षण का जोखिम लिया जा रहा है। इससे पहले, अतीत में हैजा, टाइफाइड, मलेरिया, इन्फ्लूएंजा, तपेदिक, डेंगू आदि के लिए मानव चुनौती अध्ययन किए गए हैं।