इंडोनेशिया: दुनिया के सबसे बड़े चुनाव में फिर से निश्चित है विडोडो की जीत
जकार्ता। इंडोनेशिया में इस समय जनता ने अपने नए राष्ट्रपति के लिए वोट डालें। नई दिल्ली से करीब आठ हजार किलोमीटर दूर जकार्ता में 17 अप्रैल को हुए संसदीय चुनाव दुनिया में हो रहे सबसे बड़े चुनाव हैं। एक ही दिन में पहली बार करोड़ों मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया और इस वजह से यह सबसे बड़े चुनाव बन गए हैं। पिछले छह माह से यहां पर चुनाव प्रचार चल रहा था। इंडोनेशिया की जनता ने बुधवार को नया राष्ट्रपति और नई संसद के लिए वोट डाला है। यहां पर सुबह सात बजे से वोटिंग शुरू हुई और करीब आठ घंटे तक वोटिंग की प्रक्रिया चली।
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14 वर्ष पहले राजनीति से जुड़े विडोडो
राष्ट्रपति जोको विडोडो जो कि पेशे से एक फर्नीचर बिजनेसमैन हैं, उन्होंने 14 वर्ष पहले राजनीति में एंट्री ली थी। एक छोटे शहर के मेयर के तौर पर वह आगे बढ़े और साल 2014 में राष्ट्रपति के पद तक जा पहुंचे। उनके समाने मैदान में रिटायर्ड जनरल प्राबोवो सुबियानतो हैं। पिछले चुनावों में विडोडो और सुबियानतो के बीच जीत का अंतर बहुत ही कम था। कई ओपिनियन पोल में विडोडो की जीत तय बताई गई है। वहीं प्राबोवो ने एक मीडिया कॉन्फ्रेंस में कहा था कि उन्हें इस बात की पूरी उम्मीद है कि चुनावों में वह 63 प्रतिशत वोट हासिल करेंगे। वोटिंग सबसे पहले पूर्वी प्रांत पापुआ में शुरू हुई।
बैलेट पेपर के जरिए मतदान
मंगलवार को प्लेन, स्पीडबोट,नाव और घोड़े की मदद से बैलेट पेपर्स को देश के दूर-दराज पड़ने वाली जगहों पर पहुंचाया गया। इंडोनेशिया के चुनावों में 350,000 पुलिस और जवानों ने करीब 1.6 मिलियन पैरामिलिट्री ऑफिसर्स के साथ चुनावों में सुरक्षा का जिम्मा संभाला। इन जवानों को देश के 17,000 द्वीपों पर सुरक्षा के लिए तैनात किया गया था। करीब 192 मिलियन यानी करीब 20 करोड़ लोगों ने राष्ट्रीय और प्रांतीय चुनावों में हिस्सा लिया था।
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