Brexit vote: जानें क्या है ब्रेग्जिट जिस पर टिका है UK का भविष्य
लंदन। मंगलवार को यूनाइटेड किंगडम की संसद में ब्रेग्जिट पर एतिहासिक वोटिंग हुई। इस वोटिंग में प्रधानमंत्री थेरेसा मे के ब्रेग्जिट प्लान को करारा झटका लगा और उनके खिलाफ जमकर वोट डाले गए। ब्रिटेन की संसद हाउस ऑफ कॉमन्स में पीएम मे की ब्रेग्जिट डील को 230 वोट्स से खारिज कर दिया गया। यह अभी तक के इतिहास में किसी मुद्दे पर सरकार की सबसे बड़ी हार है और इसलिए इसे एक एतिहासिक पल बताया जा रहा है। संसद में हुई वोटिंग के बाद लेबर पार्टी के नेता जेर्मी कोर्बिन ने अब नो कॉन्फिडेंस प्रस्ताव सदन में पेश कर दिया है। यह प्रस्ताव ब्रिटेन को आम चुनावों की तरफ लेकर जा सकता है। बुधवार को इस पर वोटिंग होनी है। यह सारा मामला 23 जून 2016 से शुरू हुआ था जब ब्रिटेन की जनता ने जनमत संग्रह पर इस पर एतिहासिक फैसला दिया था। जानिए आखिर क्या है यह ब्रेग्जिट और क्यों हो रही है इस पर वोटिंग।
यूरोपियन यूनियन की शुरुआत
साल 1993 में नीदरलैंड में यूरोपियन यूनियन (ईयू) की स्थापना हुई। 28 देशों के साथ बना यह संगठन एक राजनीतिक और आर्थिक संगठन बना। इस संगठन में जो देश शामिल हुए उसमें: ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, बुल्गारिया, क्रोएशिया, साइप्रस, चेक रिपब्लिक, डेनमार्क, एश्टोनिया, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, हंगरी, आयरलैंड, इटली, लटाविया, लिथुनिया, लक्जमबर्ग, माल्टा, पोलैंड, पुर्तगाल, रोमानिया, स्लोवाकिया, स्लोवानिया, स्पेन, स्वीडन, नीदरलैंड्स और यूनाइटेड किंगडम (यूके) थे।
2016 में आया एतिहासिक जनमत संग्रह
23 जून 2016 को यूके में एक जनमत संग्रह हुआ और यह इस बात से जुड़ा था कि इसे ईयू का हिस्सा रहना चाहिए या फिर इसे छोड़ देना चाहिए। इस जनमत संग्रह में 52 प्रतिशत लोगों ने वोट किया और कहा कि यूके को ईयू से बाहर आ जाना चाहिए। वहीं 48 प्रतिशत लोगों ने इसमें बने रहने के पक्ष में वोट किया। सुबह 4:45 मिनट तक लोगों ने वोट किया और इसे फाइनल माना गया।
क्या है यूनाइटेड किंगडम
यूनाइटेड किंगडम चार अलग देशों से मिलकर बना है-इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, वेल्स और आयरलैंड। इंग्लैंड में 46.8 प्रतिशत लोगों ने यूके के ईयू में रहने के पक्ष में वोट किया तो 53.2 प्रतिशत लोगों ने ब्रेग्जिट के पक्ष में वोट किया। वहीं स्कॉटलैंड के 62 प्रतिशत लोग चाहते थे कि यूके, ईयू में रहे तो 38 प्रतिशत ने ब्रेग्जिट के पक्ष में वोट किया। वहीं वेल्स का आंकड़ा 48.3 प्रतिशत और 38 प्रतिशत रहा। वहीं नॉर्दन आयरलैंड में 55.7 प्रतिशत लोगों ने यूके के ईयू में बने रहने के पक्ष में वोट किया वहीं 44.3 प्रतिशत लोगों ने ब्रेग्जिट पर वोट किया।
कैमरुन ने ब्रेग्टिज के विरोध में दिया वोट
यूके को ईयू में बने रहने के पक्ष में जो तर्क दिए गए थे उनमें अर्थव्यवस्था, नौकरी के साथ ही साथ बॉर्डर सिक्योरिटी और स्थानीय लोगों की भागीदारी को बढ़ना सबसे अहम था। इस जनमत संग्रह में तत्कालीन पीएम डेविड कैमरुन ने सबसे अहम रोल अदा किया था। उन्होंने यूके के ईयू में बने रहने के पक्ष में वोट किया था। उनका कहना था कि अगर यूके, ईयू से बाहर गया तो फिर हर लिहाज से यह एक गरीब देश के तौर पर नजर आएगा। वहीं ब्रिटेन के पूर्व मेयर बोरिस जॉनसन जो इसके पक्ष में बहस कर रहे थे उनका कहना था कि अगर, यूके, ईयू से बाहर जाता है तो फिर महान देश अपनी किस्मत पर अपना नियंत्रण हासिल कर सकता है। इस जनमत संग्रह के बाद ब्रिटिश पौंड 30 वर्षों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया था।
दो वर्ष का ट्रांजिशन पीरियड
ब्रेग्जिट का ट्रांजिशन पीरियड दो वर्ष का था और साल 2017 में देश में नए नेतृत्व ने कमान संभाल थी। जनमत संग्रह के बाद कैमरुन ने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। इन दो वर्षों तक ब्रिटेन, अमेरिका या दूसरे देशों के साथ कोई भी डील नहीं कर पाया। साथ ही इसे ईयू संधि का पालन करना पड़ा है। ईयू के नेतृत्व ने जनमत संग्रह के बाद ब्रिटेन से मांग की थी कि वह तुरंत आर्टिकल 50 को लागू करे। यह दरअसल एक संधि है जिसके तहत ईयू के सदस्य को संगठन स्वेच्छा से संगठन छोड़ने का अधिकारी दिया जाता है। यह कानून किसी भी देश को दो वर्ष के अंदर एक एग्जिट डील के करने के साथ संगठन को छोड़ने की मंजूरी देता है।