क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

ब्लॉग: जहां औरत को औरत नहीं 'परिवार' कहा जाता है

अफ़्रीका का नाइजीरिया और मध्य-पूर्व का ईरान - एक देश जो अपने महाद्वीप में मीडिया का सबसे बड़ा गढ़ माना जाता है और एक देश जहां मीडिया पर सरकार की नकेल एकदम कसी हुई है.

जब मैं इन दोनों देशों में औरतों के मुद्दों पर काम कर रही बीबीसी संवाददाताओं ऐबिगेल ओनिवाचा और फ़ेरेनाक अमीदी से बीबीसी लंदन के दफ़्तर में मिली तो बड़ी उत्सुकता थी कि वहां औरतों के मुद्दों पर कैसी पत्रकारिता होती है?

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
महिलाएं, महिला अधिकार, ईरान, नाइजीरिया
Getty Images
महिलाएं, महिला अधिकार, ईरान, नाइजीरिया

अफ़्रीका का नाइजीरिया और मध्य-पूर्व का ईरान - एक देश जो अपने महाद्वीप में मीडिया का सबसे बड़ा गढ़ माना जाता है और एक देश जहां मीडिया पर सरकार की नकेल एकदम कसी हुई है.

जब मैं इन दोनों देशों में औरतों के मुद्दों पर काम कर रही बीबीसी संवाददाताओं ऐबिगेल ओनिवाचा और फ़ेरेनाक अमीदी से बीबीसी लंदन के दफ़्तर में मिली तो बड़ी उत्सुकता थी कि वहां औरतों के मुद्दों पर कैसी पत्रकारिता होती है?

नाइजीरिया में सैकड़ों रेडियो स्टेशन, टीवी चैनल और सैटेलाइट चैनल हैं. हालांकि, सेना और बोको हराम के दबदबे की वजह से पत्रकारों पर हमले और दबाव बना रहता है.

साल 2015 में नाइजीरिया के राष्ट्रपति पद के चुनाव में पहली बार एक औरत खड़ी हुई.

लेकिन मीडिया में रेमी सोनाया से उनके काम पर नहीं बल्कि इस बात पर सवाल पूछे गए कि वो काम और परिवार के बीच समन्वय (बैलेंस) कैसे बनाएंगी.

महिलाएं, महिला अधिकार, ईरान, नाइजीरिया
Getty Images
महिलाएं, महिला अधिकार, ईरान, नाइजीरिया

सिर्फ़ परिवार तक सीमित

ऐबिगेल ओनिवाचा के मुताबिक राजनीति में आगे आनेवाली औरतों को परिवार का हिस्सा पहले और राजनेता बाद में देखा जाता है.

उनके पहनावे और बोलने की क्षमता पर ही टीका-टिप्पणी की जाती है.

18 करोड़ नागरिकों वाला नाइजीरिया, अफ़्रीका का सबसे घनी आबादी वाला देश है. सोनाया महज़ 13,000 वोट के साथ चुनाव में 12वें नंबर पर आईं.

उनकी हार के बाद उनसे पूछा गया कि लड़ने की ज़रूरत ही क्या थी? और कहा गया कि यही होता है जब औरतें अपनी तय भूमिका से बाहर निकलकर कुछ करने की कोशिश करती हैं.

जहां मीडिया आज़ाद है वहां अगर औरतों की ज़िंदगी के बारे में ख़्याल इतने क़ैद हों तो ईरान जैसे देश में क्या हाल होगा.

महिलाएं, महिला अधिकार, ईरान, नाइजीरिया
iStock
महिलाएं, महिला अधिकार, ईरान, नाइजीरिया

औरतों के मुद्दों पर दस-गुना 'सेसंरशिप'

ईरान में सिर्फ़ वहां के सरकारी रेडियो और टेलीविज़न को ही ख़बरें प्रसारित करने का अधिकार है.

इंटरनेट पर कई स्वायत्त, आज़ाद-ख़्याल मीडिया संगठन और लेखक उभरे हैं, लेकिन उन्हें चुप कराने के लिए जेल में डाल दिया जाना आम है.

सरकार की पकड़ पूरी है और 'सेंसरशिप' का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जाता है.

फ़ेरेनाक के मुताबिक औरतों के मुद्दों पर ये 'सेंसरशिप' दस-गुना कड़ी हो जाती है.

महिलाएं, महिला अधिकार, ईरान, नाइजीरिया
Getty Images
महिलाएं, महिला अधिकार, ईरान, नाइजीरिया

औरतों को उन्हीं भूमिकाओं में दिखाया जाता है जिन्हें सरकार और पितृसत्ता लंबे समय से सही समझती आ रही है, यानी आज्ञाकारी पत्नी, मां और बेटी के रूप में.

कई बार तो उन्हें औरत कहकर नहीं बल्कि 'परिवार' कहकर संबोधित किया जाता है. मसलन अगर वो किसी आयोजन में हिस्सा लें तो कहा जाता है कि, 'परिवारों ने हिस्सा लिया'.

मीडिया औरतों की राय सिर्फ़ औरतों के मुद्दों पर ही ज़रूरी समझता है, बाक़ी मुद्दों के लिए उन्हें लायक नहीं समझा जाता.

महिलाएं, महिला अधिकार, ईरान, नाइजीरिया
BBC
महिलाएं, महिला अधिकार, ईरान, नाइजीरिया

सीरियल में भी पारंपरिक भूमिका

सैटेलाइट टेलीविज़न के आने के बाद से तुर्की और लातिन अमरीका में बनने वाले कई सीरियल ईरान में काफ़ी लोकप्रिय हो गए हैं.

लेकिन ये भी औरतों की ज़िंदगी को परिवार तक ही सीमित करके दिखाते हैं.

इनमें सास-बहू के झगड़े, प्यार के रिश्तों में उतार-चढ़ाव से जूझती औरतें और एक मर्द को पाने की होड़ में लगी दो औरतें जैसे विषयों को पसंद किया जाता है.

औरतों की अपनी ख़्वाहिशों, काम या अस्तित्व पर कहानियां नहीं दिखाई जा रहीं.

बॉलीवुड के बाद दूसरा सबसे बड़ा फ़िल्म उद्योग, नाइजीरिया का 'नॉलीवुड' भी औरतों को मर्दों पर निर्भर रहने की भूमिका में ही दिखाता है.

कहानियों में मर्द का औरत को धोखा देना, फिर माफ़ी मांगना और आख़िर में औरत का मान जाना या औरत का दूसरी या तीसरी पत्नी होना आम है.

जो भी भूमिका हो उसमें औरत आत्मनिर्भर नहीं होती है और ना ही अपने लिए फ़ैसले लेने की क्षमता रखती है.

महिलाएं, महिला अधिकार, ईरान, नाइजीरिया
Reuters
महिलाएं, महिला अधिकार, ईरान, नाइजीरिया

महिलाओं के स्वास्थ्य पर बात नहीं

फ़ेरेनाक बताती हैं कि ईरान में औरतों के स्वास्थ्य पर तो बिल्कुल बात नहीं होती. स्कूल में 'सेक्स एजुकेशन' नहीं दी जाती. कॉलेज में भी जितना बताया जाता है वो बहुत कम है.

ऐबिगेल के मुताबिक औरतों के शरीर पर बात करने में नाइजीरियाई मीडिया भी बिल्कुल चुप है. इन मुद्दों पर बहुत शर्मिंदगी और झिझक है.

औरतों में अपने शरीर के बारे में, यौन संबंध बनाने को लेकर, बच्चे पैदा करने का फ़ैसला लेने के हक़ के बारे में, अलग-अलग 'सेक्सुआलिटी' के बारे में जानने की बहुत उत्सुकता है.

साथ ही औरतें अपनी ज़िंदगी पर असर डालने वाली सभी बातें चाहे वो रोज़गार से जुड़ी हों, जमा-ख़र्च से, स्वास्थ्य से, उनमें दिलचस्पी रखती हैं पर मीडिया इन पर भी बात नहीं करता.

महिलाएं, महिला अधिकार, ईरान, नाइजीरिया
EPA
महिलाएं, महिला अधिकार, ईरान, नाइजीरिया

इस मांग को सोशल मीडिया के ज़रिए पूरा किया जा रहा है जहां सरकारों की सेंसरशिप से बचकर इन सभी मुद्दों पर खुलकर लिखा जा सकता है.

नाइजीरिया में फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म बहुत लोकप्रिय हैं. ईरान में भी सोशल मीडिया औरतों के लिए नई आवाज़ बन रहा है.

हालांकि, फ़ेरेनाक याद दिलाती हैं कि सोशल मीडिया हमारी असल ज़िंदगी का ही हिस्सा है. जैसे असल ज़िंदगी में औरतों को सहमाकर रखा जाता है वैसे ही उम्मीद की जाती है कि इंटरनेट की दुनिया में भी वो चुप रहेंगी.

ऐसे में 'ट्रोलिंग' एक बड़ी चुनौती है.

ऐबिगेल के मुताबिक बदलाव लाने के लिए मीडिया संस्थानों में ज़्यादा औरतों का होना ज़रूरी है.

औरतें ना सिर्फ़ औरतों के मुद्दों पर बेहतर काम कर पाएंगी बल्कि बाक़ी सभी मुद्दों पर औरतों के नज़रिये से पत्रकारिता कर पाएंगी.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Blog Where the woman is not called a Family
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X