ब्लॉग: 'तावीज़ लेने के लिए हुई थी इमरान-बुशरा की मुलाकात'
इमरान ख़ान को तीसरी शादी की बधाई देना इसलिए भी बनता है क्योंकि निकाह में दुल्हन के घरवाले तो शरीक हुए पर दूल्हे की ओर से ख़ानदान वालों की बजाय सिर्फ़ इक्का-दुक्का दोस्त या राजनीति के साथी ही मौजूद थे.हमारी दुआ है कि इस बार ये शादी लंबे समय तक चले क्योंकि ख़ान साहब की निजी ज़िंदगी शांत होगी तो उनकी पार्टी और फिर देश की राजनीति में भी थोड़ा बहुत सुकून महसूस होगा.
इमरान ख़ान को तीसरी शादी की बधाई देना इसलिए भी बनता है क्योंकि निकाह में दुल्हन के घरवाले तो शरीक हुए पर दूल्हे की ओर से ख़ानदान वालों की बजाय सिर्फ़ इक्का-दुक्का दोस्त या राजनीति के साथी ही मौजूद थे.
हमारी दुआ है कि इस बार ये शादी लंबे समय तक चले क्योंकि ख़ान साहब की निजी ज़िंदगी शांत होगी तो उनकी पार्टी और फिर देश की राजनीति में भी थोड़ा बहुत सुकून महसूस होगा.
अगर ख़ान साहब का जी बाहर से ज़्यादा घर में अटक गया तो इसका तुरंत फ़ायदा यह होगा कि हर छोटे-बड़े मुद्दे पर त्योरी पहले से कम चढ़ेगी और भाषण, रोज़-रोज़ की प्रेस कॉन्फ़्रेंसों, जलसों, ट्वीटराना आरोपों और अपनी सफ़ाइयों में भी उतार आएगा.
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मोबाइल सौतन से कम नहीं
वैसे भी नई नवेली बीवियों के लिए मोबाइल फ़ोन किसी सौतन से कम नहीं होता चूंकि नई भाभी ज्योतिष, तावीज़, दम-दुरूद भी जानती हैं और इमरान ख़ान की उनसे पहली मुलाक़ात भी तीन बरस पहले तावीज़ और दुआ लेने के लिए ही हुई थी इसलिए ख़ान साहब ने भाभी के साथ किचन में हाथ बंटाना शुरू कर दिया या तीखा सालन पकाने और सिलाई-कढ़ाई पर लगा दिए गए तो कोई यह भी नहीं कह सकेगा कि ख़ान साहब ज़नमुरीद हो गए क्योंकि वो तो अपनी पत्नी को पहले ही से संत और पीर मानते हैं.
इमरान ख़ान अध्यात्मिक बुशरा बीबी से 2015 में उस वक़्त प्रभावित हुए जब बुशरा बीबी ने इमरान ख़ान के अमित शाह यानी जहांगीर तरीन की लोधरा से उप-चुनावों में विजेता होने की भविष्यवाणी की थी.
मगर दो वर्ष बाद ही उच्च न्यायालय ने इन्हीं जहांगीर तरीन को झूठा और बेईमान क़रार देकर सीट वापस ले ली और पांच वर्ष के लिए नेतागिरी करने पर भी रोक लगा दी.
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मुरीद और पीरनी का ख़ूबसूरत बंधन
लगता है कि इसके बाद इमरान ख़ान ख़ुद पीर बन गए तभी तो उन्होंने जहांगीर तरीन के बेटे अली तरीन को पिता की ख़ाली सीट पर टिकट दे दिया और अली इस सीट को नवाज़ शरीफ़ की मुस्लिम लीग से छिनवा बैठे.
इमरान ख़ान ने तीसरी शादी बहुत आस-उम्मीदों के साथ की है. देखना यह है कि मुरीद और पीरनी का यह ख़ूबसूरत बंधन चार-पांच महीने बाद होने वाले आम चुनावों में इमरान ख़ान की पीटीआई के लिए आसमानों से अच्छी ख़बर लाता है या फिर ख़ान साहब के घर से यह आवाज़ आती है कि ज़ोर का झटका हाय ज़ोरों से लगा, शादी बन गई उम्रकैद की सज़ा.
तब तक और इसके बाद के लिए भी ख़ान साहब और बुशरा बीबी को हमारी ओर से हार्दिक बधाई और ढेरों शुभकामनाएं.
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