वो जापानी जो झेल गया था परमाणु हमला अब नहीं रहा
जापान के प्रमुख परमाणु निरस्त्रीकरण अभियानकर्ता सुमितेरू तानिगुशी(88) की बुधवार को मौत हो गई। सुमितेरू अपने सामाजिक कार्यों को लेकर चर्चा में रहते थे, उन्होंने परमाणु निरस्त्रीकरण का अभियान भी चलाया था। कुछ साल पहले वो नोबेल शांति पुरस्कार की दौड़ में भी रहे, लेकिन उन्हें नोबल पुरस्कार नहीं मिल सका। दूसरे विश्व युद्ध के बारे में उन्होंने जापान और दूसरे देशों में कई भाषण दिए।
सुमितेरू का कहना था कि मुझे डर है कि युवा पीढ़ी परमाणु हथियारों की खोज में ज्यादा रुचि ले रही है। उनका कहना था कि मैं युवा पीढ़ी के लोगों को बताना चाहता हूं कि परमाणु हथियार कभी भी मानवता को नहीं बचाएंगे। कई देशों और कई लोगों को ऐसा विश्वास है कि ये हमारी रक्षा करेंगे। अपने अनुभव को सांझा करते हुए उन्होंने कहा कि 6 अगस्त, 1945 को हुए हमले में लाखों लोगों की मौत हो गई थी।
बता दें, दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान 6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर परमाणु बम गिराया था, हमले में पलक झपकते ही 80 हजार से ज्यादा लोगों की मौत गई थी। हमले के समय सुमितेरू शहर से 1.8 किलोमीटर की दूरी साइकिल पर थे। उस समय उनकी उम्र महज 18 साल थी। एक समारोह में बोलते हुए सुमितेरू ने बताया था कि वो नाजारा काफी भयानक था, उस समय इंद्रधनुष की तरह आकाश में प्रकाश दिखाई दे रहा था, शक्तिशाली विस्फोट ने उन्हें उड़ा भी दिया और वो जमीन पर गिर गए।
जब उन्हें होश आया था तो उन्होंने देखा कि उनके शरीर पर कपड़े नहीं थे और उन्हें शरीर की त्वचा जली हुई थी। उस परमाणु हमले में सुमितेरू की जान तो बच गई थी, लेकिन करीब तीन साल तक हस्पताल में रहना पड़ा।