मोदी की कूटनीतिक चाल में फंसा चीन, दांव पर लग गई पाकिस्तान से दोस्ती
बीजिंग। पीएम मोदी नरेंद्र मोदी चीन दौरा खत्म कर म्यांमार रवाना हो गए हैं। ब्रिक्स में मोदी का दांव काफी हद तक भारत के पक्ष में रहा। ब्रिक्स घोषणापत्र में लश्कर-ए-तैयबा और हक्कानी नेटवर्क के साथ जैश ए मोहम्मद का नाम आने से चीन को भी झटका लगा है। अब तक जहां चीन जैश ए मोहम्मद आतंकी संगठन का बचाव करता आया है तो इस बार वो खुद फंसता हुआ दिखाई दे रहा है कि आतंकवाद पर क्या रुख अपनाया जाए। वही, घोषणापत्र में पाक आधारित आतंकी संगठनों का नाम आने से चीनी एक्सपर्ट्स भी इसे अच्छा निर्णय बता रहे हैं।
चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ कंटेपररी इंटरनेशनल रिलेशंस के निदेशक हू शिशेंग ने कहा कि आतंकवाद को लेकर चीन के रुख में बदलाव आया है। हूं शिशेंग के अनुसार, ब्रिक्स घोषणापत्र में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी समूहों का नाम आने से आने वाले टाइम में पाकिस्तान को इन पर कार्रवाई करने के लिए भी कह सकता है। ऐसे में दोनों देशों के बीच तल्खी भी बढ़ सकती है।
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शिशेंग हू ने कहा, 'इन आतंकी संगठनों का घोषणापत्र में नाम जरूर आना चाहिए था और उन आतंकी समूहों का भी नाम आना चाहिए था, जिन्होंने हाल ही में पाकिस्तान में दो चीनी नागरिकों की हत्या कर दी थी। हू ने यह भी कहा कि ब्रिक्स के बाद चीन आतंकवाद को लेकर अपना नया रास्ता अख्तियार कर सकता है।
वहीं, कम्युनिस्ट पार्टी स्कूल के प्रोफेसर मा जियाली ने कहा कि आतंकवाद को चीन खुलकर भारत का साथ दे सकता है। साथ ही भविष्य में चीन आतंकवाद के सभी मुद्दों पर विचार कर यूएन में भी भारत का समर्थन कर सकता है।
घोषणापत्र
में
ये
मुद्दें
शामिल
किए
गए
- घोषणापत्र में पाक के आतंकी संगठनों लश्कर ए तैयबा, हक्कानी नेटवर्क और जैश ए मोहम्मद की निंदा की गई।
- ब्रिक्स देशों ने आतंकवाद को सह देने वाले देश को लताड़ लगाई।
- तकनीक का इस्तेमाल करके आतंकवाद से निपटने के लिए एकजूट होने को कहा गया।
- आतंक की फंडिंग पर भी रोक लगाने की मांग की गई।